भंडारण किया हुआ 46,294 टन गेहूं खराब, कैमरे से बचते नजर आए अधिकारी, पढ़ें किसानों की आपबीती
हरियाणा में पिछले दिनों हजारों क्विंटल गेहूं खराब होने से किसान परेशान हैं. अब खराब गेहूं को ई-ऑक्शन के जरिए प्राइवेट कंपनियों को 2 से 13 रु. प्रति किग्रा. बेचा जा रहा है. इस पूरे मामले को लेकर जब हफैड के डीएम उधम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. इतना ही नहीं बीते दिनों इस मामले में कई अधिकारियों को सस्पेंड तक किया जा चुका है.
हरियाणाः हरियाणा में पिछले 5 साल में 7 जिलों में भंडारण किया हुआ 46,294 टन गेहूं खराब हो गया. एक अनुमान के मुताबिक ये खराब नहीं होता तो 92.58 लाख लोगों को 1 महीने का 5-5 किलो गेहूं मिल जाता. गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये क्विंटल है, ऐसे में 93.28 करोड़ रुपये का गेहूं बर्बाद हुआ है. अब खराब गेहूं को ई-ऑक्शन के जरिए प्राइवेट कंपनियों को 2 से 13 रु. प्रति किग्रा. बेचा जा रहा है.
कंपनियां इसे कैटल फीड, बीयर बनाने में यूज करेगी. कई जगह तो गेहूं मिट्टी बन गया है. कुरुक्षेत्र में 2,4890, कैथल में 11,539, करनाल में 6587, यमुनानगर में 2,500, फतेहाबाद में 450, जींद में 315, रोहतक में 12.7 टन गेहूं खराब हो गया है.
पहले चोरी-छिपे गेहूं बेच देते हैं, फिर वजन बढाने के लिए भिगो देते हैं
बता दें कि कुछ अधिकारी चोरी-छिपे गेहूं बेच देते हैं या फिर वजन बढ़ाने के लिए पानी डलवाते हैं. इससे गोदाम में नमी बन जाती है और इसी वजह गेहूं खराब होने लगता है. 12 जून, 2022 को जगाधरी व फरवरी 2022 में सोनीपत के माहरा स्थित गोदाम में कर्मचारी गेहूं पर पानी डालते पकड़ गए थे.
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खुले में गेहूं डलवाकर ढकवाते नहीं, जांच में वक्त निकाल देते हैं
बताते चले कि अधिकारी व कर्मचारी खुले में भंडारण करने के बाद गेहूं की जांच समय पर नहीं करते. लापरवाही इस हद तक होती है कि कई जगह खुले में भंडारण किए गेहूं पर तिरपाल तक नहीं डाले गए. कई-कई बारिश इस पर हुई और गेहूं भीग कर खराब हो गया. किसानों का कहना है कि फसल स्टाक करके सरकार पानी में भिगो रही है और आप जानते है कि बोरियों में गेहूं उग कर भार निकल जाते है.
किसानों का कहना है कि अगर फसल स्टाक करके रखनी है तो उसके लिए सरकार को विशेष प्रबंध भी करने चाहिए ताकि बारिश या किसी भी कारण से फसल खराब न हो. इसी के साथ अधिकारियों का कहना है कि हमारी 4 एजेंसिया है हैफेड, हरियाणा वेयर हाउस, एफसीआई, फुड सपलाई, जिसमें 2022 में 422005 एमटी, 2021 में 728336 एमटी, 2020 में 733139 एमटी, 2019 में 818270 एमटी, 2018 में 755394 एमटी गेहूं टोटल गेहूं 3457144 एमटी गेहूं इकट्ठा हुआ, जिसमें से 5549 एम टी गेहूं खराब हो गया है.
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करनाल में हजारों क्विंटल गेहूं हुआ खराब
हरियाणा के करनाल की इंद्री में पिछले दिनों हजारों क्विंटल गेहूं खराब हुआ था. कुछ इन डोर में था और कुछ ओपन स्टोरेज में था और इस पूरे मामले को लेकर पंचकूला से टीम ने जांच भी की थी. इस मामले में दो अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था. इस मामले को लेकर जब आज हफैड के DM उधम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. करनाल में पिछले साल भी कई जगह पर गेहूं खराब करने की खबरें सामने आई थी और जी मीडिया ने उसे प्रमुखता से दिखाया था.
खराब गेहूं को लेकर जिला खाद्य एवं पूर्ति विभाग के अधिकारी कैमरे से बचते नजर आए
आपको बता दें कि हरियाणा में पिछले कुछ सालों में कई जिलों में भंडारण खराब हो गया, जिसमें एक जिला यमुनानगर भी है. यमुनानगर में भी काफी मात्रा में गेहूं खराब हो चुका है, जिसको लेकर अधिकारी इस पर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. इस बारे जब भी जिला खाद्य एवम आपूर्ति विभाग के अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो वह मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए.
लेकिन, वहीं छोटे कर्मचारी इस बात से परहेज करते भी नजर आए कि उनको कैमरे के आगे बोलने के लिए अधिकारियों ने मना किया है. अब बात करें यमुनानगर में होने वाली खराब गेहूं के बारे में, 12 जून, 2022 को सीएम फ्लाइंग की अनाज मंडी में रेड पड़ने पर खाद्य एवम आपूर्ति विभाग के फूड इंस्पेक्टर व कई छोटे कर्मचारियों को इस मामले में सस्पेंड किया गया था, जिसके चलते विभिन्न धाराओं में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर पर कई धाराएं लगाकर हिरासत में लिया गया था जो कि आज भी कोर्ट में विचाराधीन है.
लगातार जिले में हो रही खराब गेहूं को लेकर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वह भी नहीं चाहते कि जांच जल्द से जल्द पूरी हो, जिसके चलते अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आते हैं. यदि यमुनानगर जगाधरी में गेहूं खराब के आंकड़ों की बात करें, तो यमुनानगर में काफी मात्रा में गेहूं खराब हो चुका है जिस का ब्यौरा देने में अधिकारी कैमरे के सामने आने से बच रहे हैं.
वहीं, जब किसानों से इस बारे बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर आने से मना कर दिया और कहा कि हम अपनी फसल चाहे वह गेहूं हो या धान, हम अपना दाम लेकर सरकार को बेच देते हैं. आगे की जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होती है कि वह इस गेहूं को खराब करें या हिफाजत से रखें इस बारे में किसानों ने भी बोलने से मना कर दिया.
आपको बता दें कि खराब भंडारण के चलते करोड़ों की गेहूं खराब हो जाने से जहां पर लाखों लोगों को यह गेहूं कम दाम पर मिल सकती थी. वहीं, विभाग की लापरवाही के चलते यमुनानगर जिले में काफी मात्रा में गेहूं खराब होना एक अपने आप में शर्मनाक बात है.