आखिर क्या है चिट्ठी का किस्सा
कभी देश की सबसे बड़ी शख्सियत हुआ करते थे सुब्रत रॉय. एक समय ऐसा था जब उनके यहां छोटी पार्टियों में भी बड़े राज नेताओं से लेकर फिल्मी सितारों का जमावड़ा लगा रहता था. लंबी-लंबी गाड़ियों के काफिले उनके साथ चला करते थे. इतनी बड़ी हस्ती के जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब उनको जेल जाना पड़ गया. सहारा ग्रुप अपने निवेशकों को भुगतान करने में असफल रही. इस कारण सुब्रत रॉय को 4 मार्च 2014 को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. कोर्ट ने ये आदेश दिया था कि वो निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये ब्याज समेत लौटा दें. इससे उनकी निजी जिंदगी के साथ-साथ उनका कारोबार भी काफी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. आइए जानते हैं क्या कारण था सुब्रत रॉय के जेल जानें का. 


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एक समय ऐसा था जब देश में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का डंका बजा करता था. सुब्रत रॉय देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन के रूप में जाने जाते थे, लेकिन सिर्फ एक चिट्ठी ने उन्हें अचानक अर्श से फर्श तक पहुंचा दिया. आइए जानते हैं किसने लिखी थी वो चिट्ठी और क्यों सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ गया था. 


इस चिट्ठी ने देश के सामने सहारा में चल रही कथित गड़बड़ियों को उजागर कर दिया था. यह बात है 4 जनवरी 2010 कि जब पेशे से सीए रोशन लाल ने नेशनल हाउसिंग बैंक को चिट्ठी भेजी. साथ ही ये दावा किया कि वो इंदौर से हैं. बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड खरीदे हैं, जो तय नियमों के अनुसार जारी नहीं किए गए. ये बॉन्ड सहारा रियल स्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन की तरफ से जारी किए गए थे. रोशन लाल ने इन बॉन्ड्स के जांच की मांग की. 


मामला पहुंचा सेबी के पास
नेशनल हाउसिंग बैंक ने इस चिट्ठी को सेबी के पास भेज दिया, क्योंकि उनके पास इसके जांच का अधिकार नहीं था. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेबी के पास इस तरह की  एक और चिट्ठी आई थी. ये चिट्ठी अहमदाबाद के एडवोकेसी ग्रुप (प्रोफेशनल ग्रुप फॉर इंवेस्ट प्रोटेक्शन) की ओर से आई थी. इसके बाद ही सेबी ने इस मामले की जांच तुरंत शुरू कर दी. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. अदालत ने 15 पर्सेंट वार्षिक ब्याज के साथ सहारा ग्रुप को निवेशकों को पैसा लौटाने का आदेश दिया. निवेशकों को वापस करने वाली रकम 24,029 करोड़ रुपये थी. 


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रोशन लाल कौन थे?
रोशन लाल के बारे में अभी तक कुछ नहीं पता चला. सहारा ग्रुप के वकीलों ने भी रोशन लाल के पते पर एक लेटर भेजा था, जो पता न मिलने पर वापस आ गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोशन लाल नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं. ऐसा माना जाता है कि सहारा प्रमुख के खिलाफ ये शिकायत किसी कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वी ने की थी. 


जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा तो कोर्ट ने कहा कि सहारा ग्रुप ने सेबी के कानूनों का उल्लंघन किया है. उन लोगों से भी पैसे लिए गए जो बैंकिंग की सुविधा ही नहीं उठा सकते थे. वहीं जब सहारा ग्रुप निवेशकों का पैसा देने में असफल रही तो 4 मार्च 2014 को सुब्रत रॉय को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. कोर्ट नें उन्हे निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये ब्याज के साथ लौटाने को कहा था. इस कारण सुब्रत रॉय की निजी जिदंगी के साथ उनका कारोबार भी काफी बुरी तरह प्रभावित हुआ.