कार्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा खुली अदालत में सुनवाई
27 जुलाई को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं समेत 242 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था. उस फैसले पर कार्ति चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज यानी गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के फैसले की समीक्षा करेगा. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शक्तियों पर फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई होगी. याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होगी. CJI एनवी रमना, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला किया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि 27 जुलाई के फैसले पर फिर से विचार किया जाए या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं समेत 242 याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया था. 27 जुलाई का यह फैसला न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और सीटी रवि कुमार की पीठ ने सुनाया था. वैसे तो पुनर्विचार याचिका पर वही पीठ सुनवाई करती है, जिसने फैसला सुनाया होता है, लेकिन जस्टिस खानविल्कर सेवानिवृत हो गए हैं. इसलिए बुधवार को कार्ति चिदंबरम की पुर्नविचार याचिका पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, दिनेश महेश्वरी और सीटी रविकुमार ने विचार किया.
इन याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. इनमें पीएमएलए के तहत अपराध की आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए ईडी को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई. इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के तय नियमों के अनुसार पुनर्विचार याचिका पर फैसला देने वाली पीठ सर्कुलेशन के जरिये चैम्बर में मामले पर विचार करती है. ज्यादातर मामलों में याचिकाकर्ता पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने और मौखिक दलीलें रखने की इजाजत मांगने वाली अर्जियां दाखिल करते हैं, लेकिन कुछ ही मामलों में कोर्ट मामले पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग स्वीकार करती है.
कार्ति चिदंबरम की पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई के कोर्ट के निर्णय के गहरे मायने हैं. इसका मतलब है कि कोर्ट पीएमएलए कानून के बारे में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग पर विस्तृत सुनवाई का मन बना रहा है.