बलराम पांडेय/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के इन प्रावधानों के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने  PMLA के तहत ED की गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि गिरफ्तार करने का ईडी का तरीका मनमाना नहीं बल्कि सही है. हालांकि इस दौरान कोर्ट ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच के पास विचार के लिए भेजा है. 


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कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 5, सेक्शन 8(4), सेक्शन 17, सेक्शन 18(1), सेक्शन 19, सेक्शन 44, सेक्शन 45 वाले ECIR की तुलना FIR से नहीं की जा सकती. ECIR ईडी का इंटरनल डॉक्यूमेंट है. ECIR कॉपी आरोपी को देना ज़रूरी नहीं है. सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं. कोर्ट ने कहा कि यह पर्याप्त है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है. कोर्ट ने बेल की कंडीशन को भी बरकरार रखा है. याचिका में बेल की मौजूदा शर्तों पर सवाल उठाया गया था.


क्या है प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट जिसको लेकर दायर याचिकाओं पर SC करेगा अहम सुनवाई


आपको बता दें कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के खिलाफ करीब 100 याचिका दायर की गईं थी. इसकी सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने की है. इन याचिकाओं में PMLA कानून के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है. उच्चतम न्यायालय में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था. कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है, लेकिन अब कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ईडी को मिले अधिकारों को बरकरार रखा है. 


केंद्र सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि पिछले 17 सालों में PMLA के तहत कुल 5422 मामले दर्ज हुए. इनमें केवल 23 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है. सरकार ने यह भी बतयाा कि 1 मार्च, 2022 तक तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने अटैच की और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की. इसमें 869.31 करोड़ रुपये जब्त भी किए गए.