ट्विन टावर की तरह हमारे घरों को भी कर दो ध्वस्त, रहवासियों ने अथॉरिटी को लिखा लेटर
नोएडा एक्सटेंशन में रहने वाले लोगों ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पत्र लिखकर अपने घरों को गिराने की मांग की है. उनका कहना है कि उनके घरों को IIT दिल्ली के ऑडिट में बेहद ही खतरनाक साबित किया गया है.
नई दिल्लीः नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर को भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारत को अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से खड़ा किया गया था, 28 अगस्त, 2022 को हमेशा के लिए गिरा दिया गया. विस्फोटकों की मदद से दोनों टावरों को गिरा दिया गया. दोनों इमारते देखते ही देखते मलबे में तब्दील हो गई. बता दें कि सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं करने के चलते गिराया गया है.
IIT दिल्ली के ऑडिट में 'खतरनाक' घोषित ग्रेटर नोएडा के ये इलाके
जानकारी के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी इलाके में घर खरीदारों के एक समूह ने स्थानीय अधिकारियों को पत्र लिखा है. इन पत्रों में उनके 'अवैध' घरों की गिराने की मांग की गई है. इन घरों को IIT दिल्ली के ऑडिट में बेहद ही खतरनाक साबित किया गया है. इतना ही नहीं, जस्टिस फॉर शाहबेरी होमबॉयर्स ग्रुप ने मांग करते हुए कहा कि अवैध संरचनाओं के विध्वंस के बाद, उन्हें उत्तर प्रदेश पुनर्वास अधिनियम 2013 के मानदंडों के अनुसार घर दिया जाए.
शाहबेरी ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) में स्थित है, जिसे अधिकतर लोग नोएडा एक्सटेंशन के नाम से भी जानते है. नोएडा एक्सटेंशन उस समय सुर्खियों में आया, जब आसपास की दो इमारतें एक-दूसरे से टकरा गईं, इसमें एक बच्चे और दो महिलाओं सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी. यह पूरा मामला 17 जुलाई, 2018 का है. वहीं, जिला प्रशासन और स्थानीय प्राधिकरण द्वारा जांच रिपोर्ट में पाया गया कि इमारतों को अवैध रूप से और सही अप्रूवल के बिना बनाया गया था. क्षेत्र में ऐसी कई इमारते हैं.
खबरों की मानें तो पिछले हफ्ते जिला प्रशासन और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखते हुए कहा कि घर खरीदारों ने शाहबेरी में 'अवैध रूप से निर्मित, असुरक्षित इमारतों' को गिराने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि उनके जीवन के लिए ऐसी 'असुरक्षित इमारतों' में रहना खतरनाक है क्योंकि उन्हें आईआईटी दिल्ली की टीम ने 2019 में एक संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट में इन्हें खतरनाक घोषित किया था.
क्या कहना है शाहबेरी में रहने वाले निवासियों का
शाहबेरी निवासी सचिन राघव ने कहा कि 'हमने आवासीय भवनों जैसे एपीएस आशियाना, एपीएस आशियाना 2, एपीएस हाइट्स, एपीएस रॉयल होम्स, एपीएस क्रिस्टल होम्स और एपीएस गोल्ड होम्स को गिराने का अनुरोध किया है. एक अन्य निवासी अभिनव खरे ने कहा कि आईआईटी दिल्ली की टीम ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ के निर्देश पर शाहबेरी में एक भवन सुरक्षा सर्वे किया था और पाया कि ये इमारतें रहने के लिए सुरक्षित नहीं हैं.
उन्होंने आगे कहा कि ऑडिट में पाया गया कि इन इमारतों में रहना जीवन के लिए खतरनाक है क्योंकि इमारतें कभी भी गिर सकती हैं. शाहबेरी में रहने वाली मीना महापात्रा ने मांग उठाते हुए कहा कि यहां तक कि आईआईटी दिल्ली के ऑडिट में भी पाया गया कि शाहबेरी में कई इमारतें सुरक्षा के लिए खतरा हैं, जिससे निवासियों की जान पर संकट है. हम चाहते हैं कि इन इमारतों को गिरा दिया जाए और हमें सरकारी मानदंडों के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में घर उपलब्ध कराए जाएं.
तो वहीं, अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, शाहबेरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आता है जहां उनकी इजाजत के बिना किसी भी निर्माण की अनुमती नहीं है. इसी के साथ अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि 17 जुलाई, 2018 को दो इमारतों के गिरने के बाद इलाके में अवैध निर्माण को लेकर करीब 80 प्राथमिकी दर्ज की गईं और 50 से अधिक बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की गई.
आपको बता दें कि 2019 में गांव शाहबेरी में स्थित 426 भवनों के 'भवन संरचना सुरक्षा ऑडिट' में आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट ने सिफारिश करते हुए कहा कि विभिन्न श्रेणियों में भवनों के लिए संरचनात्मक सर्वेक्षण, विश्लेषण, परीक्षण और सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम का पालन किया जाए. इसी के साथ रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त कार्यक्रम के क्रियान्यवन के समय इमारतों के निवासियों और सर्वेक्षण तथा जांच टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. इमारतों को खाली किया जाना चाहिए और उन मकानों को सील कर दिया जाना चाहिए जहां झुकाव और दरार सहित संरचनात्मक संकट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.