नई दिल्ली: बीते मंगलवार यानी की 5 जुलाई, 2022 को माइक्रोब्लॉगिंग साइट (microblogging site) ट्विटर भारत सरकार के उसके प्लेटफार्म पर मौजूद कंटेंट को हटाने के आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाइकोर्ट गया था जिसमे ट्विटर ने भारत की सरकार पर आरोप लगाया कि भारत सरकार कानूनों को ताक पर रख कर ट्विटर के प्लेटफार्म से content हटाने का दबाव बना रही है. अपने इस कदम से ट्विटर ने खुद को भारत में Freedom of Speech का बड़ा मसीहा दिखाने की कोशिश की और message दिया कि भारत की चुनी हुई सरकार लोगों के बोलने की आज़ादी छीनना चाहती है जबकि Twitter बोलने की आजादी के पक्ष में खड़ा हुआ है.


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ऐसे में ट्विटर क्या सच में freedom of speech का इतना बड़ा पैरोकार है कि वह सरकार तक से लड़ जाएगा और क्या भारत की सरकार ही ट्विटर को content हटाने का आदेश देती है, अगर और देशों की सरकारें भी ट्विटर को content हटाने का आदेश देती है तो ट्विटर का क्या रुख रहता है यह सब जानने के लिए हमारी investigation team ने पड़ताल की और हमारी पड़ताल में जो हमने पाया वो ट्विटर को बेनकाब करने के लिए काफी है, लेकिन सबसे पहले हम आपको पूरा मामला समझाते हैं.


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जानें, क्या है पूरा मामला


5 जुलाई को कर्नाटक हाइकोर्ट में ट्विटर ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की तरफ से उसे हाल ही में जारी किए गए posts को हटाने के ब्लॉकिंग ऑर्डर IT ACT की धारा 69(A) की प्रक्रियाओं को पूरा नहीं करते और जिन posts को ब्लॉक किया जाना है, उनके यूजर्स को पहले नोटिस जारी किया जाना चाहिए था कि सरकार को उनके posts से आपत्ति है, लेकिन ट्विटर के मुताबिक सरकार ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और यूजर्स को बिना नोटिस दिए ही, उनके कंटेंट को हटवाया गया.


ट्विटर के मुताबिक यह IT ACT की धारा 69(A) का उल्लंघन है. अपने इस कदम से ट्विटर ने भारत की जनता को एक message देने की कोशिश की कि वो भारत के लोगों की आवाज को मंच देना चाहता है लेकिन भारत की सरकार लोगों की आवाज को दबाना चाहती है. ट्विटर और किसी देश की सरकार के बीच content को हटाने के मुद्दे पर twitter के इस तरह से कोर्ट जाने का यह अपने आप मे एक बड़ा मामला है. ऐसे में हमारी investigation टीम ने यह जानने की कोशिश की क्या भारत के अलावा अन्य देशों की सरकारें भी ट्विटर को उसके प्लेटफार्म से posts हटाने का आदेश देती हैं, अगर देती हैं तो क्या भारत सबसे ज्यादा देता है और ट्विटर सरकारों के आदेशों का कैसे पालन करता है.


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इन सभी सवालों का जवाब हमें मिला ट्विटर द्वारा, इसी साल 25 जनवरी को जारी की गई Nineteenth Transparency Report में जिसमें ट्विटर ने पूरी दुनिया में सरकारों द्वारा गैरकानूनी content हटाने का जनवरी 2021 से जून 2021 तक सारा डेटा दिया है. ट्विटर की इस रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2021 से जून 2021 तक दुनियाभर की सरकारों ने उससे 43 हजार से ज्यादा posts हटाने का आदेश दिया था और पोस्ट्स हटाने की मांग करने वाले देशों में सबसे ऊपर जापान था पूरी दुनिया की सरकारों से जितनी उसके पास गैरकानूनी posts हटाने के आदेश आते हैं उन कुल आदेशो में 43% आदेश अकेले जापान की सरकार देती है.


दूसरे स्थान पर रूस जो पूरी दुनिया के देशो द्वारा दिये जाने गैरकानूनी posts को हटाने के कुल आदेशो का 25% देती है, तीसरे पर 13% के साथ टर्की और चौथे पर 11% के साथ भारत था. जनवरी 2021 से जून 2021 तक जापान ने ट्विटर को 18 हजार से ज्यादा गैरकानूनी posts को हटाने और 22 हजार से ज्यादा ट्विटर एकाउंट्स पर कार्यवाही करने की मांग की थी. रूस ने 10 हजार से ज्यादा गैरकानूनी पोस्ट्स को हटाने और 12 हजार से ज्यादा ट्विटर एकाउंट्स पर कार्यवाही करने और टर्की ने 5 हजार 400 से ज्यादा गैरकानूनी पोस्ट्स को हटाने और 6 हजार 800 से ज्यादा एकाउंट्स पर कार्यवाही करने का ट्विटर को आदेश दिया था.


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जबकि भारत जिसकी आबादी जापान से 10 गुना ज्यादा है, रूस ने 9 गुना ज्यादा और टर्की से 15 गुना ज्यादा है उसने 4903 गैरकानूनी पोस्ट्स को हटाने और 17 हजार 125 एकाउंट्स पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था. जापान जिसकी आबादी भारत से 10 गुना कम है वो भारत से 4 गुना ज्यादा पोस्ट्स को हटाने की ट्विटर से मांग करता है, रूस जिसकी आबादी भारत से 9 गुना कम है वो भारत के मुकाबले दोगुने ज्यादा पोस्ट्स को हटाने का आदेश देता है.


टर्की जिसकी आबादी भारत से 15 गुना कम है वो भी भारत के मुकाबले ज्यादा posts को हटाने का आदेश ट्विटर को देता है. इन तीनो देशो की कुल आबादी को अगर जोड़ भी लिया जाये तब भी भारत से 3 गुना कम है लेकिन ट्विटर को सिर्फ भारत से ऐसी क्या समस्या है कि वो कोर्ट तक चला गया. इस सवाल का जवाब भी ट्विटर खुद ही अपनी रिपोर्ट में दे रहा है.


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ट्विटर ने अपनी रिपोर्ट में किया खुलासा


ट्विटर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि उसने सरकारों के गैरकानूनी पोस्ट्स को हटाने के कुल आदेशों में कितने आदेशों का पालन किया है जिसे Compliance Rate भी कहा जाता है. जपान की सरकार द्वारा दिये गए गैरकानूनी पोस्ट्स को हटाने के कुल आदेशों में ट्विटर ने 67% से ज्यादा आदेशों का पालन किया, रूस के मामले में 47.1% आदेशों का पालन किया, टर्की के मामले में 60.9% आदेशों का पालन किया और posts हटा दिया, लेकिन भारत के मामले में ट्विटर का Compliance Rate सिर्फ 11.8% ही है.


इसका मतलब हर 12 आदेश पर ट्विटर ने सिर्फ 1 आदेश पर अमल किया और बाकी के आदेशों का पालन करना जरूरी नहीं समझा. ट्विटर का वैश्विक compliance rate भी 54% है. अब आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि आखिर IT ACT की धारा 69(A) है क्या जिसकी ट्विटर कोर्ट में हवाला दे रहा है. आईटी एक्ट, 2000 की धारा 69 (ए) केंद्र सरकार को यह ताकत देती है कि वह किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निश्चित कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश जारी कर सकती है.


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इस धारा के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार देशहित में स्वायत्ता-अखंडता से जुड़े मुद्दे, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने से जुड़े मामलों और विदेश संबंध को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सोशल मीडिया कंपनियों को आदेश जारी करता है तो यह बाध्यकारी होगा. यानी सभी प्लेटफॉर्म्स को यह आदेश मानना ही होगा. इन नियमों के तहत सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनी को ब्लॉकिंग ऑर्डर भेजने से पहले उसे समीक्षा समिति के पास भेजा जाता है.


यह समिति ही पूरी जांच-परख के बाद आईटी एक्ट की धारा 69 (ए) के तहत ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करती है. इन आदेशों को गुप्त रखने का भी प्रावधान है. ट्विटर का ट्रैक्ट रिकॉर्ड भी ऐसा है की वो खुद को शायद कानून से भी बड़ा मानने लगा है, किन ट्विटर को समझना होगा कि उसे अगर देश में काम करना है तो कानून के दायरे में रह कर ही काम करना होगा.


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जानें, दुनियाभर में ट्विटर यूजर्स के आकड़ें


आपको बता दें कि पूरी दुनिया में ट्विटर के कुल 22 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं जिसमें सबसे ज्यादा अमेरिका के 7 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं, दूसरे पर जापान के 5 करोड़ 80 लाख, तीसरे पर भारत के 2 करोड़ 36 लाख और चौथे पर ब्राज़ील के 1 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोग ट्विटर का उपयोग करते हैं. तुर्की के 1 करोड़ 61 लाख और रूस के 90 लाख से ज्यादा ट्विटर का प्रयोग करते हैं, लेकिन यूक्रेन युध्द के बाद रूस ने ट्विटर पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है.


ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन देशों की जनसंख्या भारत से कई गुना कम है और ट्विटर का प्रयोग करने वालों की संख्या भी भारत से कम है तो ऐसे देश जब ट्विटर से गैरकानूनी कंटेंट हटाने का आदेश देते हैं तब तो ट्विटर को कोई समस्या नहीं होती लेकिन जब भारत की संवैधानिक सरकार ट्विटर से ऐसा करने को कहती तो ट्विटर कोर्ट तक चला जाता है. आखिर ट्विटर का यह दोहरा रवैया सिर्फ भारत के लिए ही क्यों है.


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