नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति पद के लिए आज मतदान हो गया. एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ (NDA Candidate Jagdeep Dhankar) और विपक्षी दल की ओर से उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के बीच मुकाबला चल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव से दूरी बनाकर कांग्रेस का पारा चढ़ा दिया है. विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) के लाख प्रयासों के बावजूद टीएमसी ने चुनाव से तटस्थ रहने का निर्णय लेकर विपक्ष को तगड़ा झटका दिया.


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वहीं दूसरी ओर बीते दिन ममता बनर्जी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) को रास नहीं आया. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस बीजेपी का एजेंट बनकर विपक्षी एकता को बर्बाद करने पर तुली है.


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कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से टीएमसी जिस तरह से काम कर रही है, उससे स्पष्ट है कि वह भगवा खेमे के एजेंट बन गई हैं. साथ ही यह भी आरोप लगाया कि शिक्षक भर्ती घोटाले समेत भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की केंद्रीय एजेंसियों से जांच को रुकवाने के लिए ममता ने पीएम से  मुलाकात की. वहीं CPIM की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि अगर यह मीटिंग राज्य की बकाया राशि लेने के लिए होती तो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी भी दस्तावेज के साथ पीएम के साथ मीटिंग में शामिल होते. 



दरअसल मार्गरेट अल्वा  ने गुरुवार को सभी सांसदों से बिना किसी डर या राजनीतिक दबाव के सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के पक्ष में मतदान की अपील की थी, लेकिन विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत मानी जाने वाली ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने के अपने फैसले से सबसे तगड़ा झटका दिया है. ममता के इस फैसले पर मार्गरेट अल्वा ने निराशा जताई है. उनका मानना है देश में बीजेपी के सामने एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है. 


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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटरव्यू में अल्वा ने कहा कि ममता उनकी अच्छी दोस्त है और यूथ कांग्रेस के समय से हमने साथ मिलकर कई लड़ाइयां लड़ी हैं, लेकिन अब ममता उनका फोन तक तक नहीं उठा रहीं. उनके इस व्यवहार से वह हैरान हैं. पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी में कई मुद्दों पर तकरार हो चुकी है, ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में ममता द्वारा इनके विरोध में मतदान की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन चुनाव में तटस्थ रहने के अपने फैसले से कहीं न कहीं एनडीए का साथ देती दिख रही हैं. 


ममता के रुख से अल्वा हैरान 
मार्गरेट अल्वा का कहना है कि ममता बीजेपी के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी क्यों बना रही है, यह समझ से परे है. उन्होंने कहा, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि बीजेपी की मदद करना ममता बनर्जी के लिए कैसे मददगार हो सकता है. वहीं ममता बनर्जी इस बात से नाराज हैं कि उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की चर्चा में टीएमसी को शामिल नहीं किया गया. 


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क्या कहते है आंकड़े 
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य भाग लेते हैं. इनमें मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं. अभी लोकसभा में सभी 543 सदस्य मौजूद है, वहीं राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं, जिनमें 12 मनोनीत सदस्य होते हैं. फिलहाल राज्यसभा में कुल 8 सीटें खाली हैं. ज्यादातर दल धनखड़ से साथ खड़े दिख रहे हैं, वहीं कई पार्टियां अब तक तय नहीं कर पाई हैं कि उन्हें कुया करना है. ऐसे में जगदीप धनखड़ को मिले या मिल रहे समर्थन को देखते हुए उनका जीतना लगभग तय माना जा रहा है.