दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों को समर्थन देने वालों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. इस बीच आज शहीदे आजम सरदार भगत सिंह की भतीजी गुरजीत कौर जंतर-मंतर पहुंचीं. इस दौरान जब ज़ी मीडिया ने उनसे भगत सिंह से जुड़ी यादों या किस्से के बारे में सवाल किया तो उन्होंने बताया शहीद ए आजम को फांसी से बचाने के लिए उनकी मां ने एक टोटका किया था. गुरजीत कौर ने बताया कि जब कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले भगत सिंह की मां छोटे बच्चे की पोशाक लेकर उनके पास पहुंची थीं. उनका मैसा विश्वास था कि ऐसा करने से कोर्ट से बेटे के पक्ष में फैसला आएगा. जब भगत सिंह को यह पता चला तो उन्होंने मां से कहा कि वह नहीं पहनेंगे. ये कपड़े अब जो आएगा उनका भाई-बहन, उनके काम आएंगे. वे इस टोटके में विश्वास नहीं करते. आखिर हुआ भी वही. कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. 23 मार्च 1931 को मात्र 23 साल की उम्र में भगत सिंह देश के लिए कुर्बान हो गए.
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