Delhi Rain News: राजधानी दिल्ली में पिछले 4 दिनों से रुक-रुक हो रही बारिश के चलते बुराड़ी जगतपुर यमुना खादर में किसानों के ऊपर बर्बादी का संकट मंडराने लगा है. बे मौसम ये बरसात सब्जियों की कई ऐसी फैसल जो हल्की नमी वाली जमीन पर उगाई जाती हैं. उन फसलों के लिए काल बनाकर बरस रही है, जिसके चलते किसानों की चिंताएं बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. किसानों को का कहना है कि अगर जल्द मौसम साफ नहीं हुआ और बारिश नहीं रूकी तो किसानों का सब्जी की फसलों का भारी नुकसान होगा.


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सब्जी के फसलों पर असर
बता दें कि राजधानी दिल्ली में बीते सप्ताह पहले प्रचंड सर्दी किसानों के लिए मुसीबत बन गई थी. क्योंकि इस सर्दी में रात के समय पड़ने वाले पाले से कहीं ना कहीं फसलों को भारी नुकसान पहुंचने का डर किसानों को सता रहा था, लेकिन प्रचंड सर्दी को देखते हुए किसानों ने सब्जी की फसलों को बचाने के लिए पॉलिथीन के लोटर्नल बनाकर अपनी फसलों को बचा लिया, लेकिन  बीते चार दिनों से लगातार रुक-रुककर हो रही बरसात के चलते अब किसानों की चिंताएं फिर बढ़ गई हैं. ऐसे में यह बारिश किसानों के लिए एक काल स्वरूप साबित होती हुई नजर आ रही है. किसानों ने बताया कि रुक-रुक कर हो रही बे-मौसम बरसात के चलते इस सीजन में लगाई गई सब्जियों की फसले बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है. इस बरसात से प्रभावित होने वाली फैसले ज्यादातर तोरी, लौकी, ककड़ी, सीताफल, तरबूज व अन्य कई बेल वाली फसले हैं, जो बरसात से प्रभावित हो रही है.


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यमुना खादर में सब्जियों की होती है खेती
हालांकि, किसानों का कहना है कि यही बरसात रवि ( गेहूं ) की फसलों के लिए अमृत बनकर बरस रही है, लेकिन बुराड़ी यमुना खादर इलाके में ज्यादातर खेती करने वाले किसान गेहूं की फसले कम और सब्जी की फैसले ज्यादा लगते हैं क्योंकि यमुना किनारे किसानों को खेती-बाड़ी करने में दो फायदे होते हैं. पहले किसानों की जमीदारों से जमीन सस्ते दामों पर उगाही के लिए मिल जाते हैं. दूसरा सब्जी की फसलों को उगाने के लिए हॉकी मिट्टी वाली जमीन जिसमें नमी हो वह आसानी से मिल जाती है, जिसमे कम पानी की लागत लगती है. यमुना किनारा ऐसी सब्जी की फसलों के लिए एक उपयोगी व लाभदायक होता है, लेकिन बरसात के चलते अब सब्जी की कई फैसले प्रभावित होती हुई नजर आ रही है. ऐसे में अगर बरसात लगातार दिल्ली में तीन से चार दिन और होती है तो किसानों की सब्जी की फसलें इससे ज्यादातर प्रभावित होंगी और किसानों का भारी नुकसान भी हो सकता है.


इनपुट- नसीम अहमद