बलराम पांडेय/नई दिल्ली: इस वर्ष दिवाली के त्योहारी सीजन में हुए जोरदार व्यापार से उत्साहित होकर दिल्ली सहित देशभर के व्यापारी अब शादी के सीजन की बिक्री में जुट गए हैं. 4 नवंबर देव उठान एकादशी से 14 दिसंबर तक लगभग 40 दिनों के शादियों का पहला चरण शुरू हो गया है, जिसमें देशभर में लगभग 32 लाख शादियों होने का अनुमान है और इस सीजन में लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होना आंका जा रहा है. यह कहते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की अकेले दिल्ली में इस सीजन में लगभग 3.50 लाख से ज्यादा शादियां होने का अनुमान है. इससे दिल्ली में ही लगभग 75 हजार करोड़ रुपये के व्यापार की सम्भावना है. पिछले वर्ष इस चरण में देशभर में लगभग 25 लाख शादियां हुई थी तथा लगभग 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ था. यह आंकड़ा कैट की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा हाल ही में देश के कुछ शहरों में व्यापारियों एवं सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच कराये गए एक सर्वे के द्वारा लिया गया है.


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कैट की आध्यात्मिक एवं वैदिक ज्ञान कमेटी के चेयरमैन, प्रकांड वेद मर्मज्ञ एवं देश के विख्यात ज्योतिषाचार्य आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया की तारों की गणना के अनुसार नवंबर महीने में 20, 21, 24, 25, 27, 29 एवं 30 नवंबर तथा दिसंबर के महीने में 4, 5, 7, 8, 9, तथा 14 दिसंबर शादियां कराने के सबसे उपयुक्त दिन है. उसके पश्चात एक महीने 14 जनवरी तक तारा डूब जाता है एवं फिर दोबारा 14 जनवरी से मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं. श्री तारे ने यह भी कहा कि सनातन धर्म के अलावा आर्यसमाज, सिख बंधु, पंजाबी बिरादरी, जैन समाज सहित देश में अन्य अनेक वर्ग हैं जो मुहूर्त के बारे में विचार नहीं करते वो भी इस सीजन में तथा इसके अलावा एनी दिनों में भी अनेक लोग शादी समारोह आयोजित करेंगे.


भारतीय एवं खंडेलवाल ने कहा की शादियों के सीजन के अच्छे व्यापार की संभावनाओं को देखते हुए देशभर के व्यापारियों ने व्यापक तैयारियां की हैं और दिवाली के पर्व पर हुए रिकॉर्ड कारोबार से उपजे उत्साह को बाजारों में बरकरार रखने के सभी प्रबंध किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया की प्रत्येक शादी का लगभग 20 प्रतिशत खर्च वधू एवं वरपक्ष को जाता है, जबकि 80 प्रतिशत खर्च शादी को सम्पन्न कराने में काम करने वाली अन्य तीसरी एजेंसियों को जाता है. इसलिए शादियों का सीजन भी देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुका है. भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की शादियों के सीजन से पहले जहां घरों की मरम्मत, पेंट, फर्निशिंग, साज सज्जा आदि का व्यापार बड़ी मात्रा में होता है. वहीं खास तौर पर ज्वेलरी, साड़ियां, लहंगे -चुन्नी, रेडीमेड गारमेंट्स, कपड़े, फुटवियर, शादी एवं ग्रीटिंग कार्ड, ड्राई फ्रूट, मिठाइयां, फल, शादियों में इस्तेमाल होने वाला पूजा का सामान, फर्नीचर, किराना, गिफ्ट आइटम्स, खाद्यान, डेकोरेशन के आइटम्स, बिजली का उपयोगी सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा उपहार में देने वाली अनेक वस्तुओं आदि का व्यापार बड़ी मात्रा में प्रतिवर्ष होता है.


भारतीय एवं खंडेलवाल ने बताया की दिल्ली सहित देशभर में बैंक्वेट हाल, होटल, खुले लॉन, फार्म हाउस, सरकारी सामुदायिक भवन, सार्वजनिक पार्क, रिहायशी कॉलोनियों में स्तिथ पार्क, क्लब एवं शादियों के लिए अन्य अनेक प्रकार के स्थान को भी बड़ा व्यापार मिलता है. प्रत्येक शादी में सामान की खरीदारी के अलावा अनेक प्रकार की सर्विस को भी बड़ा व्यापार मिलता हैं, जिसमें टेंट डेकोरेटर, फूल की सजावट करने वाले लोग, क्राकरी, कैटरिंग सर्विस, ट्रेवल सर्विस, कैब सर्विस, स्वागत करने वाले प्रोफेशनल समूह, सब्जी विक्रेता, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, बैंड-बाजा, शहनाई, आर्केस्ट्रा, डीजे, बारात के लिए घोड़े, बग्घी, लाइट वाले सहित अन्य अनेक प्रकार की सर्विस को भी बड़े पैमाने व्यापार मिलता है. विशेष रूप से पंडितों, शादी कराने वाले ज्ञानवान लोगों के लिए भी शादियों का सीजन एक बड़ी आमदनी का जरिया बन गया है. वहीं इवेंट मैनेजमेंट एजेंसियों के लिए भी यह एक बड़े व्यापार के रूप में उभरा है.


भारतीय एवं खंडेलवाल ने बताया की इस एक महीने के शादी के सीजन में लगभग 6 लाख शादियों में प्रत्येक शादी में लगभग 3 लाख रुपये खर्च होंगे. वहीं लगभग 10 लाख शादियों में प्रति शादी खर्च लगभग 5 लाख प्रति शादी होगा, 10 लाख शादियां जिनमें 10 लाख प्रति शादी, 5 लाख शादियां जिनमें 25 लाख प्रति शादी, 50 हजार शादियां जिनमें लगभग 50 लाख प्रति शादी एवं 50 हजार शादियां ऐसी होंगी, जिनमें 1 करोड़ या उससे अधिक धन खर्च होगा. कुल मिलाकर इस एक महीने के शादी के सीजन में लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये का धन प्रवाह बाजारों में इस वर्ष शादी की खरीदी के माध्यम से होना संभावित है. शादियों का दूसरा चरण 14 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू होकर जुलाई 2023 तक चलेगा.