कोरोना काल में PM मोदी के मैनेजमेंट से गदगद हुआ World Bank, खूब थपथपाई पीठ
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कोरोना काल में PM मोदी के मैनेजमेंट से गदगद हुआ World Bank, खूब थपथपाई पीठ

World Bank ने 12 करोड रुपए भारत को लोन दिए थे जिसमें से 4.5 करोड़ कोरोना के लिए जरूरी मशीनरी और उपकरण खरीदने में लगाया गया.

कोरोना काल में PM मोदी के मैनेजमेंट से गदगद हुआ World Bank, खूब थपथपाई पीठ

पूजा मक्कड़/नई दिल्ली: कोरोना काल में कुशल मैनेजमेंट के लिए वर्ल्ड बैंक ने पीएम मोदी की सराहना की है. World Bank ने 11 हज़ार 983 रुपए भारत को लोन दिए थे जिसमें से 4.5 करोड़ कोरोना के लिए जरूरी मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए था. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुछ चुनौतियां थीं, जिसमें भारत की निर्माण क्षमता कम थी, हर राज्य में कोरोना फैला था. और दुनिया में कोरोना से लड़ने के हर सामान की किल्लत की वजह से दामों में भारी उछाल था. इसके बावजूद मोदी सरकार ने वर्ल्ड बैंक के पैसों का न केवल बढ़िया इस्तेमाल किया बल्कि लोगों को टीके भी लगाए.

World Bank के मुताबिक भारत ने क्या सही कदम उठाए

पीपीई के सामान और बाकी चीजों की जरूरत का सही एनालिसिस सरकार की ओर से  किया गया.
कई मंत्रालयों ने मिलकर ग्रुप बनाए और काम किया.
प्राइवेट लैब आगे आई और 50% टेस्टिंग का जिम्मा संभाला.   

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कैसे रोंके घपले
सिंगापुर की एक कंपनी ने चीन के सब स्टैंडर्ड मास्क बेचने की कोशिश की. कंपनी ने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन को बाइपास करने की कोशिश की. लेकिन ये घपला HLL ने पकड़ा. HLL सरकार की ओर से सेंट्रल एजेंसी थी जो कोरोना में खरीदने का काम कर रही थी. सरकार ने ये पैसा भी वापस हासिल करने का प्रयास किया. तकरीबन 10 मिलियन डॉलर यानी 1 करोड़ रुपए सिंगापुर की EOI Singapore में अलग से जमा हैं. केस चल रहा है. जबकि इसी दौरान अमेरिका को थाइलैंड की एक कंपनी ने 200 मिलियन घटिया क्वॉलिटी के दस्ताने सप्लाई किए थे, जिसका कोई समाधान नहीं निकल पाया था.   

अब कौन-सा सामान कितने में मिलता है?
भारत ने जल्द से जल्द आत्मनिर्भरता की ओर रुख किया. टेस्टिंग से लेकर पीपीई किट तक, हर सामान भारत में बनने लगा जिसका बहुत फायदा हुआ. 

N 95 mask का दाम 250 से कम होकर 20 रुपए पर आया. 
PPE KIT 700 से 150 की हो गई है.
RT PCTR किट जिससे कोरौना का टेस्ट होता है, वो पहले 1207 की मिल रही थी, वो 72 रुपए की लागत पर बनाई जा सकी. बेसिक आईसीयू वेंटिलेटर 2 लाख रुपए में बनाया गया जबकि ये निर्यात होकर 10 लाख रुपए का पड़ रहा था.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में इस बात की भी तारीफ की गई है कि सभी राज्यों में कोरोना के सही फैलाव का आंकलन कर लिया गया और वो सही साबित हुआ. उसी हिसाब से सभी को जरूरी सामान मुहैया कराया जा सका. 

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इस बीच सरकार ने प्रिकॉशन डोज का डाटा भी जारी किया. जिसके मुताबिक लोगों में बूस्टर डोज को लेकर जागरूकता की कमी है. लोगों को आगे आना चाहिए. हालांकि आजादी के अमृत महोत्सव पर सरकारी अस्प्तालों में प्रिकाशन डोज फ्री करने से तेजी आई, लेकिन अभी भी कम है. कुल 15 करोड़ डोज से 10 करोड़ प्रिकॉशन डोज फ्री होने के बाद लगी है.

किसको कितनी लगी है प्रिकॉशन डोज़

उम्र - 18-59 साल
77 करोड़ लोग योग्य
11.96 फीसगी ने लगवाई प्रिकॉशन डोज
60+ जिसमें स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता शामिल हैं

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