WPI and CPI Inflation: महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए एक अच्छी खबर है.खुदरा महंगाई दर के बाद थोक महंगाई दर (WPI) में भी कमी आई है. मार्च के महीने में WPI घटकर 1.34%  पर आ गई है, जो पिछले 29 महीने में सबसे कम है. इससे पहले अक्टूबर 2020 में थोक महंगाई दर 1.31% पर थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

थोक महंगाई दर के आकड़े
थोक महंगाई दर के आकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी 2023 में थोक महंगाई दर 4.73 प्रतिशत और फरवरी में 3.85 प्रतिशत पर थी. वहीं साल 2022 के मार्च महीने में थोक महंगाई दर 14.63 प्रतिशत थी.


खुदरा महंगाई दर
थोक महंगाई दर से पहले खुदरा महंगाई दर के आकड़ें जारी किए गए थे, जो 15 महीने के निचले स्तर पर रही है. फरवरी 2023 में ये 6.44 प्रतिशत थी, जो कम होकर मार्च 2023 में 5.66 प्रतिशत पहो गई. वहीं साल 2022 के मार्च महीने में इसका स्तर 6.95 प्रतिशत पर था.


ये भी पढ़ें- Akshaya Tritiya Upay: अक्षय तृतीया के इन उपायों से भर जाएगा भंडार, सालभर होगी 'धनवर्षा' 


कैसे तय होती है महंगाई दर
महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिए तय किया जाता है, इसके आकड़ों से थोक और खुदरा महंगाई की दर पता चलती है. थोक महंगाई दर खाने-पीने के सामान, नॉन-फूड आर्टिकल्स, मिनरल्स, रबर, टेक्सटाइल्स सहित कई सामान की कीमतो के आधार पर तय होती है. वहीं खुदरा मूल्य सूचकांक क्रूड ऑयल, कमोडिटी प्राइस सहित कई उन चीजों पर भी निर्भर करता है, जिनका हम इस्तेमाल नहीं करते हैं.


कैसे बढ़ते हैं चीजों के दाम
महंगाई का बढ़ना या कम होना किसी भी सामान की डिमांड पर निर्भर करता है, अगर किसी सामान की डिमांड बढ़ेगी और उसकी सप्लाई नहीं हो पाएगी तो उसके दाम बढ़ेंगे. वहीं अगर चीजों की डिमांड के साथ ही उनकी सप्लाई भी होती रहती है तो दाम बढ़ने की संभावना कम होती है. 


WPI का आम आदमी पर कैसे असर होता है?
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने पर प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं. सरकार WPI को कम करने के लिए केवल टैक्स को कम कर सकती है. जैसे कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी की कटौती करती है.