Yamunanagar Hindi News: कोई भी लक्ष्य निर्धारित किया जाए और उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत की जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है. यमुनानगर की 23 वर्षीय कशिश अग्रवाल सिविल जज जूनियर डिवीजन बनकर यह साबित किया.
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Yamunanagar News: हौसलों में उड़ान हो तो कोई भी सपने को पूरा किया जा सकता है. इस उदाहरण को सच यमुनानगर के एक छोटे से कस्बे सरस्वती नगर की रहने वाली कशिश अग्रवाल ने कर दिखाया है. कशिश अग्रवाल ने 23 साल की उम्र में ही ज्यूडिशरी का एग्जाम पास कर जज बन गई है. जिससे यमुनानगर जिले के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन हुआ है. घर में इसको लेकर खुशी का माहौल है और परिवार अपनी बिटिया की इस उपलब्धि पर गर्व भी महसूस कर रहा है.
उत्तर प्रदेश ज्यूडिशल सर्विसेज में यमुनानगर की कशिश अग्रवाल ने 30 वा रैंक हासिल करके अपने परिवार और यमुनानगर का नाम रोशन किया है. कशिश अग्रवाल को जल्दी ही सिविल जज जूनियर डिवीजन में नियुक्ति मिलेगी. कशिश अग्रवाल का परिवार अपनी बिटिया पर गर्व महसूस कर रहा है और परिवार में खुशियों का माहौल है.
बता दें कि यमुनानगर के सरस्वती नगर की रहने वाली कशिश अग्रवाल के परिवार में कोई भी वकील या जज नहीं है. इसके बावजूद छठी कक्षा में कशिश अग्रवाल ने जज बनने का लक्ष्य रखा था. जिसे पूरा करने के लिए कशिश ने दिन-रात एक कर दिया. कशिश ने हमेशा टॉप किया है. कशिश की स्कूली शिक्षा डीपीएस यमुनानगर में हुई और मुलाना विश्वविद्यालय में बीए एलएलबी पूरी करने के बाद उत्तर प्रदेश ज्यूडिशल सर्विसेज का एग्जाम दिया.
इस एग्जाम के लिए 80000 युवाओं ने आवेदन किया था, जिसमें से 50000 लोगों ने पेपर दिए और उनमें से 3145 का मेन में सिलेक्शन हुआ. सिलेक्टेड आर्भियार्थियों में से 959 युवाओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, जिसमें कशिश का 30वा रैंक आया है. अब कशिश को जल्दी ही सिविल जज जूनियर डिवीजन में नियुक्ति मिलेगी. कशिश के इस प्रयास के लिए पूरा परिवार गर्व महसूस कर रहा है. कशिश के माता-पिता, दादा, नाना को अपनी इस बिटिया पर गर्व है. उनका कहना है कि बिटिया ने लगातार मेहनत की 18-18 घंटे लगातार पढ़ाई की.
वहीं कशिश का कहना है कि उसने छठी कक्षा में जज बनने का सपना देखा था और लक्ष्य निर्धारित किया. अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने पूरा हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट वर्क किया. 23 वर्षीय कशिश अग्रवाल का कहना है कि पूरे परिवार ने उसका सहयोग किया. परिवार में हालांकि कोई वकील या जज नहीं है, लेकिन कशिश की मां का वकील बनने का सपना था जोकि पूरा न हो सका. हालांकि अब उस सपने को कशिश ने जज बनकर पूरा कर रही है.
वहीं परिवार के लोग कशिश की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं और परिवार के लोगों को रिश्तेदार भी शुभकामनाएं और बधाई देने पहुंच रहे हैं. दादा और नाना के आंखों में खुशी के आंसू नजर छलक पड़े. उनका कहना है कि आज उनकी बिटिया ने उनका सिर ऊंचा उठा दिया है. परिवार के लोगों ने बताया के कशिश के सफलता के पीछे उसके नाना का बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि उसके नाना हमेशा ही कशिश को सही रास्ता चुनने के लिए पुशअप करते रहते हैं.
Input: Kulwant Singh