Yamunanagar News: यमुनानगर के गांव टोपरा खुर्द का किसान नवीन सैनी ने इंजीनयिंरग करने के बाद नौकरी की, लेकिन नौकरी में भविष्य नहीं दिखा तो आधुनिक खेती में हाथ आजमाया और ये खेती उन्हें रास भी आ गई. नवीन सैनी शुरू में सिर्फ 1 एकड़ में प्रोजेक्ट लगाकर हर महीना 50-60 हजार रुपये कमा रहे थे.


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केंद्र व प्रदेश सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार आये दिन किसानों को सहायता देने में लगी हुई है. इसमें सरकार काफी हद तक सफल होती नजर भी आ रही है. केंद्र और हरियाणा सरकार किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आधुनिक खेती की और अग्रसर कर रही है ताकि किसान खुशहाल हो सके.


इंजीनियर बना किसान
यमुनानगर जिले के गांव टोपरा खुर्द का किसान नवीन सैनी इसका एक उदाहरण हैं. नवीन कुमार बीते 4 साल से मशरूम की खेती कर रहा है वो भी आधुनिक तरीके से और इसमें सरकार उनका भरपूर सहयोग कर रही है. स्कूल के दिनों से इंजीनियर बनने का सपना पाले बैठा नवीन कुमार अब प्रगतिशील किसान की पहचान के तौर पर जाना जाने लगा है. यमुनानगर से इंजीनियरिंग की और नौकरी के लिए गुरुग्राम की तरफ रुख किया, लेकिन वेतन में ज्यादा मेहनत का फल मिलता नजर नहीं आया तो उन्होंने वापस गांव की तरफ रुख कर लिया और रिश्तेदार से जानकारी लेकर खुद को किसान बनने की ठानी. उस वक्त इरादा साफ नहीं था कि किसानी में करना क्या है, लेकिन आसपास और रिश्तेदारों ने जब उन्हें मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया तो उन्होंने इसमें दिलचस्पी दिखाई, लेकिन इस काम के लिए उन्हे निवेश के लिए पैसे की जरूरत थी तो बैंक से लोन लिया और सरकार की तरफ से 40 फीसदी की सब्सिडी मिली.


AC लगाकर खेती
नवीन सैनी बताते हैं कि उन्होंने दो यूनिट में मशरूम के करीब 5 हजार बैग रखे हैं. पहले एक यूनिट तैयार की, जिससे मुनाफा देख नवीन कुमार ने जल्द ही दूसरी यूनिट में भी बैग लगा दिए, लेकिन मशरूम के उत्पादन के लिए हमेशा तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस तक रखना अनिवार्य होता है. इसके लिए उन्होने सेंट्रल एयर कंडीशनर लगाया. नवीन कुमार बताया कि 1 महीने में उनके बिजली का बिल 1 लाख से डेढ़ लाख तक आता है और विकल्प के तौर पर जनरेटर का भी इस्तेमाल किया जाता है. मशरूम के उत्पादन के लिए खाद की भी जरुरत होती है. उसका भी स्टॉक उपलब्ध है. मच्छर मक्खी को मारने के लिए भी एक अच्छा जुगाड़ बनाया है. रोजाना नवीन कुमार मशरूम की कटिंग करके लोकल बाजार में मशरूम को बेचते है. अगर ज्यादा मशरूम बेचनी है तो वो चंडीगढ़ या फिर देहरादून या दिल्ली बेचने जाते हैं.


सरकारी खर्चे पर किसानों की हो रही ट्रेनिंग
यमुनानगर हार्टिकल्चर विभाग के अधिकारी कृष्ण कुमार ने बताया कि हम किसानों को न सिर्फ समय-समय पर जागरुक कर रहे हैं. बल्कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग देने के लिए करनाल भी सरकारी खर्चे पर भेजते हैं. नवीन सैनी का जिक्र करते हुए कृष्ण कुमार ने बताया कि वो बड़ी ही शिद्दत और मेहनत से काम कर रहे हैं. उन्हें इसका परिणाम भी मिल रहा है.


इस प्रोजेक्ट में 50 लाख रुपये की लागत आई है. हांलाकि सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलने के बाद उनके ऊपर आर्थिक बोझ काफी हद तक कम हो गया है. अब नवीन सैनी के हौसले बुलंद है.


Input: Kulwant Singh