Delhi Violence: जब दंगाइयों ने बैरिकेड पर मारी टक्कर, 10 फीट उछल कर पुलिसकर्मी पर गिरा; फिर जो हुआ
गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर दंगाइयों ने देश की राजधानी में जमकर बवाल किया. लाल क़िला (Red Fort) पर अपना झंडा फहरा दिया लेकिन दिल्ली के शाहदरा बॉर्डर पर पुलिस ने दंगाइयों को घुसने नहीं दिया. जान पर खेल कर दंगाइयों को उल्टे पैर भागने पर मजबूर कर दिया.
नई दिल्ली: दिल्ली में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन किसानों की शक्ल में आए दंगाइयों ने जमकर बवाल किया. लेकिन एक बॉर्डर ऐसा भी रहा जहां किसानों की शक्ल में पहुंचे दंगाइयों को पुलिस ने खदेड़ दिया. पुलिसकर्मियों की जान पर बन आई लेकिन दंगाइयों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया. दिल्ली के शाहदरा बॉर्डर पर पुलिस की सख्ती की चलते दंगाई ट्रैक्टर लेकर वापस भागने को मजबूर हुए.
कार से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश
दिल्ली के शहादरा डिस्ट्रिक्ट के एडिशनल डीसीपी संजय कुमार सेन और अंडर ट्रेनी IPS मृदुल यादव और उनके स्टाफ ने मिलकर चिंतामणि चौक से दंगाइयों को दिल्ली में आगे नहीं आने दिया. पुलिस स्टाफ जब रोकने की कोशिश कर रहा था. उस दौरान एक दंगाई ने कार से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश भी की लेकिन बाल-बाल बच गए. दंगाई तय रूट से न जाकर जबरन दिल्ली में घुसने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने जब लाठीचार्ज और टीयर गैस का इस्तेमाल किया तब दंगाई काबू में आये.
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दंगाइयों ने ट्रैक्टर से बैरिकेड पर मारी टक्कर
किसानों की शक्ल में आये दंगाइयों को चिंतामणि चौक से दिल्ली की सीमा (Delhi Border) में और अंदर आने से रोकने के लिए बैरिकेड लगाए गए थे. दंगाई बैरिकेड तोड़ कर अंदर आने की कोशिश कर रहे थे. शाहदरा डिस्ट्रिक्ट (Shahdara) के एडिशनल डीसीपी संजय सेन के पीएसओ हवलदार वीरपाल सिंह जब इन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे तब दंगाइयों ने तेज स्पीड से ट्रैक्टर चलाकर बैरिकेड पर मारा. वो बैरिकेड 10 फीट हवा में उछलकर हवलदार वीरपाल के ऊपर जा गिरा. उसका प्रेशर इतना था कि वो मौके पर ही बेहोश हो गए. गनीमत रही कि उन्होंने बॉडी प्रोटेक्टर पहन रखा था जिसकी वजह से उनकी जान बच गई. तभी एडिशनल डीसीपी संजय सेन और उनके स्टाफ ने वीरपाल के बॉडी प्रोटेक्टर को हटाकर उनके जूते उतारकर उनके हाथ और पैर को मसला और चेस्ट पर पम्प भी किया. जल्द ही वीरपाल को अस्पताल पहुंचाया गया, जिसकी वजह से उनकी हालत अब ठीक है. Zee News से बातचीत में वीरपाल ने बताया कि मैं कैसे बच गया मुझे नहीं मालूम और मैं वो मंजर याद कर अब भी सहम जाता हूं.
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