(कमलाक्ष्य भट्टाचार्य) कोलकाता: हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है. ये 9 दिन मां आदिशक्ति को समर्पित होते हैं, जिसमें उनके 9 अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां दुर्गा पूजा को किसी पर्व की तरह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इसके पर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. यही कारण है कि करीब 3 महीने पहले से ही बंगाल में मां दूर्गा की मूर्तियां बनाने का काम शुरू हो गया है.


3 महीने पहले से शुरू हुई तैयारियां


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ये बात अलग है कि इस साल भी कोरोना वायरस महामारी के चलते ये पर्व धूमधाम से नहीं मनाया जा सकेगा. पहले की तरह बड़े-बड़े पूजा पंडाल नहीं लगाए जा सकेंगे. लेकिन फिर भी मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले शिल्पकारों ने जज्बे ने हार नहीं मानी है. वो बड़ी मूर्तियों के साथ छोटी मूर्तियों भी बना रहे हैं. ताकि लोग अपने श्रद्धा और माहौल के अनुसार माता की पूजा अर्चना कर सकें. कुछ शिल्पकारों का कहना है कि इस बार विदेश में दुर्गा प्रतिमाओं की भारी डिमांड है, जिसके चलते उन्हें अपनी सारी चिंताएं दूर होती नजर आ रही हैं.


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जर्मनी और न्यू जर्सी से ज्यादा डिमांड


शिल्पकारों का कहना है कि सबसे ज्यादा डिमांड न्यूज र्सी शहर है. डिमांड इतनी ज्यादा है कि अभी तक हम सिर्फ कुछ ही परसेंट ऑर्डर पूरा कर पाए हैं. फिलहाल जैसे-जैसे मूर्तियों का ऑर्डर तैयार हो रहा है, वे तुरंत ही उन्हें विदेशों के लिए रवाना कर रहे हैं. वहीं दुर्गा प्रतिमाओं का गढ़ कहे जाने वाले कुमोरटुली से अब एक ही दिन में जर्मनी के बर्लिन एवं US के न्यू जेर्सी में फाइबर से बनी दुर्गा प्रतिमायें रवाना होने को तैयार हैं. प्लाईवुड के बॉक्स में जहाज पर लादकर इन प्रतिमाओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम शुरू हो गया है जो 50 दिन बाद बर्लिन और न्यू जर्सी पहुंच जाएंगे.


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