नई दिल्‍ली: हमने आपको DNA में लोकतंत्र की दुकान चलाने वाले अमेरिका के एक पुराने NGO, Freedom House के बारे में बताया था. आज़ादी और लोकतंत्र शब्द की मार्केटिंग करने वाले इस एनजीओ ने भारत की छवि खराब करने की कोशिश की है.  Freedom House ने भारत को ऐसा देश बताया है, जहां लोगों के लिए आज़ादी बेहद कम है. 


रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया दुष्‍प्रचार


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Freedom House की इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने भी दुष्प्रचार बताया है. सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट गलत है, भ्रामक है और झूठी जानकारी देने वाली है.


फ्रीडम हाउस का मक़सद क्या है? 


इस NGO ने वर्ष 2020 के लिए दुनिया के 210 देशों की रेटिंग्‍स जारी की है. इन रेटिंग्‍स में भारत को स्वतंत्र देश से आंशिक रुप से स्वतंत्र देश की श्रेणी में डाला गया है. फ्रीडम हाउस का मक़सद क्या है? ये आप इस बात से समझ सकते हैं कि इस रिपोर्ट में कश्मीर को भारत के नक्शे से अलग करके दिखाया गया है और कश्मीर को भारत से अलग रेटिंग दी गई है. इसे 'नॉट फ्री' की श्रेणी में रखा गया है. यानी जहां न तो राजनीतिक स्वतंत्रता है और न ही नागरिकों के अधिकार सुरक्षित हैं. लेकिन हम आपसे कहना चाहते हैं कि इसके पीछे की कहानी कुछ और है. 



 2018 में कश्‍मीर को माना था आंशिक रूप से स्‍वतंत्र


असल में जब इस NGO ने 2018 का Global Freedom Index जारी किया था तो कश्मीर को आंशिक रूप से स्वतंत्र माना था. लेकिन उसके एक साल बाद ही इस एनजीओ ने कश्मीर को 'नॉट फ्री' की श्रेणी में डाल दिया और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि, 2019 में भारत सरकार ने संवैधानिक प्रक्रिया के तहत जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था. यानी इस रेटिंग से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर ये एनजीओ पहले से ही भारत के ख़िलाफ़ है और कश्मीर की रेटिंग्‍स भारत से अलग करके दिखाना और उसे भारत के नक्शे से काट देना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.