Karwa Chauth Vrat Niyam: करवा चौथ की रात संभोग करना चाहिये या नहीं, जानें सनातन धर्म की मान्यताएं
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Karwa Chauth Vrat Niyam: करवा चौथ की रात संभोग करना चाहिये या नहीं, जानें सनातन धर्म की मान्यताएं

Karwa Chauth Vrat Niyam: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और उनकी सलामती के लिए रखती है. लेकिन यह व्रत पूरे विधि-विधान और नियमों से रखा जाना चाहिये. ऐसे में अक्सर कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि व्रत की रात शादीशुदा जोड़े को संभोग करना सही होता है या गलत?

Karwa Chauth Vrat Niyam: करवा चौथ की रात संभोग करना चाहिये या नहीं, जानें सनातन धर्म की मान्यताएं

Karwa Chauth 2024: संतान धर्म में करवा चौथ का व्रत विशेष महत्व होता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से पूजन करने और कथा सुनने से महिलाओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और करवा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार के दिन मनाया जा रहा है. हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करती हैं.

करवा चौथ की रात संभोग करना सही या गलत?
करवा चौथ व्रत से जुड़े कुछ सवाल भी लोगों के मन में रहते हैं, जिनमें एक प्रमुख सवाल यह होता है कि क्या इस दिन रात में पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाना चाहिये या नहीं. 

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क्या कहते हैं धर्म शास्त्र
ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी की शुभता और दीर्घायु से जुड़ा होता है. इस दिन महिलाएं भगवान और चंद्रदेव की पूजा करती हैं और संकल्प लेती हैं. ऐसे में व्रत के नियमों का पालन करते हुए इस रात शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे व्रत के नियमों का उल्लंघन माना जाता है. 

संभोग करना इस व्रत के उद्देश्य के विपरीत माना जाता है, क्योंकि करवा चौथ संयम और तपस्या का प्रतीक है. शास्त्रों में इस दिन संयम रखने पर विशेष जोर दिया गया है. शारीरिक संबंधों से बचना ही व्रत का सही पालन होता है. इसलिए, इस दिन पति-पत्नी को इंद्रिय संयम का पालन करना चाहिए और मन को शांत रखते हुए गलत विचारों से दूर रहना चाहिए.

करवा चौथ व्रत का उद्देश्य पति-पत्नी के संबंधों में स्नेह, सम्मान और आत्मिक जुड़ाव को बढ़ावा देना है, और इसके लिए संयम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

Disclaimer : यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री का Zee UPUK दावा या पुष्टि नहीं करता. 

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