नई दिल्ली: आज हम उस वैचारिक संक्रमण की बात करेंगे जिसका शिकार देश की कई राजनैतिक पार्टियां हो गई हैं. उदाहरण के लिए कांग्रेस पार्टी ने जम्मू कश्मीर में DDC यानी District Devlopment Council चुनाव गुपकार गैंग के साथ लड़ने का फैसला किया है. इस गैंग में ज्यादतर वो पार्टियां शामिल हैं जो कश्मीर में धारा 370 को फिर से लागू करवाना चाहती हैं. पाकिस्तान और चीन भी जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से धारा 370 लागू कराना चाहते हैं. कांग्रेस के इस नए गठबंधन पर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि गुपकार गैंग अब ग्लोबल हो गया है. अमित शाह का कहना है कि ये गैंग चाहता है कि जम्मू कश्मीर में विदेशी ताकतें दखल दें. अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछा है कि क्या कांग्रेस इस गैंग का समर्थन करती है?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 कांग्रेस का गुपकार गैंग से हाथ मिलाना खड़े करता है कई गंभीर सवाल 
14 महीने की हिरासत के बाद रिहा हुई पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पिछले महीने तिरंगा न उठाने का ऐलान किया था. गुपकार गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए चीन से मदद मांगी थी. ऐसे में DDC चुनाव में कांग्रेस का गुपकार गैंग से हाथ मिलाना कई गंभीर सवाल खड़े करता है.



- क्या कांग्रेस कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी चाहती है?
- क्या चीन-पाकिस्तान से मदद मांगने वालों के साथ है कांग्रेस ?
- क्या कांग्रेस जम्मू कश्मीर के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है?


हालांकि कांग्रेस ने सफाई दी है कि वो गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं है. उल्टा कांग्रेस ने बीजेपी से सवाल पूछा है कि उसने महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार क्यों बनाई थी?


राजनीतिक दलों के बीच सवाल जवाब से लोकतंत्र मजबूत बनता है लेकिन सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस जैसे निर्णय ले रही है उससे यही लगता है कि वो अपनी पुरानी गलतियों से सीख नहीं ले रही है. सत्ता में भागीदारी के लिए उसे जहां मौका मिलता है, वो तुरंत गठबंधन कर लेती है. फिर चाहे वो देश विरोधी गुपकार गैंग ही क्यों न हो?


गठबंधन का नाम गुपकार क्यों रखा गया?
पिछले कई दिनों से आप जम्मू कश्मीर के गुपकार अलायंस का नाम सुन रहे हैं. आपके मन में ये सवाल भी होगा कि इस गठबंधन का नाम गुपकार क्यों रखा गया है? 4 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के आठ क्षेत्रीय दलों ने फारूक अब्दुल्ला के निवास पर एक बैठक की थी. इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित हुआ था. इसे Gupkar Declaration नाम दिया गया था. फारूक अब्दुल्ला का निवास श्रीनगर के मशहूर गुपकार मार्ग पर है और इसीलिए इसे Gupkar Declaration कहा जा रहा है.


ओबामा की किताब
कांग्रेस की राजनीति की चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हो रही है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी नई पुस्तक A Promised Land में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चतुर राजनेता बताया है.


दो दिन पहले ही हमने आपको बताया था कि इसी किताब में बराक ओबामा ने राहुल गांधी की तुलना एक नर्वस और अपरिपक्व छात्र से की थी जो विषय की जानकारी ना होने के बाद भी अपने अध्यापक को प्रभावित करने की कोशिश करता है. अब किताब के कुछ और अंश सामने आए हैं जिसमें बराक ओबामा ने लिखा है कि सोनिया गांधी ने वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के पद के लिए इसलिए चुना क्योंकि वो जानती थीं कि मनमोहन सिंह का देश में राजनीतिक जनाधार नहीं है और उनसे राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य को कोई खतरा नहीं है. ओबामा आगे लिखते हैं कि सोनिया गांधी अपने 40 वर्ष के बेटे को कांग्रेस अध्यक्ष के लिए तैयार कर रही थीं.


बराक ओबामा ने वर्ष 2010 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर आयोजित एक डिनर पार्टी का भी जिक्र किया. इस डिनर में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. बराक ओबामा किताब में लिखते हैं कि सोनिया गांधी बोलने से अधिक सुनने पर ध्यान दे रही थीं, नीतिगत मामलों पर वो बड़ी सावधानी से अपने मतभेद जाहिर कर रही थीं. बातचीत के दौरान सोनिया गांधी हर चर्चा को अपने बेटे की तरफ मोड़ देती थीं. ओबामा लिखते हैं, उनके लिए ये बात साफ हो गई थी कि सोनिया गांधी एक चतुर और तेज बुद्धि वाली महिला हैं.