नई दिल्ली: अब हम एक ऐसे सवाल का विश्लेषण करेंगे, जिसके जवाब का इंतजार देश के एक करोड़ से ज्यादा छात्रों और उनके माता-पिता को है और सवाल ये है कि क्या इस वर्ष 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं होनी चाहिए या नहीं. कई छात्र ये मांग कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए ये परीक्षाएं टाल देनी चाहिए और उन्होंने हमें इस पर हमें कई संदेश लिखे हैं. 


परीक्षाएं रद्द करने की मांग


 


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बहुत से छात्र और उनके माता-पिता चाहते हैं कि या तो परीक्षाएं रद्द कर दी जाएं या इन्हें टाल दिया जाए, लेकिन सरकार की दलील है कि ऐसा करने से छात्रों पर ये ठप्पा लग जाएगा कि वो बोर्ड की परीक्षा दिए बिना ही प्रमोट हो गए थे और भविष्य में इससे उन्हें अच्छी नौकरी मिलने में भी कठिनाइयां आएंगी.


यानी एक तरफ कोरोना वायरस का डर है तो दूसरी तरफ छात्रों के भविष्य की चिंता है. इसलिए आज हम इन दोनों ही बातों को इस विश्लेषण में समझने की कोशिश करेंगे.


महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए स्टेट बोर्ड की 10वीं और 12वीं परीक्षाओं को टाल दिया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने बाकी कक्षा के छात्रों को बिना परीक्षा दिए ही अगली क्लास में प्रमोट करने का फैसला किया है. कुछ ऐसा ही फैसला छत्तीसगढ़ ने भी लिया है. छत्तीसगढ़ में स्टेट बोर्ड की परीक्षाएं टाल दी गई हैं.


असम, तमिलनाडु और ओडिशा ने बोर्ड परीक्षाओं पर तो फैसला नहीं लिया है, लेकिन बाकी कक्षा के छात्रों को प्रमोट करने का ऐलान किया है.


इस सूची में और भी कई राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम हैं, लेकिन यहां समझने वाली बात ये है कि जिन राज्यों ने बोर्ड की परीक्षाएं टाली हैं. उनका ये फैसला सिर्फ स्टेट बोर्ड के छात्रों पर ही लागू होगा. यानी CBSE बोर्ड की परीक्षाओं पर ये फैसला लागू नहीं होगा. इसीलिए पहले ये समझना जरूरी है कि परीक्षा होगी या नहीं?.


परीक्षा होगी या नहीं?.


इस सवाल का सीधा सा जवाब ये है कि भारत सरकार परीक्षाएं कराने के पक्ष में है और CBSE ने डेट शीट भी जारी दी है. इसके तहत 4 मई से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू होंगी और जून महीने तक ये परीक्षाएं चलेंगी.


अब सवाल है कि जब कई राज्यों में मिनी लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाया गया है और लोगों से घरों पर रहने की अपील की गई है तो CBSE परीक्षाएं कैसे कराएगा?


तो CBSE की तरफ से कहा गया है कि कोरोना के खतरे को ध्यान में रखते हुए 40 से 50 प्रतिशत तक एग्जाम सेंटर्स बढ़ाए जाएंगे, ताकि परीक्षा के दौरान छात्रों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. इसके अलावा एग्जाम सेंटर्स पर जिन लोगों की ड्यूटी लगाई जाएगी, उन्हें छात्रों को कोरोना से बचाव के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी और मास्क भी सभी छात्रों के लिए जरूरी होगा. यानी CBSE की दलील है कि उसकी तैयारी पूरी है और वो परीक्षा कराने के पक्ष में है.


खबर तो ये भी है कि पिछली बार जब कोविड पीक पर था उस वक्त भी तमाम सावधानियों के साथ NEET की परीक्षाएं हुईं. इस वक्त राज्यों के साथ हालात की समीक्षा हो रही है.


पिछले साल कोरोना वायरस की वजह से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं पूरी नहीं हो पाई थीं और तब छात्र दिन विषयों की परीक्षा नहीं दे पाए थे. उनमें उन्हें पास कर दिया गया था. हालांकि इसकी वजह से CBSE और CISCE बोर्ड ने पिछले वर्ष मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की थी, जो काफी महत्वपूर्ण होती है. खास कर उन बच्चों के लिए जो परीक्षाओं में टॉप करते हैं.


देश के एक करोड़ बच्चों से जुड़ा सवाल


भारत में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के कुल छात्र एक करोड़ से ज़्यादा है, जिनमें स्टेट बोर्ड, CBSE और CISCE तीनों शामिल हैं. यानी बोर्ड की परीक्षाएं होनी चाहिए या नहीं, ये सवाल देश के एक करोड़ बच्चों और उनके माता पिता से सीधे जुड़ा है. इसलिए आज हमने देश के अलग अलग हिस्सों से इस पर छात्रों से बात की है. उनके अभिभावकों से बात की है और ये समझने की कोशिश की है कि वो क्या चाहते हैं?



 पूरे साल की मेहनत खराब होने की चिंता


 


श्रेया दसवीं की छात्रा हैं. दिल्ली के केशवपुरम के अपने घर में पूरे साल श्रेया ने ऑनलाइन पढ़ाई की है. कम्प्यूटर के सामने बैठकर शिक्षकों से लेक्चर लिए और अब बारी आई है परीक्षाओं की, तो जमकर तैयारी कर रही हैं.


CBSE ने भी 4 मई से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं करवाने का फैसला कर लिया है, लेकिन कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण ने श्रेया को अब उलझन में डाल दिया है. उलझन इस बात की है कि अगर परीक्षाएं नहीं हुई तो मेहनत बर्बाद हो जाएगी और अगर परीक्षाएं हुईं तो संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा.


वह कहती हैं कि मैं नहीं चाहती की पूरे साल की मेहनत खराब हो, लेकिन ये केस जो बढ़ रहे है, उसके वजह से बहुत कन्फ्यूजन रहता है.


कोरोना वायरस के संक्रमण का डर सिर्फ बच्चों में हो ऐसा नहीं है. श्रेया के पिता पंकज गुप्ता भी डरे हुए हैं कि संक्रमण जिस तेजी से फैल रहा है. उससे खतरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि वो ये भी मान रहे हैं कि परीक्षाएं अगर नहीं हुई तो बच्ची का साल बर्बाद हो सकता है.


श्रेया के पिता पंकज गुप्ता कहते हैं कि डर लगता है बच्चे के लिए लेकिन हमारी सरकार कोई क्लियर बात नही बता रही है.


दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से लगातार हर दिन औसतन 7-8 हजार कोरोना संक्रमित मरीज आ रहे हैं. ऐसे में कुछ अभिभावक खुलकर ये स्वीकार करते हैं कि जब स्कूलों में शिक्षक भी कोरोना संक्रमित हुए हैं तो बोर्ड परीक्षाओं के नाम पर बच्चों की जिंदगी खतरे में क्या डाली जा रही है.


एक अभिभावक मनोज शर्मा कहते हैं कि ऐसे हालात में अपनी बेटी को एग्जाम्स देने नहीं भेजूंगा. ज्यादा से ज्यादा एक साल ड्रॉप करना होगा.


सीबीएसई ने ये साफ कर दिया है कि परीक्षाओं को फिलहाल न तो टाला जाएगा न ही उन्हें रद्द किया जाएगा. इस खबर से 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी खुश हैं क्योंकि, उन्होंने पूरे साल मेहनत की है और अब मेहनत को परीक्षाओं में दिखाने का समय आ गया है. हालांकि जयपुर की नैनसी कुमावत और चेल्सी दधीच का ये भी कहना है कि पूरे साल ऑफलाइन पढ़ाई नहीं हुई है और ऑनलाइन में वो बात नहीं आती जो शिक्षकों के साथ बैठकर पढ़ने में है. ऐसे में परीक्षाओं के लिए कुछ और समय दिया जाना चाहिए था.


बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करना कोई उपाय नहीं


अभिभावक भी मानते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करना कोई उपाय नहीं है, लेकिन परीक्षाओं को सुरक्षित पूरा करवाना एक बड़ी चुनौती होगी.


कुछ शिक्षकों का मानना है कि आज जैसे हालात पहले कभी नहीं आए थे. ऐसे में CBSE के साथ साथ अभिभावकों को इस तरह की परिस्थितियों से निपटने का एक्सपीरियंस नहीं है. इसीलिए फिलहाल परीक्षाओं को टालने में ही भलाई है.


ऑफलाइन परीक्षाएं होने की स्थिति में संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा. इस तरह की स्थिति से निपटने के दो ही रास्ते हैं, या तो परीक्षार्थियों को संक्रमण से बचाए रखने के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम हों, कोविड -19 गाइडलाइंस का पालन सख्ती से किया जाए या फिर ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन किया जाए.


परीक्षाओं के रद्द होने की संभावनाएं कम 


पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर Cancel Board Exams लगातार ट्रेंड कर रहा है और कई छात्र चाहते हैं कि बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी जाएं या टाल दी जाए, लेकिन आज हम आपको ऐसी तीन वजह बताना चाहते हैं. जिनकी वजह से इन परीक्षाओं के रद्द होने की संभावनाएं कम हैं.


पहली वजह है, 10वीं और 12वीं की परीक्षा के नम्बर्स हायर एजुकेशन और नौकरियों में काम आते हैं. ऐसे में परीक्षाएं रद्द की गईं तो भविष्य में छात्रों को इसका काफी नुकसान होगा और उन्हें मुश्किलें आएंगी.


दूसरी वजह है, अगर परीक्षाएं ही नहीं होंगी तो हायर एजुकेशन में यूनिवर्सिटीज किस आधार पर छात्रों को स्कॉलरशिप देंगी. अभी कई आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब छात्र इन परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर स्कॉलरशिप लेते हैं, लेकिन परीक्षाएं नहीं हुईं तो ऐसा करना उनके लिए मुमकिन नहीं होगा.


और तीसरी वजह है, भारत में परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं कराई जा सकतीं क्योंकि, अब भी कई परिवारों में स्मार्टफोन नहीं है. ऐसे में छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा देना मुमकिन नहीं होगा. इसीलिए सेंटर्स पर जाकर परीक्षा देने ही एकमात्र विकल्प है. इसके अलावा ऑनलाइन में नकल का भी डर है. इसके अलावा अगर आपका बच्चा मेधावी है तो उसके साथ ये बहुत नाइंसाफी है.


दूसरे देशों में क्या स्थिति है?


आज आपको ये भी समझना चाहिए कि दूसरे देशों में इस विषय को लेकर क्या स्थिति है?


-ब्रिटेन में सभी हाई स्कूल और यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस एग्जाम्स पर रोक लगा दी गई है.


-फ्रांस में जो छात्र हायर सीनियर सेकेंड्री की श्रेणी में आते हैं, उनकी B.A.C परीक्षा को रद्द कर दिया गया है और ऐसा वर्ष 1808 के बाद पहली बार हुआ है. ये परीक्षाएं फ्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट Napoleon Bonaparte के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई थीं.


-इसके अलावा सऊदी अरब, मेक्सिको, कुवैत और नॉर्वे में भी कोरोना वायरस की वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया और परीक्षाएं भी टाल दी गई हैं.


-कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां परीक्षाएं ऑनलाइन करवाई जा रही हैं. इनमें ब्रिटेन भी शामिल है, जहां पहली बार छात्रों ने मेडिकल की परीक्षा ऑनलाइन दी.