नई दिल्ली: इस समय आप मीडिया में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की खबरें देख रहे होंगे और इसे लेकर कई तरह के अनुमान और आकलनों के बारे में भी आपने सुना होगा. आपको हर बार की तरह ये भी बताया जा रहा होगा कि किन-किन नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में जगह मिल सकती है, लेकिन आज हम इससे आगे बढ़ कर आपको ये बताएंगे कि इस मंत्रिमंडल के विस्तार के पीछे का असली विचार क्या है? और ये मंत्रिमंडल कैसे भारत में राजनीतिक परंपराओं को पूरी तरह बदल देगा.


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एक एक करके हम आपको मंत्रिमंडल विस्तार से जुड़ी ये बाते बताते हैं. हमें पता चला है कि मंत्रिमंडल विस्तार आज हो सकता है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा पिछले दिनों से लगातार बैठक कर रहे हैं. इसके अलावा इन बैठकों में गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल रहे थे. अब हम मंत्रिमंडल विस्तार को कुछ पॉइंट्स में बताते हैं.


OBC को बड़ा प्रतिनिधित्व


पहली बात कैबिनेट विस्तार में OBC समुदाय को ध्यान में रखा जाएगा और हमें ऐसी जानकारी मिली है कि इस विस्तार के बाद प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में 25 नेता OBC से होंगे और इतिहास में ये पहली ऐसी सरकार होगी, जिसमें OBC को इतना बड़ा प्रतिनिधित्व मिलेगा और इसलिए आप कैबिनेट विस्तार के बाद इसे देश की पहली OBC सरकार भी कह सकते हैं.


वैसे तो भारत की जनगणना में OBC की कोई कैटेगरी नहीं है, लेकिन वर्ष 1980 में मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत की 52 प्रतिशत आबादी OBC समुदाय से है. तब मंडल कमीशन ने देश की 1257 उप-जातियों को OBC में रखा था. इसके बाद वर्ष 2007 में नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन ने भी एक रिपोर्ट पेश की थी और देश में OBC समुदाय की आबादी लगभग 41 प्रतिशत बताई थी.


यानी मंत्रिमंडल विस्तार के बाद केन्द्र सरकार में देश की लगभग आधी आबादी वाले OBC समुदाय का प्रतिनिधित्व होगा, जो बहुत बड़ी बात है. यहां इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि OBC में भी किसी एक उप जाति को ही ज्यादा प्रतिनिधित्व न मिले और संतुलन बनाते हुए लगभग सभी प्रमुख उप जातियों से नेता कैबिनेट में शामिल हों.


1980 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद भारतीय राजनीति में कई पार्टियों की स्थापना हुई, जिन्होंने OBC समुदाय की राजनीति तो की और इस समुदाय के सशक्तिकरण का भी वादा किया, लेकिन सरकार में आने पर किसी एक ही उप जाति का विशेष स्थान दिया और बाकी उप जातियों को भुला दिया, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में ऐसा नहीं होगा और सभी उप जातियों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. इसके अलावा जाट समुदाय को भी सरकार में प्रतिनिधित्व मिल सकता है.


दूसरी बात कैबिनेट विस्तार में देश के दलित और आदिवासी समुदाय को भी पूरा प्रतिनिधित्व मिलेगा हमें पता चला है कि कैबिनेट विस्तार के बाद सरकार में SC और ST नेताओं की संख्या 10-10 हो जाएगी.


तीसरी बात मंत्रिमंडल विस्तार इस तरह होगा कि देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इसमें प्रतिनिधित्व मिले. यानी हर राज्य से एक या एक से ज्यादा नेता मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होगा. अभी देश में कुल 28 राज्य हैं और 8 केन्द्र शासित प्रदेश हैं. कहने का मतलब ये है कि कैबिनेट विस्तार के बाद केन्द्र सरकार में इन सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की हिस्सेदारी होगी. इसके साथ ही इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा कि राज्यों के साथ, वहां के क्षेत्रों को भी सरकार में पूरा प्रतिनिधित्व मिले. 


उदाहरण के लिए जैसे उत्तर प्रदेश एक राज्य है, लेकिन इस एक राज्य में चार बड़े क्षेत्र हैं, पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश.


देश की सबसे यंगेस्ट काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स 


चौथी बात मंत्रिमंडल विस्तार के बाद उम्र के हिसाब से ये अब तक की देश की सबसे यंगेस्ट काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स होगी. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद इस सरकार में मंत्रियों की औसत आयु सबसे कम होगी. ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में युवाओं की आबादी 65 प्रतिशत है और इस हिसाब से देखें तो ये सरकार देश के युवाओं का भी प्रतिनिधित्व करेगी.


पांचवीं बात मंत्रिमंडल विस्तार के बाद इस सरकार में पढ़े लिखे नेता सबसे ज्यादा होंगे. पूर्व राजनयिक, डॉक्टर्स और वकील इस सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे.


छठी बात इसमें महिलाओं की संख्या भी सबसे ज्यादा होगी.


सातवीं बात जिन नेताओं के पास राज्यों की राजनीति में लंबा अनुभव है, उन्हें भी इस मंत्रिमंडल में मौका मिलेगा. उदाहरण के लिए, ऐसे नेता जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं या मंत्री पद संभाल चुके हैं. इनमें असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी हो सकते हैं. यानी मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार में अनुभवी और युवा नेताओं का मिश्रण दिखेगा.


राजनीतिक दबाव, सिफारिश और चुनावों को ध्यान में नहीं रखा गया


आठवीं बात ये पहला ऐसा कैबिनेट विस्तार होगा, जिसमें राजनीतिक दबाव, सिफारिश और चुनावों को ध्यान में नहीं रखा गया है. पहले ऐसा नहीं होता था. पहले मंत्रिमंडल विस्तार राजनीतिक दबाव के कारण होते थे, सिफारिशों के आधार पर नेताओं को सरकार में जगह मिली थी और चुनावों को ध्यान में रखते हुए नए मंत्रियों को जगह दी जाती थी, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं होगा.



अभी जब कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है, तब मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री मोदी को मिलाकर कुल 53 नेता हैं, इनकी संख्या 81 तक की जा सकती है. यानी अभी सरकार चाहे तो 28 नए नेताओं को इसमें शामिल कर सकती है.


PM मोदी के मंत्रिमंडल का उद्देश्य


वर्ष 1861 में अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, लेकिन वो एक बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे और अपने जीवन में सिर्फ एक वर्ष तक ही स्कूल जा सके थे. वो आगे इसलिए नहीं पढ़ सके, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. हालांकि गरीबी को उन्होंने अपनी शिक्षा के सामने रुकावट नहीं बनने दिया और खुद से घर बैठ कर पढ़ने लगे.


उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कई तरह की नौकरियां भी की. वो पोस्ट मास्टर रहे, एक दुकान पर भी नौकरी और सरकारी सर्वे का भी काम किया. इस तरह से वो संघर्ष करते करते एक दिन वकील बन गए और वर्ष 1861 में अमेरिका के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर भी पहुंचे. 


हालांकि जब वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने और उन्होंने वहां दास प्रथा को खत्म करने की कोशिश की और गरीबों के लिए योजना लेकर आए तो अमेरिका के अमीर लोग और एलिट क्लब उनका खिलाफ चला गया.



इनमें वो जमींदार भी थे, जो उस समय अमेरिका में दास प्रथा को कायम रखना चाहते थे और तब ये लोग सोचते थे कि एक गरीब अमेरिका का राष्ट्रपति कैसे बन गया.


हमें लगता है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, जो बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे. बड़ी बात ये है कि अब्राहम लिंकन ने एलिट क्लब के विरोध के बाद भी घुटने नहीं टेके और दास प्रथा को खत्म करके माने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में भी आपको ये उद्देश्य इस बार नजर आ सकता है.


पहली बार Ministry of Co-operation का गठन


सरकार ने पहली बार Ministry of Co-operation का गठन किया है, जो ऐतिहासिक कदम है. ये मंत्रालय देश में सहकारी समितियों के उत्थान के लिए काम करेगा और उन्हें मजबूत करेगा. ये केन्द्र सरकार की समुदाय आधारित विकास योजनाओं को मजबूती देने का काम करेगा. इसके अलावा ये मंत्रालय Ease of Doing Business का भी ध्यान रखेगा. सरकार ने इसके लिए सहकार से समृद्धि का मंत्र दिया है.