नई दिल्‍ली: आजकल आपको बहुत लोग ऐसा कहते मिल जाएंगे कि कोरोना अब चला गया. कई लोगों को लगता है कि अब ना मास्क की जरूरत है और न ही वैक्सीन की. लोगों की मास्क लगाने और बार बार हाथ धोने की आदतें भी अब छूट रही हैं. इसीलिए आज हम आपको एक तस्वीर दिखाना चाहते हैं. 


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कोरोना की चपेट में आए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी 


ये तस्वीर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की है. विजय रुपाणी 14 फरवरी को गुजरात के वडोदरा में एक सभा को संबोधित कर रहे थे और अचानक मंच पर गिर पड़े. विजय रूपाणी को लगा कि शायद उनका ब्‍लड प्रेशर लो हो गया है और कमजोरी की वजह से उन्हें चक्कर आ गया है. उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया गया. जहां उनका कोरोना टेस्‍ट पॉजिटिव पाया गया.  इस टेस्ट की रिपोर्ट कल 15 फरवरी को आई.  विजय रूपाणी की तबीयत फिलहाल बेहतर है और वो डॉक्टरों की निगरानी में हैं.  लेकिन इस तस्वीर को देखकर आपको ये समझ जाना चाहिए कि कोरोना वायरस अभी गया नहीं है. देश में इस वक्त तकरीबन 1 लाख 40 हजार मरीज कोरोना वायरस संक्रमण के शिकार हैं.  


इससे बचने के लिए अभी भी कोई अचूक हथियार हमारे पास नहीं है. खुद को इस संक्रमण से बचाने के लिए अगर आप इम्‍युनिटी बढ़ाने का दावा करने वाले मल्‍टी विटामिन्‍स के भरोसे रहे हैं तो आज आप निराश हो सकते हैं. 


कोरोना वायरस के डर से पैदा हुए बाजार का इस कारोबार को फायदा


हाल ही में हुई एक रिसर्च ने ये बता दिया है कि कोरोना वायरस के डर से पैदा हुए एक बहुत बड़े बाजार ने कारोबार को फायदा पहुंचाया है, आपको नहीं. ये बाजार है, विटामिन वाली गोलियों का बाजार. हो सकता है इस वक्त आपका विटामिन की डोज लेने का टाइम हो रहा हो लेकिन अब अगली दवा खाने से पहले इस खबर को जरूर पढ़ लीजिए.


अमेरिका के Cleveland Clinic (क्लीवलैंड क्लीनिक) के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में ये दावा किया है कि विटामिन सी और जिंक जैसे मल्‍टी विटामिन्‍स खाने से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की हालत में कोई सुधार नहीं हो पाया. वैज्ञानिकों ने ये रिसर्च अप्रैल से अक्टूबर 2020 के बीच की. रिसर्च में 214 कोरोना संक्रमित मरीजों को शामिल किया गया.  इन्हें 4 हिस्सों में बांटा गया. 6 महीने तक एक ग्रुप को केवल Zinc(50 MG)दिया गया. दूसरे ग्रुप को केवल विटामिन सी (8000 MG). तीसरे ग्रुप को दोनों दिए गए, जबकि चौथे ग्रुप को कोई मल्‍टी विटामिन नहीं दिया गया. 


इस स्‍टडी में वैज्ञानिक ये देखना चाहते थे कि मल्‍टी विटामिन्‍स लेने वाले ग्रुप में कोरोना संक्रमण के लक्षणों से कितनी जल्दी राहत मिलती है. उसके बाद वैज्ञानिकों को ये भी देखना था कि मल्‍टी विटामिन्‍स लेने वाले लोग कितनी जल्दी ठीक हो गए और उनकी रिकवरी कैसी रही. लेकिन जब शोधकर्ताओं ने ये देखा कि कोरोना संक्रमित मरीजों को विटामिन की गोलियां देने से कोई फर्क ही नहीं पड़ा तो उन्होंने इसी निष्कर्ष के साथ रिसर्च को खत्‍म किया कि ये दवाएं किसी भी तरह का फायदा नहीं पहुंचा सकीं. 


बदल गए दवाओं के बाजार के सारे समीकरण 


जिंक, संक्रमण से लड़ने की ताकत बढ़ाने वाला माना जाता है.  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का दावा करने वाली ये दवा बच्चों को भी खाने की सलाह दी जाती है. विटामिन सी को इम्‍युनिटी बढ़ाने वाला माना जाता है.  विटामिन सी एंटी ऑक्‍सीडेंट भी माना जाता है  यानी वो दवा जो आपको सेहतमंद और युवा रखने में मदद करती है.  कोरोना संक्रमण में इम्‍युनिटी यानी अच्छे स्वास्थ्य की भूमिका को देखते हुए इन दवाओं को खाने की सलाह दी गई. ये दोनों ओवर द काउंटर दवाएं हैं. यानी इन्हें बिना प्रेसक्रिप्‍शन भी खरीदा जा सकता है.  लोगों ने इन दवाओं को इतना खरीदा कि इस वर्ष दवाओं के बाजार के सारे समीकरण बदल गए. 



एक फार्मा रिसर्च फर्म के आकलन के मुताबिक, 


- भारतीयों ने वर्ष 2020 में 500 करोड़ के मल्‍टी विटामिन्‍स खरीदे. 


- जिंक सप्‍लीमेंट की 93 प्रतिशत तक बढ़ गई. 54 करोड़ गोलियां भारत में खरीदी गईं. 



- विटामिन सी की सेल 110% बढ़ गई. विटामिन सी की 185 करोड़ गोलियां बिकीं. 



30 साल पहले बाजार में आए जिंक के एक पॉपुलर ब्रांड  की बिक्री ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और अक्टूबर आते आते ये सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड बन गया. जबकि डायबिटीज के इलाज में प्रयोग की जाने वाली इंसुलिन की सेल दूसरे नंबर पर रही. इंसुलिन की दवाओं ने कुल मिलाकर तकरीबन 47 करोड़ का कारोबार किया. 


अभी तक भारत में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों - डायबिटीज और दिल की बीमारियों की दवाएं सबसे ज्यादा बिकती थीं.  इस वर्ष भी ये दवाएं बिकीं, लेकिन इनकी सेल में इस वर्ष 10 प्रतिशत की बढ़त हुई और इस वर्ष बाजार पर विटामिन की गोलियों ने कब्जा किया. 



-अप्रैल से अक्टूबर के 6 महीने के समय में मल्‍टी विटामिन्‍स की सेल में 60 प्रतिशत की बढ़त हुई.


- जनवरी 2020 के महीने से विटामिन की दवाएं बिक्री के हिसाब से 53वें नंबर पर थी. 



-अप्रैल 2020 में ये 30वें नंबर पर थीं और अक्टूबर आते आते विटामिन की गोलियां देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा बन गईं. 


इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं को लेकर डॉक्टर क्‍या कहते हैं?


इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं को लेकर डॉक्टरों की राय बंटी हुई है. कुछ का मानना है कि इन्हें खाने से कोई नुकसान नहीं है इसीलिए इन्हें खा लेना चाहिए, जबकि कुछ डॉक्टरों के मुताबिक बिना जरूरत कोई भी दवा खाने से बचना चाहिए. अगर आपके पास भी इम्युनिटी बढ़ाने वाले ऐसे कई मल्‍टी विटामिन रखे हैं और आप इनका नियमित सेवन करते हैं तो आपको हमारी ये रिपोर्ट देखनी चाहिए. इसे देखने के बाद आप ये तय कर पाएंगे कि आपको इम्‍युनिटी मिली है या बस मीठी गोली. 


आज से एक साल पहले कोरोना के बारे में किसी को ज्‍यादाजानकारी नहीं थी. पर इम्युनिटी को मजबूत रखना है, ये जरूर शुरू से समझाया जा रहा था, तो लोगों ने बाजार में मौजूद इम्‍युनिटी बढ़ाने वाले नुस्खों को अपनाना शुरू किया. इन नुस्खों में बाज़ी मारी विटामिन सी और जिंक की दवाओं ने.  लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में पता लगाया है कि विटामिन सी और जिंक के इस्तेमाल से कोविड-19 से लड़ने में कोई मदद नहीं मिलती है.  रिसर्च के मुताबिक, इन दवाओं को लेने वाले और ना लेने वाले दोनों तरह के लोगों में कोई अंतर नहीं देखा गया. लेकिन कोरोना वायरस के इलाज के लिए कई दवाएं आजमाई जा रही थी.  लिहाजा अंधेरे में तीर मार रहे एक्सपर्ट्स की सलाह का फायदा दवा बाजार को जरूर हुआ. 


विटामिन की दवाओं पर लोगों का भरोसा 


विटामिन की दवाएं खाने वालों ने इस बात पर भरोसा किया कि फायदा हो या न हो नुकसान नहीं होगा,  तो खा लेने में क्या बुराई ? कोरोना संक्रमण काल में ये दवाएं फैमिली मेडिसिन बन गई.  नोएडा के रहने वाले इस परिवार में एक व्यक्ति को कोरोना हुआ तो परिवार के हर सदस्य ने विटामिन की गोलियां खानी शुरू कर दीं. 


विटामिन हमारे शरीर के लिए जरूरी होते है इसमें कोई संदेह नहीं है. पर क्या इसको सिर्फ कोरोना के डर से ले लेना सही है क्या दवाओं से इम्युनिटी आ सकती है.  इस बारे में एक्सपर्टस का मानना है कि शरीर में किसी खास विटामिन या मिनरल की थोड़ी बहुत कमी हो तो उसे खानपान बेहतर करके बदलना चाहिए लेकिन अगर ये कमी जरूरत से ज्यादा है तभी विटामिन की दवाएं लेनी चाहिए , वो भी एक निश्चित समय के लिए. 


विटामिन-सी एक जाना-माना एंटीऑक्सीडेंट है, जो इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करने में अहम भूमिका निभाता है. कुछ स्टडीज में कहा गया है कि कोल्ड की समस्या में विटामिन-सी बच्चों को 14 प्रतिशत, जबकि युवकों को 8 प्रतिशत तक राहत देता है। इसी तरह जिंक को रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाने वाला माना जाता है.


आपके शरीर में इनकी कमी है या नहीं, इसके लिए टेस्ट मौजूद हैं. इसलिए अगर आप इन दवाओं का फायदा उठाना चाहते हैं तो पहले ये जानिए कि आपको इनकी जरूरत है भी या नहीं. उसके बाद भी इन्हें लगातार न लें. कुछ महीनों के लिए लेने के बाद डॉक्टर से सलाह जरूर लें.


विटामिन सी और जिंक की कितनी मात्रा सही


विटामिन सी और जिंक की कितनी मात्रा सही होती है. अब आपको इसके बारे में बताते हैं. 


विटामिन सी का सामान्य स्तर 0.3 मिलीग्राम से 0.6 मिलीग्राम के बीच होना चाहिए. इसके लिए 18 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों को रोजाना अपने खाने में 90 मिलीग्राम से 2000 मिलीग्राम तक विटामिन सी लेना चाहिए. 


कई तरह के फलों में विटामिन सी पाया जाता है-


-एक संतरे में लगभग 70 मिलीग्राम विटामिन सी होता है.


-अमरुद में 165 मिलीग्राम विटामिन सी होता है.


-और एक कप स्‍ट्रॉबेरीज में 98 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है. 


-इसके अलावा आंवला, नींबू, टमाटर, और चुकंदर से भी विटामिन मिल सकता है.


-दालों में भी विटामिन C पाया जाता है. इसी तरह Zinc का सामान्य स्तर 70 से 290 माइक्रोग्राम होता है.


-इसे पूरा करने के लिए भोजन में रोजाना 8 से 11 मिलीग्राम जिंक लेना चाहिए. 


-100 ग्राम चिकन में 4.8 मिलीग्राम जिंक होता है. 


-100 ग्राम काजू में 5.6 मिलीग्राम जिंक होता है. 


-1 कप दूध में 1 मिलीग्राम जिंक होता है. 


-और आधा कप बेक्‍ड बीन्‍स में 3 मिलीग्राम जिंक होता है. 


जिंक ज्यादा मात्रा में नॉनवेज जैसे मछली, अंडे और सी फूड में पाया जाता है. अगर आप शाकाहारी हैं तो बीन्स, सफेद चने, कद्दू के बीज, डेयरी उत्पाद, काजू बादाम और मूंगफली जैसी चीजों से जिंक पा सकते हैं.