नई दिल्ली: लॉन्ग कोविड पर देश में एक बड़ा सर्वे हुआ है, जिसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. इस सर्वे में पता चला है कि कोरोना वायरस से ठीक हो चुके 40 प्रतिशत लोग अब भी कई तरह की समस्याओं से संघर्ष कर रहे हैं और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे चिंताजनक बताते हुए एक विशेष समूह बनाने की बात कही है, जो लॉन्ग कोविड के इलाज के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी करेगा.


लॉन्ग कोविड से संघर्ष


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आपको याद होगा पिछले दिनों मुझे भी कोरोना हो गया था और मुझे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती रहना पड़ा था. बाद में जब मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आई तो मैं फिर से काम पर लौटा और DNA करना शुरू किया और आपको भी यही लगता होगा कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका हूं और कोरोना को मैंने हरा दिया है, जबकि ये सच नहीं है. मैं भी लॉन्ग कोविड से संघर्ष कर रहा हूं और इस वजह से मेरी याददाश्त कमज़ोर हुई है और मैं अकेला नहीं हूं, जो इस तरह की समस्या से संघर्ष कर रहा हूं.


सर्वे की तीन बड़ी बातें


भारत में अब तक कोरोना से 3 करोड़ 9 लाख लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 3 करोड़ 1 लाख लोग ठीक हो चुके हैं और इन ठीक चुके लोगों में लॉन्ग कोविड की समस्या दिख रही है. यानी ये विषय काफी गंभीर है और हमें लगता है कि आज आपको इसके बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. सबसे पहले आपको इस सर्वे के बारे में बताते हैं.


इस सर्वे में तीन बड़ी बातें पता चली हैं-


पहली बात ये कि कोरोना से ठीक हो चुके 40 प्रतिशत मरीज अब भी लॉन्ग कोविड से संघर्ष कर रहे हैं.


दूसरी बात ये कि इनमें 32 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनमें ठीक होने के बाद भी इस वायरस के लक्षण दिखे हैं.


और तीसरी बात ये कि 11 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो कोरोना से तो एक साल पहले ही ठीक हो गए थे, लेकिन उनमें वायरस के लक्षण अब भी हैं.


-इन लक्षणों में सबसे प्रमुख है थकावट. इस सर्वे में सबसे ज़्यादा 12.5 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो कोरोना से ठीक होने के बाद थकावट महसूस करते हैं और ज्यादा देर तक चल फिर नहीं पाते.


-9.3 प्रतिशत ने कोविड के बाद मांसपेशियों में दर्द की शिकायत की है. जिन लोगों में कोरोना के समय गंभीर लक्षण थे, उन्हें अब भी सांस लेने में परेशानी होती है.


-और कई लोगों का कहना है कि कोविड के बाद उनमें डिप्रेशन, एंजाइटी डिसऑर्डर, नींद न आना और याददाश्त कम होने के लक्षण दिखे हैं.


स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल बड़ी वजह


इसके अलावा इस सर्वे में एक चौंकाने वाली जानकारी ये भी सामने आई है कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल लॉन्ग कोविड की वजह हो सकता है. इसमें पता चला है कि इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले 74 प्रतिशत मरीजों को स्टेरॉयड्स दिए गए, जबकि ऑक्सीजन की जरूरत 34 प्रतिशत को ही पड़ी.


अब ये सर्वे कह रहा है कि इन्हीं स्टेरॉयड्स की वजह से लोग लॉन्ग कोविड से संघर्ष कर रहे हैं. अगर सिर्फ दिल्ली की बात करें तो यहां सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 10 प्रतिशत मरीज ऐसे भर्ती हैं, जिनमें कोरोना से ठीक होने के बाद भी इस वायरस के लक्षण हैं और ये लक्षण इतने गंभीर हैं कि उन्हें अस्पताल में रहकर इलाज कराना पड़ रहा है.


लॉन्ग कोविड को कैसे हरा सकते हैं?


हालांकि आप कुछ बातों का ध्यान रखकर लॉन्ग कोविड को भी हरा सकते हैं. हम 5 टिप्स आपको देते हैं-


पहली बात कोरोना से ठीक होने के बाद अगर आपको थकवाट, मांसपेशियों में दर्द या सांस में तकलीफ होती है तो डॉक्टर से सम्पर्क करें और खुद अपने डॉक्टर न बनें.


दूसरी बात ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें और थोड़े-थोड़े समय वॉक जरूर करें, इससे फेफड़ों की क्षमता और शारीरिक क्षमता बढ़ती है.


तीसरी बात वैक्सीन जरूर लगवाएं. कई स्टडीज में ये बात सामने आई है कि वैक्सीन से लॉन्ग कोविड का असर कम हो सकता है. अभी भारत में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज वैक्सीन लगवा सकते हैं.


चौथी बात पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और आप सोने से आधा घंटा पहले योग भी कर सकते हैं, इससे आप पूरी नींद ले सकेंगे और तनाव भी कम होगा.


और पांचवीं और सबसे अहम बात आपको ये ध्यान रखनी है कि आपको कोविड से ठीक होने के बाद किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना है. अभी ये हो रहा है कि बहुत सारे लोग सोचते हैं कि वो कोरोना से ठीक हुए हैं तो कुछ तकलीफ तो उन्हें रहेगी और इस चक्कर में वो लॉन्ग कोविड को गंभीरता से नहीं लेते और ये समस्या बढ़ती चली जाती है.