DNA ANALYSIS: Coronavirus के Super Infective वैरिएंट का खतरा, दिख सकते हैं ये गंभीर लक्षण
Coronavirus New Variant: हमारा देश इस समय रिकवरी के रास्ते पर है, लेकिन क्या इस रास्ते में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट स्पीड ब्रेकर बन सकते हैं? Academy of Scientific and Innovative Research द्वारा प्रकाशित किए गए एक अध्ययन में कोरोना के दो वैरिएंट को Super Infective बताया गया है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट एक बार फिर मुसीबत को बढ़ा सकते हैं. 8 जून को देश में लगातार दूसरे दिन 1 लाख से कम नए मामले दर्ज हुए. 8 जून को 24 घंटे में देश में 92 हज़ार 596 लोग कोरोना से संक्रमित हुए जबकि एक दिन में मौत का आंकड़ा 2 हज़ार 219 रहा.
एक और अच्छी बात ये है कि कोरोना के एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में पिछले 15 दिनों में 13 लाख 54 हजार 978 की कमी आई है. देश में 24 मई को 25 लाख 81 हज़ार एक्टिव केस थे, जो अब घटकर 12 लाख 26 हज़ार रह गए हैं.
ये आंकड़े बताते हैं कि हमारा देश इस समय रिकवरी के रास्ते पर है, लेकिन क्या इस रास्ते में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट स्पीड ब्रेकर बन सकते हैं, अब हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
नए वैरिएंट Super Infective
Academy of Scientific and Innovative Research द्वारा प्रकाशित किए गए एक अध्ययन में कोरोना के दो वैरिएंट को Super Infective बताया गया है. Super Infective का मतलब है कि ये वैरिएंट मौजूदा वैरिएंट्स से ख़तरनाक और ज़्यादा संक्रामक हो सकते हैं.
इनमें पहले वैरिएंट को N440K नाम दिया गया है. अध्ययन में बताया गया है कि इस वैरिएंट की पहली बार पहचान गुजरात में हुई.
ये अध्ययन कहता है कि तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में वायरस की Genome Sequencing में ये वैरिएंट पाया गया है.
स्टडी में ये बात भी कही गई है कि इस वैरिएंट के 50 प्रतिशत मामले इन्हीं चार राज्यों में मिले हैं, जो अच्छा संकेत नहीं है. क्यों? अब इसे समझिए.
10 गुना ज़्यादा संक्रामक
इस अध्ययन में कहा गया है कि ये वैरिएंट वायरस के दूसरे वैरिएंट्स से 10 गुना ज़्यादा संक्रामक हो सकता है. इसके अलावा इस वैरिएंट से संक्रमित होने वाले मरीज़ों में 3 से 4 दिन में ही वायरस के गम्भीर लक्षण दिखे हैं. यानी ये वैरिएंट 3 से 4 दिन में ही मरीज को अस्पताल में वेंटिलेटर पर पहुंचा देता है और इसमें जान जाने का खतरा भी रहता है.
ब्रिटेन और ब्राज़ील से भारत आए लोगों के सैंपल्स में मिला वैरिएंट
अब दूसरे वैरिएंट के बारे में आपको बताते हैं. इस वैरिएंट को B11282 ((B.1.1.28.2)) नाम दिया गया है. इस वैरिएंट की पहली बार पहचान पुणे के National Institute of Virology ने की थी. तब ये वैरिएंट ब्रिटेन और ब्राज़ील से भारत आए लोगों के सैंपल्स में मिला था. यहां समझने वाली बात ये है कि कोरोना का ये वैरिएंट सबसे ज़्यादा ख़तरनाक माना जा रहा है और इसके लक्षण भी काफी अलग हैं.
दिख सकते हैं ये लक्षण
अध्ययन में बताया गया है कि इस वैरिएंट से संक्रमित होने वाले मरीज में तीन प्रमुख लक्षण दिखते हैं
इनमें पहला है, Weight Loss यानी तेज़ी से वज़न घटना.
दूसरा लक्षण है Respiratory system में Viral Replication. Viral Replication का मतलब होता है कि जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो वो अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है और इस वैरिएंट में वायरस Respiratory system यानी सांस लेने की प्रणाली में तेज़ी से अपनी बहुत सारी कॉपीज बना लेता है. इससे संक्रमित होने के 3 से 4 दिन में सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है.
और तीसरा लक्षण है फेफड़ों में जख़्म होना
हालांकि अध्ययन में ये भी बताया गया है कि अब तक पूरी दुनिया में हुई वायरस के सैंपल की जांच में से 0.5 प्रतिशत में ही ये वैरिएंट मिला है. यानी अभी ये ज़्यादा फैला नहीं है, लेकिन अगर ये फैलता है तो ज़्यादा खतरनाक और जानलेवा बन सकता है. ख़ास कर हमारे देश के लिए जो अब भी कोरोना वायरस की लहर से पूरी तरह बाहर नहीं निकला है.
वैक्सीन इन दोनों वैरिएंट्स पर कितनी प्रभावी?
अब आपके मन में भी ये सवाल होगा कि क्या कोरोना की वैक्सीन इन दोनों वैरिएंट्स पर प्रभावी है?
तो इस पर डॉक्टरों का कहना है कि अगर वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी हों तो इन वैरिएंट्स को शरीर में कमज़ोर किया जा सकता है क्योंकि, वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने से शरीर में Neutralizing Antibodies बन जाती हैं. इसलिए हम आपसे आज यही कहना चाहते हैं कि वैक्सीन ज़रूर लगवाएं और वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लें.