नई दिल्ली: नए साल के मौके पर लोग पार्टी भी कर रहे हैं और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के प्रार्थना भी कर रहे हैं क्योंकि, इन्हें लगता है कि कोरोना की वैक्सीन आ तो गई है. कुछ ही दिनों में लोगों तक ये वैक्सीन पहुंच जाएगी. हालांकि उससे पहले ही वैक्सीन के Side Effects का डर लोगों तक पहुंच गया है और आज हम इसी डर को दूर करने का प्रयास करेंगे.


वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल का मतलब क्या है?


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सबसे पहले आपको इमरजेंसी इस्तेमाल का मतलब बताते हैं. आप तक सही और सुरक्षित दवा पहुंचाने की ज़िम्मेदारी सरकार की है. दवाओं की शुद्धता का प्रमाणपत्र भारत के Drug Controller General देते हैं. इसके लिए दवा कंपनी के दावों की जांच की जाती है और इंसानों पर दवा के प्रयोग की रिपोर्ट देखने के बाद फैसला लिया जाता है कि दवा आम लोगों के इस्तेमाल लायक है या नहीं.


सुरक्षित वैक्सीन का निर्माण एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें 8 से 10 वर्ष तक का समय लगता है. वैक्सीन के ट्रायल पूरे होने से पहले ही अगर इसके इस्तेमाल करने का फैसला लिया जाए, तो इसे ही Emergency Use Authorisation कहते हैं.


कोरोना वायरस लगभग एक वर्ष पुरानी बीमारी है. इसकी वैक्सीन को तैयार करने के लिए कम समय मिला है. अभी भी इस वैक्सीन के परीक्षण और प्रयोग जारी हैं. लेकिन कोरोना एक संक्रामक और जानलेवा बीमारी है, इसका नया Strain भी सामने आया है. इसलिए इसको रोकना भी ज़रूरी है. ऐसे हालात में वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाज़त दी जाती है.


इमरजेंसी इस्तेमाल की जरूरत तब होती है, जब किसी महामारी की वजह से मौत और मरीज़ों का आंकड़ा बहुत ज़्यादा हो और वैक्सीन से नुकसान कम और फायदा अधिक हो.


इसका मतलब ये है कि आप तक पहुंचने से पहले वैक्सीन की जांच हो चुकी है. उत्पादन के समय भी इसकी जांच चलती रहेगी और इससे आपको डरने की ज़रूरत बिलकुल नहीं है. ये वैक्सीन सुरक्षित है, पर इसका असर कितना सटीक होगा, इसका आंकड़ा बदल सकता है.


Covishield वैक्सीन 69 प्रतिशत तक सफल


इस समय तक दो डोज वाली Covishield वैक्सीन के 69 प्रतिशत तक सफल होने की बात कही गई है. लेकिन ये इस वैक्सीन की Efficacy है,  Effectiveness नहीं है. Efficacy का अर्थ है ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन में हर 10 में से 7 लोगों को ठीक करने की क्षमता पाई गई है. लेकिन असल जीवन में ये जितने लोगों को ठीक करेगी. उससे इसकी Effectiveness आंकी जाएगी. आम तौर पर ट्रायल में जो लोग शामिल होते हैं वो स्वस्थ होते हैं यानी उन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं होती. लेकिन जब ये वैक्सीन देश के करोड़ों लोगों को दी जाएगी, तो इसके असली असर के बारे में पता चलेगा.


देश में कोरोना वैक्सीन पर सर्वे


भारत सरकार करोड़ों लोगों को वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रही है. लेकिन सरकार के सामने लोगों के मन से वैक्सीन के भय को दूर करने की चुनौती है. हालांकि इस बीच देश में एक सर्वे किया गया. 11 हज़ार लोगों पर की गई इस स्टडी से कुछ अच्छी बातें सामने आई हैं.



अच्छी बात ये है कि हर 10 में से 5 लोग Vaccine लगवाना चाहते हैं और वो अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं.


सर्वे में शामिल हर 10 में से 4 लोग ऐसे हैं जिनको Vaccine पर संदेह है. और वो इसके बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद ही इसे लगवाने का फैसला करेंगे.



Vaccine पर पूरी तरह से अविश्वास करने वाले इस Vaccine को लगवाना ही नहीं चाहते हैं क्योंकि, उन्हें इस पर भरोसा नहीं है. हर 10 में से एक आदमी वैक्सीन लगवाना नहीं चाहता है.



हालांकि युवा लोगों के मुकाबले, बुज़ुर्गों के मन में ज़्यादा आशंकाएं हैं और हर 10 में से 6 बुज़ुर्ग Vaccine लगवाने के पक्ष में नहीं हैं.


ये वो लोग हैं जिनके मन में कोरोना Vaccine को लेकर कई तरह की आशंकाएं है.


कोरोना वैक्सीन पर भ्रम


जो लोग कोरोना वैक्सीन से डर रहे हैं उनका डर दूर करने के लिए हम कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं. वैक्सीन के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने में ये जानकारी आपके काम आ सकती है.


जन्म के तुरंत बाद बच्चों को BCG की Vaccine दी जाती है. ये वैक्सीन आगे चलकर उस बच्चे की टीबी जैसी ख़तरनाक बीमारी से रक्षा करती है.



पर इस वैक्सीन के भी Side Effects हैं. जब भी ये टीका बच्चों को लगाया जाता है तो शरीर के उस हिस्से में एक निशान बन जाता है और वहां पर कुछ समय के लिए एक अल्सर (Ulcer) भी बन जाता है. लेकिन इस वैक्सीन का प्रभाव इतना अच्छा है कि इन छोटी-मोटी दिक्कतों को अनदेखा कर दिया जाता और है और चिकित्सा की भाषा में इसे Supervised Neglect कहा जाता है.



आपने भी देखा होगा कि बच्चों को कोई भी वैक्सीन देने के बाद डॉक्टर कहते हैं कि अगले 24 से 48 घंटों में उसे बुख़ार या दूसरे लक्षण हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि, बुखार कम समय तक रहने वाला एक छोटा Side Effect है और वैक्सीन लंबे समय तक सुरक्षा देती है.



कोरोना वैक्सीन के लिए भी आपको यही फॉर्मूला अपनाने की ज़रूरत है. चिकित्सा विज्ञान में भविष्य से पहले वर्तमान की चिंता की जाती है. वैक्सीन की मदद से आप अपने आज की रक्षा करेंगे तभी आप भविष्य को देख पाएंगे. ये वैक्सीन आपकी रक्षा करने के लिए बनाई गई है. इसलिए Side Effects की चिंता करने के बदले आपको अपने और अपने परिवार के वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए.



कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल


अब हम कोरोना वैक्सीन पर कुछ सवालों के जवाब देकर आपके भय को दूर करेंगे.


सबसे पहला सवाल है कि कोरोना Vaccine कितनी सुरक्षित है?


जवाब: Vaccine को मंज़ूरी दिए जाने से पहले हज़ारों लोगों पर इनका इस्तेमाल किया गया है. विदेशों में और भारत में भी किसी वैक्सीन को अनुमति तभी दी जाती है. जब उनके पूरी तरह से सुरक्षित होने का भरोसा हो. अब तक दुनिया भर में 30 लाख से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई गई है और उनमें से बहुत कम लोगों को ही थोड़ी बहुत दिक्कत हुई है. भारत में वैक्सीन लगाने के बाद 30 मिनट तक उन लोगों को मॉनिटर किया जाएगा. अगर किसी को कोई दिक्कत हुई तो तत्काल उसका उपाय किया जाएगा. हालांकि ऐसा होने की संभावना बहुत कम है.



लोग ये भी जानना चाहते हैं कि क्या वैक्सीन की पहली डोज के बाद ही वो कोरोना वायरस से सुरक्षित हो जाएंगे?


जवाब: नहीं. आपको वैक्सीन की दो डोज लगाई जाएंगी और दूसरी डोज लगने के 14 दिनों के बाद ही आपके शरीर में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता तैयार होगी. वैक्सीन लगवाने के बाद भी आपको Face Mask, Social Distancing और Hand Sanitizer का इस्तेमाल करते रहना होगा.



कोरोना Vaccine लगने के बाद कितने समय तक संक्रमण से रक्षा करेगी?


जवाब: अब तक की रिसर्च के मुताबिक वैक्सीन का असर 6 महीने तक रहेगा. हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये वैक्सीन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को आने वाले कई वर्षों के लिए मज़बूत कर सकती है. हालांकि अभी इस पर और रिसर्च करने की जरूरत है.



आप तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी?


अब आपको बताते हैं कि जब सरकार वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल पर फैसला लेगी तो आप तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी.


सबसे पहले केंद्र सरकार इस वैक्सीन को हवाई जहाज़ के जरिए राज्यों तक पहुंचाएगी. फिर हवाई अड्डे से इन्हें एक रेफ्रिजरेटेड वाहन में रखकर Cold Rooms तक लाया जाएगा. इसके बाद वैक्सीन को Ice Boxes में रखकर स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा. जहां इन वैक्सीन्स को 2 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जाएगा. फिर इन्हें छोटे Ice Boxes में वैक्सीनेशन कैम्पों तक पहुंचाया जाएगा और इस पूरी प्रक्रिया पर जीपीएस द्वारा नजर रखी जाएगी.


हो सकता कुछ समय बाद वैक्सीन आपके शहर में पहुंच जाए. लेकिन इस वैक्सीन के लिए आपका नंबर कब आएगा. ये भी जान लीजिए.


पहले चरण में ये वैक्सीन, डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को मिलेगी. दूसरे चरण में पुलिस कर्मियों, पत्रकारों, Sanitation Workers और 50 वर्ष से ऊपर के लोगों को दी जाएगी. तीसरे चरण में 50 वर्ष से कम के बीमार लोगों को मिलेगी.


वर्ष 2021 का सबसे शुभ और ज़रूरी काम


जब भी कोई शुभ काम होता है, तो विघ्न रोकने के लिए पूजा होती है. आप भी ऐसा ज़रूर करते होंगे. ताकि शुभ काम के रास्ते में अगर कोई बाधा आने वाली हो तो वो पहले ही रुक जाए और आपका काम बिना किसी दिक्कत के सही सलामत पूरा हो जाए. आपके पास कोरोना वैक्सीन का पहुंचना भी वर्ष 2021 का सबसे शुभ और ज़रूरी काम है और कोरोना वैक्सीन के Side Effects का डर वो विघ्न है, जो इस महामारी को पूरी तरह से ख़त्म करने के रास्ते में एक बड़ा स्पीड ब्रेकर है और आज हमने आपके इसी भय को दूर करने का प्रयास किया.