नई दिल्ली: भारत सरकार ने रूस की Sputnik V वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद WHO और बड़े बड़े देशों द्वारा मान्यता प्राप्त कोरोना वायरस की वैक्सीन्स को देश में इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है. यानी अब हमारा देश, विदेशी वैक्सीन्स का स्वागत करने के लिए तैयार है और ये एक बहुत बड़ी खबर है. इसीलिए आज हम सबसे पहले इसी का विश्लेषण करेंगे और आपको बताएंगे कि भारत सरकार के इस फैसले का क्या असर होगा?


विदेशी वैक्सीन्स को लेकर बड़ा फैसला


 


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अब तक हम यही कह रहे थे कि हमारे देश के पास एक नहीं दो-दो वैक्सीन हैं. यानी वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस के खिलाफ भारत के पास एक नहीं, दो-दो मिसाइल थीं, लेकिन फिर अचानक वैक्सीन की कमी का संकट देश में खड़ा हुआ और पिछले दो दिनों में सारे समीकरण बदल गए. पहले रूस की वैक्सीन Sputnik V को सरकार ने मंजूरी दी और कल 13 अप्रैल को विदेशी वैक्सीन्स को लेकर भी रास्ता साफ हो गया.


भारत में वैक्सीन को लेकर बनाए गए National Expert Group of Vaccine ने ये सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने मान लिया है. सरल शब्दों में कहें तो देश में टीकाकरण अभियान को रफ्तार देने के लिए सरकार ने विदेशों में बनी वैक्सीन्स के आयात का रास्ता खोल दिया है.



इन vaccines की हो सकती है एंट्री 


 


अब हम आपको ये बताते हैं कि इस फैसले के बाद कौन कौन सी वैक्सीन हैं, जिनकी भारत में एंट्री हो सकती है.


-इनके नाम हैं, Moderna, Pfizer और Johnson and Johnson. इन तीनों कंपनियों की वैक्सीन जल्द भारत में लगनी शुरू हो सकती हैं.


-इस फैसले का एक पहलू ये है कि विदेशी कंपनियों को अपनी वैक्सीन के लिए भारत में लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा. नए नियम के बाद भारत में तीन और वैक्सीन के लिए रास्ता खुल गया है.


-National Expert Group ने कहा है कि शुरुआत में ये वैक्सीन 100 लोगों को दी जाएंगी, फिर 7 दिनों तक इन 100 लोगों की निगरानी होगी और अगर सबकुछ सही होता है तो वैक्सीन का इस्तेमाल ज्यादा लोगों पर किया जाएगा. यानी आपकी सुरक्षा से कोई खिलवाड़ नहीं होगा.


देश में टीकाकरण अभियान को मिलेगी रफ्तार 


भारत में वैक्सीन को लेकर बनाए गए एक्सपर्ट ग्रुप NEGVAC यानी नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑफ वैक्सीन ने ये सिफारिश की थी जिसे सरकार ने मान लिया है. सरल शब्दों में कहें तो देश में टीकाकरण अभियान को रफ्तार देने के लिए सरकार ने विदेशों में बनी वैक्सीन के आयात का रास्ता खोल दिया है..


पूरी दुनिया में 195 देश हैं, जहां इस समय कोरोना की कुल 13 वैक्सीन इस्तेमाल हो रही हैं. इनमें भारत की को-वैक्सीन और कोविशील्ड भी है. यानी अगर इन दोनों वैक्सीन्स को इस सूची से हटा दें तो 11 वैक्सीन बचती हैं.


इनमें जिन वैक्सीन की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें पहली वैक्सीन अमेरिका की फाइजर कंपनी की है, दूसरी Johnson & Johnson कंपनी की है और तीसरी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की है. इसके अलावा मॉडर्ना की वैक्सीन भी इसमें है.


वैक्सीन का संकट 


भारत में अब तक वैक्सीन की 10 करोड़ 85 लाख डोज लगाई जा चुकी हैं, लेकिन इनमें अभी सिर्फ एक करोड़ 35 लाख लोगों को ही दोनों डोज लग पाई हैं. सोचिए, हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड़ है और इन 135 करोड़ लोगों को दोनों डोज लगानी है. यानी ये काम बिल्कुल भी आसान नहीं है. इसमें जब तक कई कंपनियां हिस्सेदार नहीं बनेंगी, तब तक वैक्सीन को लेकर ये संकट बना रहेगा.