नई दिल्ली: आपमें से बहुत से लोगों को लगता होगा कि अब कोरोना वायरस जा चुका है और जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है, लेकिन अब हम आपको एक ऐसी खबर दिखाएंगे, जिससे आपको पता चलेगा कि कैसे कोरोना ने 13 भारतीय पहलवानों का सपना एक झटके में तोड़ दिया. 


हवाई उड़ानों पर पाबंदी


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ये सभी 13 पहलवान टर्की में 2 जुलाई से 8 जुलाई के बीच होने वाली World Deaf Wrestling Championship में हिस्सा लेने वाले थे. लेकिन जैसे ही ये सभी पहलवान दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे तो इन्हें पता चला कि टर्की ने कोरोना के खतरे को देखते हुए भारत के साथ हवाई उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है और इस वजह से वो अब इस चैम्पियनशिप में शामिल नहीं हो पाएंगे.


टूटा मेडल लाने का सपना 


इस खबर ने इन मूक बधिर पहलवानों का देश के लिए मेडल लाने का सपना तोड़ दिया. इनमें 35 वर्ष के वीरेंद्र सिंह भी हैं, जिन्हें दुनिया गूंगा पहलवान के नाम से जानती है और इसी साल जब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, तो हमने इस पर एक स्पेशल रिपोर्ट भी आपको दिखाई थी.


टर्की में होने वाली World Deaf Wrestling Championship में भारत की तरफ से कई मेडल पक्के माने जा रहे थे, लेकिन टर्की के नियमों ने सबकुछ बदल दिया. अब अगर ये खिलाड़ी किसी दूसरे देश से होते हुए टर्की पहुंचते भी हैं तो उनके लिए 14 दिन क्वारंटीन में रहना अनिवार्य होगा और जब तक उनका क्वारंटीन खत्म होगा, तब तक ये चैम्पियनशिप खत्म हो चुकी होगी. यानी इन मूक बधिर पहलवानों के टर्की जाने की संभावना बहुत कम है.


खेल मंत्री से की अपील


इन खिलाड़ियों ने अब भी कोशिश नहीं छोड़ी है और केन्द्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू से इसमें दखल के लिए कहा है.


वीरेंद्र और उनके साथियों को डेफ एंड म्यूट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप खेलने के लिए टर्की पहुंचना था, लेकिन टर्की की सरकार के नए नियम के मुताबिक 1 जुलाई से भारत, नेपाल, श्रीलंका, ब्राजील और साउथ अफ्रीका से आने वाली उड़ानें रद्द कर दी गईं हैं.



अगर दूसरे देश से होकर भारत से कोई आता है तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटीन करना होगा. कुश्ती की ये प्रतियोगिता टर्की में 2 से 8 जुलाई तक होनी है. यानी इस नए नियम के आधार पर खिलाड़ी वहां पहुंच भी गए तो खेल नहीं पाएंगे.


टर्की न पहुंच पाने से दुखी हैं वीरेंद्र सिंह 


मूक बधिर कुश्ती के अंतरराष्ट्रीय अखाड़ों में देश को गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल दिलाने पद्म पुरस्कार विजेता वीरेंद्र सिंह अपनी टीम के टर्की न पहुंच पाने से दुखी हैं, लेकिन यहां भी वो हिम्मत नहीं हार रहे हैं. उन्होंने ट्वीट कर खेल मंत्री किरण रिजीजू से मामले में कोई रास्ता निकालने की अपील की है.



भारत बड़ा दावेदार 


स्पोर्टस अथॉरिटी के तहत आने वाली डेफ सोसायटी ने 15 दिन पहले ही टर्की की स्पोर्ट्स अथॉरिटी को चिट्ठी लिखकर ये कहा था कि खिलाड़ियों को क्वारंटीन से राहत दी जाए, लेकिन टर्की ने आखिरी वक्त तक इस मामले को लटकाए रखा और ऐन वक्त पर क्वारंटीन की शर्त रख दी. नतीजा ये हुआ कि खिलाड़ी 1 जुलाई की रात दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचे, लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. हालांकि अभी भी कोशिशें की जा रही हैं.


डेफ एंड म्यूट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में टर्की के अलावा भारत बड़ा दावेदार माना जाता है. खिलाड़ी के लिए खेल के मैदान से बड़ा कुछ नहीं होता. ये लोग बोल नहीं सकते, लेकिन जी न्यूज़ इनकी जुबां बना है. हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले में दखल देकर भारत के सपनों को पूरा करेगी.