नई दिल्‍ली: दिल्ली में गाड़ियों की बढ़ती संख्या एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन एक और विषय है जिसकी आजकल काफी चर्चा होती है. ये विषय है 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद देश के करोड़ों लोगों के मन में पैदा हुई राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना. आज हम इसी का विश्लेषण करेंगे क्योंकि, आज कल हमारे देश में कई नेताओं के बीच खुद को देशभक्त साबित करने की होड़ लगी हुई है. इसे आप तीन खबरों के जरिए समझिए-


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पहली खबर दिल्ली की है, जहां विधान सभा में कल 9 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का बजट पेश किया और इस बजट को नाम दिया गया, 'देशभक्ति बजट'. इस नाम के पीछे अरविंद केजरीवाल का नया राजनीतिक प्रयोग छिपा है, जिसे आप उनके बजट में किए गए तीन बड़े ऐलान से समझ सकते हैं.


पहला ऐलान है, दिल्ली में 500 जगहों पर तिरंगा झंडा लगाया जाएगा और इस पर सरकार 45 करोड़ रुपये खर्च करेगी. यानी हर दो से तीन किलोमीटर के बाद आपको दिल्ली में तिरंगा झंडा लहराता हुआ नजर आ जाएगा. 


दूसरा ऐलान है कि छात्रों के मन में राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए सरकारी स्कूलों में देशभक्ति का नया पाठ्यक्रम जोड़ा जाएगा और इसके लिए आधे घंटे का एक पीरियड भी अलग से तय होगा. 


और तीसरा ऐलान ये है कि दिल्ली सरकार एक नया सैनिक स्कूल खोलेगी और छात्रों का नेशनल डिफेंस एकेडमी में सिलेक्‍शन कराने के लिए एक अलग कार्यक्रम चलाएगी.



दिल्ली सरकार के इस बजट की सबसे बड़ी बात ये है कि इस बजट का नाम ही 'देशभक्ति बजट'  है. यानी आप कह सकते हैं कि अरविंद केजरीवाल समझ गए हैं कि हमारे देश की नब्ज़ क्या कह रही है. ये नब्ज़ बता रही है कि भारत में देशभक्ति की लहर चल रही है.


इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चंडी पाठ किया. ममता बनर्जी से पहले कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी आजकल मंदिरों के काफी चक्कर लगा रही हैं. जाहिर है कि देशभक्ति को लेकर हमारे देश की राजनीति और नेताओं का स्वभाव बदलने लगा है.


आप कह सकते हैं कि BJP के देशभक्ति वाले अवतार के बाद सारे विरोधियों को समझ आ गया है कि देश की नब्ज़ जो है, वो क्या है. भारत में देशभक्ति की लहर चल रही है और नेताओं के बीच 'मैं भी देशभक्त' कहने की होड़ लगी हुई है.