DNA ANALYSIS: सिंघु बॉर्डर पर क्यों लगाए गए भिंडरावाले के पोस्टर?
Farmers Protest: खालिस्तान समर्थकों ने किसान आंदोलन को हाईजैक कर लिया है, इसे आप हाल में सामने आई कुछ तस्वीराें से समझ सकते हैं. आज हम आपको किसान आंदोलन में खालिस्तान की एंट्री के कुछ नए सबूतों के बारे में बताएंगे.
नई दिल्ली: अब हम आपको सरकार और किसानों के बीच विवाद का विषय बने नए कृषि कानूनों पर एक विश्लेषण दिखाएंगे जो शुरू तो होता है, किसानों की बात से लेकिन खत्म खालिस्तान की मांग करने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले पर होता है. इसमें राहुल गांधी की छुट्टियों के बीच वाली राजनीति का मिश्रण भी होगा.
किसान आंदोलन का भविष्य
52 दिन से किसान, उनके परिवार, छोटे बच्चे और बुजुर्ग ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं और इनके समर्थक गर्म घरों के भीतर हैं. यहां न तो कोरोना से बचाव के नियमों का पालन हो रहा है और न ही देश को चलाने वाली संसद, सुप्रीम कोर्ट और सरकार के नियमों का. आज 9वें दौर की बातचीत के बाद भी किसान आंदोलन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया. सिर्फ इतना तय हुआ कि दोनों पक्ष 19 जनवरी को फिर संवाद करेंगे. किसान नेताओं का कहना है कि वो कृषि कानून रद्द कराना चाहते हैं इसलिए सिर्फ सरकार से बात करेंगे और इस विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके पास नहीं जाएंगे. पर सरकार कमेटी के पास भी जाने को तैयार है. यानी जिसे कानून पर आपत्ति है वो संसद से सुप्रीम कोर्ट तक को मानने से इनकार कर रहे हैं और जिसने किसानों के हित में कानून बनाया है, वो सबसे बात करने को तैयार है. ऐसे में इस आंदोलन का क्या भविष्य होगा ये कहना बहुत मुश्किल होता जा रहा है.
किसानों के बाजार चुनने की आजादी का विरोध क्यों?
किसानों का ये रुख उनके समर्थकों के लिए कई सवाल भी लेकर आता है. मसलन हर बात पर आजादी मांगने वाले किसानों को दाम तय करने और बाजार चुनने की आजादी का विरोध क्यों कर रहे हैं. पर्यावरण की रक्षा करने वाले किसानों के पराली जलाने की मांग पर उनके साथ क्यों खड़े हैं. लोकतंत्र के नाम पर सहनशीलता की वकालत करने वाले क्या ये बता सकते हैं कि सरकार से बातचीत कर रहे किसान उनके साथ खाने की सहमति तक क्यों नहीं बना पाते हैं. कल 15 जनवरी को फिर सरकार और किसान ने साथ खाना नहीं खाया. किसानों के लिए फिर लंगर का खाना आया था. हां, बातचीत में शामिल मंत्री लंच के दौरान किसानों के साथ जरूर दिखे.
किसानों से बातचीत के बाद कृषि मंत्री ने एक और बड़ी बात कही है. नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि किसानों से चर्चा, दूसरे माध्यम से भी होगी और किसी भी माध्यम से समस्या का हल निकल सकता है.
राहुल गांधी की सहूलियत वाली सियासत
किसान आंदोलन पर सुविधा से सियासत करने वाले राहुल गांधी कल फिर किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरे, लेकिन फिर भी धरने पर बैठे किसानों के बीच नहीं गए और न ही किसान आंदोलन के बारे में उनके पास कोई नई बात थी. राहुल गांधी ने लगभग वही बातें दोहराई, जो गुरुवार को उन्होंने मदुरै में जल्लीकट्टू देखने के बाद कही थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने के लिए राहुल गांधी ने कह दिया कि आजकल कोर्ट से लेकर एयरपोर्ट तक सबकुछ प्रधानमंत्री और उनके 5 लोग चला रहे हैं, इनका मकसद किसानों को खत्म करना हैं.
कृषि मंत्री ने जवाब में राहुल गांधी को उनकी पार्टी का 2019 में जारी किया गया चुनावी घोषणापत्र दिखा दिया.
आंदोलन में खालिस्तान की एंट्री के नए सबूत
अब हम आपको किसान आंदोलन में खालिस्तान की एंट्री के कुछ नए सबूतों के बारे में बताएंगे, जिससे आपको एक बार फिर ये भरोसा हो जाएगा कि सिर्फ Zee News बिना किसी दबाव और डर के सच्ची पत्रकारिता करता है. जहां देशहित की बात होती है तो हम कड़वा सच बोलने से नहीं डरते. लोगों को अच्छा लगे या न लगे, हम उन्हें उनकी सुरक्षा वाली बातें हमेशा बताते हैं. किसान आंदोलन में खालिस्तान की सोच का जो सबूत मिला है, उसे आप कुछ तस्वीरों से समझ सकते हैं. इन तस्वीरों को देखने के बाद आप मान लेंगे कि खालिस्तान समर्थकों ने किसान आंदोलन को हाईजैक कर लिया है.
ये तस्वीर पंजाब में आतंकवाद की साजिश रचने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले की है. भिंडरावाले का ये पोस्टर दिल्ली के उसी सिंघु बॉर्डर पर लगाया गया है, जहां पिछले 52 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं. हमारा ये सवाल है कि विरोध जब कृषि कानूनों का है, तो फिर आतंकवादी भिंडरावाले का पोस्टर यहां पर क्यों लगा हुआ है? लेकिन हमारे इस सवाल का जवाब देने की जगह किसान आंदोलन में हमारा विरोध किया जाता है. हमारे सहयोगियों को कवरेज करने से रोका जाता है. उनके साथ अभद्रता की जाती है.
Zee News राष्ट्रहित में दिखाता रहेगा सच
सच कड़वा होता है. सच को दिखाने की हिम्मत सभी लोगों में नहीं होती है, पर Zee News का आपसे वादा है कि हम हमेशा राष्ट्रहित में सच दिखाते रहेंगे. खालिस्तान समर्थक संगठन Sikhs For Justice लगातार भारत के खिलाफ साजिश कर रहा है. इस संगठन ने फिर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को धमकी दी है. इस संगठन ने सोशल मीडिया पर एक ऑडियो संदेश जारी किया है. हालांकि हम आपको आतंकवादियों की ये धमकी नहीं सुनवाएंगे. हम किसी आतंकवादी को राष्ट्रविरोधी साजिश के लिए Zee News के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किसी भी कीमत पर करने नहीं देंगे. पर आपको ये जरूर बताएंगे कि इस संगठन ने धमकी में क्या कहा है और वो ये है कि Sikhs For Justice ने मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि 26 जनवरी को पंजाब के किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने से नहीं रोकें, नहीं तो इसका परिणाम बुरा होगा.