नई दिल्ली: आज हम आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई रोड रेज (Road Rage) की उस घटना के बारे में बताएंगे जो इस वक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चर्चा का विषय बनी हुई है. इस घटना का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें सड़क पार कर रही एक महिला और एक कैब ड्राइवर आपस में लड़ते नजर आ रहे हैं. इस दौरान महिला ने इस ड्राइवर को एक दो नहीं बल्कि 20 से ज्यादा थप्पड़ मारे. 


पुलिस देखती रही तमाशा


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पुलिस के मुताबिक ये वीडियो 30 जुलाई का है. इसे देखकर लगता है कि महिला की इस गाड़ी से शायद टक्कर होते होते बची थी, और इसी गुस्से में इसने ड्राइवर की पिटाई कर दी. जब ये सब हो रहा था तब वहां पर ट्रैफिक पुलिस भी मौजूद थी. लेकिन पुलिस की मौजूदगी में ही ये महिला इस ड्राइवर को बहुत देर तक पीटती रही. हालांकि इस दौरान ड्राइवर ने महिला से बदसलूकी नहीं की, और चुपचाप थप्पड़ खाता रहा. उसने लड़की को कोई अभद्र शब्द नहीं कहा, उसने कोई जोर जबरदस्ती नहीं की. इतना ही नहीं, एक व्यक्ति जब बीच बचाव करने आया तो इस महिला ने उसे भी थप्पड़ मार दिया. लेकिन इसके बाद पुलिस उलटे इस कैब ड्राइवर को ही थाने ले गई और शांति भंग करने के आरोप में इसका चालान कर दिया. जबकि महिला को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया. इस महिला की उम्र 28 से 30 वर्ष के बीच बताई जा रही है.



महिला ने तोड़ा ड्राइवर का फोन


इस पूरी घटना का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि ये महिला चलते ट्रैफिक के दौरान सड़क पार करने की कोशिश कर रही थी, और इसी दौरान वो एक कैब के सामने आ गई. हालांकि कैब ड्राइवर ने समय पर ब्रेक भी लगा दिए, और महिला को चोट आने से बच गई. लेकिन फिर भी इस महिला ने कैब ड्राइवर की पिटाई कर दी. आरोप है इसी महिला ने उसका मोबाइल फोन भी तोड़ दिया.


ट्विटर पर उठी गिरफ्तारी की मांग


यही कारण था कि आज दिन में ट्विटर पर एक #Arrest Lucknow Girl ट्रेंड करता रहा, और लोग इस महिला को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे. लोगों का तर्क है कि अगर इस महिला की जगह कोई पुरुष ऐसा करता तो शायद पुलिस उसे जेल में डाल देती. लेकिन इस मामले में तुरंत ऐसा नहीं हुआ, और ये बहस छिड़ गई कि लोग ऐसे मामलों में बराबरी का अधिकार क्यों भूल जाते हैं. इस बीच बहुत सारी महिलाएं भी कैब ड्राइवर के समर्थन में आ गईं और इस महिला की गिरफ्तारी की मांग करने लगीं. आखिरकार दबाव में आने के बाद लखनऊ पुलिस ने इस मामले में आरोपी महिला के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है. 


'FIR तो ठीक, आत्मसम्मान का क्या?'


इस कैब ड्राइवर का नाम शादत अली है. आज ज़ी न्यूज ने 35 वर्ष के शादत अली से भी बात की. उनका कहना है कि महिला के खिलाफ FIR तो ठीक है, लेकिन उसके आत्म सम्मान को जो चोट पहुंची है उसका क्या होगा? हो सकता है कि ये व्यक्ति इसकी पिटाई करने वाली महिला को कभी माफ भी कर दे. लेकिन इंटरनेट की दुनिया में ये घटना जिस तरीके से दर्ज हुई है, उसके बाद इसकी यादें हमेशा के लिए मिटाना किसी के लिए संभव नहीं होगा. लोग चाहकर भी इस घटना को भुला नहीं पाएंगे, क्योंकि भूल जाने का अधिकार इंटरनेट किसी को नहीं देता.


पब्लिक प्लेस में झगड़े पर मिलती है ये सजा


वैसे भारत में अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पर या सड़क पर इस तरह से लड़ाई झगड़ा करते हैं या किसी के खिलाफ हिंसा करते हैं तो IPC की धारा 159 के तहत आपको एक महीने के लिए जेल की सजा हो सकती है, और 100 रुपये का जुर्माना भी हो सकता है. लेकिन ज्यादातर मौकों पर पुलिस सिर्फ जुर्माना लेकर अपराधी को छोड़ देती है.


किसी ने महिला को क्यों नहीं रोका?


आम तौर पर भारत के ज्यादातर कानून महिला और पुरुष में भेद नहीं करते और अपराध करने पर सबके लिए बराबर सजा का प्रावधान है. लेकिन जब इस तरह की कोई घटना होती है तो अक्सर ये बहस तेज हो जाती है कि जब कोई महिला हिंसा करती है तो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करने से बचती क्यों है? इसलिए आज पूरे देश को ये सोचना है कि हम महिलाओं को बराबरी का दर्ज देने के नाम पर क्या इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज कर सकते हैं? सबसे बड़ी बात ये है कि जब ये महिला इस ड्राइवर की पिटाई कर रही थी तो वहां पुलिस के लोग भी मौजूद थे और आम लोग भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी इस महिला को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई. क्योंकि इन सबको महिलाओं को विशेष अधिकार देने वाले कानूनों का डर था.


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