काबुल: तालिबान (Taliban) ने साफ कर दिया है कि वो अपनी सरकार के खिलाफ किसी विरोध प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं करेगा. तालिबान ने विरोध प्रदर्शन करने वालों के लिए नए नियम भी जारी किए हैं. इसके तहत विरोध प्रदर्शन करने वालों को तालिबान के न्याय मंत्रालय से 24 घंटे पहले इसकी इजाजत लेनी होगी, इतना ही नहीं प्रदर्शन का उद्देश्य, उसका स्थान और समय भी सरकार को बताना होगा और यहां तक कि प्रदर्शनों में जो नारे लगाए जाएंगे वो भी पहले से लिखकर सरकार को बताने होंगे.


तालिबान ने अमेरिका से की ये मांग


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तालिबान ने अमेरिका से अपने आतंकवादियों को Sanction List से भी हटाने की मांग की है. अमेरिका की Law Enforcement Agency FBI की Sanction List में तालिबान की सरकार के दो सदस्य हैं. एक है हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी, जिसे गृह मंत्री बनाया गया है और दूसरा है खलील उर रहमान हक्कानी, जो सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा है और अब अफगानिस्तान का नया Refugee Minister है. इन दोनों आतंकवादियों पर FBI ने 10 Million Dollars यानी 75 करोड़ रुपये का इनाम रखा है.


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इस Sanction List में होने का मतलब है कि ये आतंकवादी अमेरिका नहीं जा सकते, अमेरिका का कोई व्यक्ति या कंपनी इनके साथ किसी तरह का कोई कारोबार नहीं कर सकती और अमेरिका या अमेरिकी बैंकों में जमा उनकी सम्पत्ति जब्त हो जाएगी.


तालिबान ने दोहा शांति समझौता दिलाया याद


तालिबान का कहना है कि हक्कानी नेटवर्क के इन आतंकवादियों का अमेरिका की Sanction List में होना दोहा शांति समझौते का उल्लंघन है क्योंकि ये सभी आतंकवादी शांति समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान कतर के दोहा में मौजूद थे इसलिए यहां अमेरिका से अब ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या शांति समझौते के दौरान उसने तालिबान के आतंकवादियों को अपनी Sanction List से छूट देने पर सहमति दी थी?


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काबुल में हैं 75 करोड़ रुपये के इनामी आतंकी


अगर ऐसा है तो इससे अमेरिका का असली चरित्र पता चलता है. FBI के इस पोस्टर में ये भी लिखा है कि जो व्यक्ति या संस्था उसे इस बात की जानकारी देगा कि सिराजुद्दीन हक्कानी और खलील उर रहमान हक्कानी कहां पर छिपे हैं, उन्हें 75 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. आज हम अमेरिका को बताना चाहते हैं कि ये दोनों काबुल में हैं. क्या अमेरिका उन्हें गिरफ्तार करेगा?


तालिबान संयुक्त राष्ट्र की Sanction List से भी डरा हुआ है क्योंकि उसकी सरकार के 33 सदस्यों में से 17 सदस्यों के नाम इस सूची में हैं. इनमें तालिबान का नया प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद भी संयुक्त राष्ट्र की Sanction List में हैं. इन 17 आतंकवादियों पर आर्थिक, कारोबारी और राजनयिक प्रतिबंध लगाए गए हैं. हमारा संयुक्त राष्ट्र से ये सवाल है कि अब वो क्या करेगा?


तालिबानियों ने पंजशीर में मौजूद Northern Alliance के नेता अहमद शाह मसूद के मकबरे को भी तोड़ दिया है. अहमद शाह मसूद को पंजशीर का शेर भी कहा जाता था क्योंकि उन्होंने कभी तालिबान या किसी भी देश की सेना को पंजशीर पर कब्जा नहीं करने दिया. अहमद शाह मसूद की मृत्यु 20 वर्ष पहले वर्ष 2001 में हुई थी. उनकी हत्या अलकायदा और तालिबान के आतंकवादियों ने की थी और इसके सिर्फ 2 दिनों के बाद यानी 11 सितंबर 2001 को अलकायदा ने अमेरिका पर हमला कर दिया था जिसे आप 9/11 के हमले के नाम से जानते हैं.


दरअसल अलकायदा को ये डर था कि अगर अमेरिका ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया तो वो अहमद शाह मसूद को अपने साथ लेकर अलकायदा और तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा और अहमद शाह मसूद और उनके लड़ाकों से जीतना आसान नहीं होगा इसलिए तालिबानियों ने उन्हें पहले ही रास्ते से हटा दिया. आज अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ही पंजशीर में तालिबान के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं.


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