नई दिल्ली: कहते हैं कि जीवन क्षणभंगुर है यानी एक क्षण में खत्म होने वाला होता है लेकिन मृत्यु अटल सत्य है. ये सत्य Permanent Marker से लिखा होता है, जिसे इंसान चाह कर भी नहीं मिटा सकता और आज कल तो ऐसा लगता है कि जैसे मृत्यु का सीजन चल रहा है. केवल भारत में ही नहीं दुनिया भर में कोरोना के संक्रमण से लोगों की जान जा रही है और ऐसा लगने लगा है कि अब लोगों ने मृत्यु के साथ भी Adjust करना शुरू कर दिया है.


जीते जी अपना अंतिम संस्कार किया


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Chile में 59 साल की एक महिला ने जीते जी अपना अंतिम संस्कार कर दिया. Chile की कुल आबादी 1 करोड़ 90 लाख है और वहां कोरोना से प्रतिदिन 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. और आप कह सकते हैं कि इन मौतों के डर ने इस महिला को जीते जी मार डाला. इस महिला को लगा कि अगर उसकी मौत कोरोना से हो गई तो फिर उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाएगा क्योंकि इस बीमारी में कई लोगों की मौत के बाद उनके परिवारों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. इस महिला को भी यही डर था जिसके बाद उसने अपना नकली अंतिम संस्कार करने की योजना बनाई.


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75 हजार रुपये खर्च किये


इस नकली अंतिम संस्कार पर उसने 710 Pounds यानी 75 हजार रुपये खर्च किये. इन पैसों से उसने एक ताबूत एक दिन के लिए किराए पर लिया और इस ताबूत में ये महिला 24 घंटे तक इसी तरह लेटी रही. इस दौरान उसके परिवार के लोग और दोस्त झूठी संवेदनाएं व्यक्त करते नजर आए. इस महिला ने ये सबकुछ इस तरह से रचा कि ऐसा लग रहा था जैसे वाकई में ये अपनी मृत्यु को जिन्दा रहते हुए जी रही है. हालांकि सच्चाई ये है कि मृत्यु का अनुभव कभी भी जिन्दा रहते हुए नहीं किया जा सकता क्योंकि जिन्दगी की रेखाएं जहां से मिटनी शुरू होती हैं, वहां से मृत्यु की लकीर शुरू हो जाती है और मृत्यु से लेकर मोक्ष तक का सफर कभी भी अनुभव नहीं किया जा सकता है.


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नकली अंतिम संस्कार ने किया मशहूर


महिला का कहना है कि उसे अब सिर्फ मरना है क्योंकि अंतिम संस्कार उसने जिन्दा रहते हुए कर लिया है. हालांकि इस खबर का एक दूसरा पहलू ये भी है कि अगर इस महिला की मौत कोरोना वायरस (Coronavirus) से हो जाती और इसका कोई अंतिम संस्कार नहीं करता तो ये शायद दुनिया के लिए बड़ी खबर नहीं होती लेकिन नकली अंतिम संस्कार ने इस महिला को दुनियाभर में पहचान दिला दी और अब दुनिया के बड़े-बड़े News Channels इसका Interview कर रहे हैं और इस खबर को दिखा रहे हैं. सोचिए जो काम असली अंतिम संस्कार नहीं कर पाता, वो नकली अंतिम संस्कार ने कर दिखाया.


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