Juna Akhara: इस बार शाही स्नान की धर्मध्वजा जूना अखाड़े को ही सौंपी गई है. यानी सबसे पहले जूना अखाड़ा के संन्यासी ही सोने, चांदी, सिंहासन पर सवार होकर अस्त्र-शस्त्र के साथ राजसी स्नान के लिए निकलेगा.
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 की तैयारियां चल रही हैं. सरकार इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के विधिवत प्रबंध के लिए 20 हजार करोड़ खर्च करने जा रही है. महाकुंभ का नाम आते ही सबसे पहले नागा साधु, शाही स्नान इत्यादि की चर्चाएं सामने आती हैं. देश में 13 अखाड़े हैं. शाही स्नान के लिए इन सबके लिए समय और कार्यक्रम तय कर दिए गए हैं. इनमें नागा संन्यासियों का सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है. ये अखाड़े वैष्णव और शिव संप्रदाय के अनुयायी हैं. जूना अखाड़े के बारे में कहा जाता है कि उसके जत्थे में साढ़े पांच लाख नागा साधु हैं. इस बार के महाकुंभ में भी कहा जा रहा है कि करीब पांच हजार नए नागा संन्यासी इस अखाड़े में दीक्षा ग्रहण करेंगे. इस बार शाही स्नान की धर्मध्वजा जूना अखाड़े को ही सौंपी गई है. यानी सबसे पहले जूना अखाड़ा के संन्यासी ही सोने, चांदी, सिंहासन पर सवार होकर अस्त्र-शस्त्र के साथ राजसी स्नान के लिए निकलेगा.
पंच दशनाम जूना अखाड़ा
इसके बारे में कहा जाता है कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए जूना अखाड़े ने सबसे बड़ी सेना खड़ी की. इस अखाड़े के नागाओं ने मंदिरों-मठों की रक्षा के लिए मुगलों से लोहा लिया. शस्त्र विद्या में निपुण नागा संन्यासियों ने अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली को आगे बढ़ने से रोक दिया था. कहा जाता है कि मथुरा-वृंदावन के बाद गोकुल फतह करने के इरादे से अहमद शाह अब्दाली ने कूच किया लेकिन जूना अखाड़े के नागाओं ने अपने प्रतिरोध से उसके कारवां को आगे नहीं बढ़ने दिया. सिर्फ इतना ही नहीं जूनागढ़ के निजाम को भी भीषण युद्ध में नागाओं ने धूल चटा दी थी.
जूना अखाड़े के अतीत की अगर बात की जाए तो इसके साक्ष्य आठवीं सदी से मिलते हैं. आठवीं सदी में भैरव अखाड़े की स्थापना हुई थी. कहा जाता है कि सन 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में इस मठ की स्थापना के साथ इसको ही पंच दशनामी जूना अखाड़े के रूप में मान्यता दी गई. इस अखाड़े के लोग भगवान शिव और गुरु दत्तात्रेय को अपना इष्टदेव मानते हैं. शिव संप्रदाय के तहत जब इस अखाड़े में शामिल होने के लिए दीक्षा दी जाती है तो दशनामी परंपरा के मुताबिक गिरि, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम को लेकर 10 नाम दिए जाते हैं. किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊंचा होता है.
13 अखाड़े
जूना समेत कुल 13 अखाड़े हिंदू संतों के हैं. इनमें शिव संन्यासी संप्रदाय के 7, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 और उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं. इन अखाड़ों से जुड़े संन्यासियों का मुख्य कार्य ध्यान, तप, साधना और धार्मिक प्रवचन देना है.
शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज, प्रयागराज
2. श्री पंच अटल अखाड़ा- वाराणसी
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयागराज
4.श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती-त्रम्केश्वर, नासिक
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- हनुमान घाट, काशी
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, दशस्वमेव घाट, काशी
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरीनगर, जूनागढ़