धूमधाम से हुआ बप्पा का आगमन, यूं खुशहाल जीवन की राह दिखाते हैं विघ्नहर्ता श्री गणेश
गणेश जी को मंगल मूर्ति इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वो विघ्न हरते हैं. शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है जो नक्षत्रों की चाल से तय होता है. गणेश जी को सभी नक्षत्रों का देवता कहते हैं इसलिए शुभ कार्य का आरंभ गणेश जी की पूजा के साथ होता है.
नई दिल्ली: आत्महत्या का अर्थ होता है स्वयं की हत्या यानी अपने शरीर को नष्ट कर देना. लेकिन कई बार लोग जीते जीते अपनी आत्मा की भी हत्या कर देते हैं. जब वो दूसरों की गुलामी को स्वाकीर कर लेते हैं. कोई भी इंसान आत्महत्या तब करता है जब वो इच्छाओं के संसार में यहां वहां भागता हुआ थक जाता है और उसे उसकी मंजिल नहीं मिल पाती, लेकिन भगवान गणेश ने भगवान शिव और पार्वती की परिक्रमा करके बताया था कि आप जहां चाहें वहां खुद का नया संसार बसा सकते हैं. भगवान गणेश के लिए अपने माता-पिता की परिक्रमा करना ही संसार की परिक्रमा करने के बराबर था.
इसलिये गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर बप्पा के आगमन पर आपको भगवान गणेश के बारे में कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो आपके बहुत काम आ सकती हैं. क्या आप जानते हैं कि भारत में लोग अपनी गाड़ियों में गणेश जी की मूर्ति क्यों लगाते हैं? घरों के प्रवेश द्वार पर गणेश जी क्यों विराजमान रहते हैं? और हम सब शुभ काम से पहले श्री श्री गणेशाय नमः क्यों लिखते हैं. हम आपके लिए भगवान गणेश की सम्पूर्ण गाइड लेकर आए हैं, जो आपके जीवन को बदल सकती है और आपको बुद्धिमान बना सकती है.
खुशहाल जीवन का रास्ता
पहली बात-भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है. उनकी बुद्धि इतनी शुद्ध है कि किसी भी देवता की पूजा से पहले उनके नाम का स्मरण किया जाता है. हर पूजा पाठ और शुभ काम की शुरुआत ओम श्री गणेशाय नम: से होती है. जीवन का आधार भी बुद्धि है अगर आपकी बुद्धि बुराई और असत्य के साथ है तो यही आपके जीवन की सबसे बड़ी रुकावट बन जाएगी, लेकिन अगर आपकी बुद्धी अच्छाई और सत्य के साथ है तो कोई भी विघ्न आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.
दूसरी बात- भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं. रिद्धि और सिद्धी, रिद्धी का अर्थ है संपन्नता और सिद्धि का अर्थ है सफलता. लेकिन जीवन में आपको कितनी संपन्नता और कितनी सफलता हासिल होगी ये भी इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कैसे करते हैं.
तीसरी बात- भगवान गणेश के पुत्रों के नाम हैं लाभ और क्षेम. क्षेम का अर्थ शुभ होता है. गणेश जी के पुत्र बताते हैं कि आप जीवन में लाभ. यानी सफलता को अर्जित तो कर सकते हैं, लेकिन ये सफलता तब तक फलदायी नहीं होती जब तक आप इसे संभालकर नहीं रख पाते. इसलिए सफलता हासिल करने के बाद भी अपने पांव जमीन पर रखने चाहिए.
चौथी बात- भगवान गणेश की मानस पुत्री का नाम संतोषी है. जब आप अपनी बुद्धी और विवेक से सही मार्ग पर चलते हुए सफलता और संपन्नता हासिल करते हैं और बिना अहंकारी हुए उसे सहेजकर भी रख पाते हैं तो आपके जीवन में संतोष आता है . और भगवान गणेश की मानस पुत्री संतोषी इसी का प्रतीक हैं.
पांचवी बात- भगवान गणेश को जब पार्वती ने ये निर्देश दिए कि वो किसी को भी अंदर ना आने दें तो भगवान गणेश दरवाज़े पर खड़े हो गए और उन्होंने शिवजी तक को अंदर नहीं आने दिया. गुस्से में शिवजी ने भगवान गणेश का सिर काट दिया. यानी भगवान गणेश अपने कर्तव्य के लिए अपना शीष कटाने को भी तैयार थे. उनसे आप सीख सकते हैं कि कर्म और कर्त्व्य से ऊपर कुछ नहीं होता, जीवन भी नहीं .
गणेश जी की महिमा
जब शिवजी ने गणेश जी का सिर काटने के बाद उनके सिर के ऊपर हाथी का सिर लगाया, तब पार्वती ने कहा कि लोग इस रूप में गणेश जी की पूजा कैसे करेंगे. इसके बाद शिव जी ने वरदान दिया कि सभी देवी देवताओं में सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा होगी. इसके अलावा गणेश जी जल के भी देवता हैं और पृथ्वी पर जब कहीं कुछ और नहीं था तब चारों तरफ सिर्फ जल ही हुआ करता था.
गणेश जी को वाणी का देवता भी कहा जाता है . क्योंकि वो बुद्धी को सत्य का पालन करने की प्रेरणा देते हैं और जब आप सत्य का पालन करते हैं तो वो आपके वाक्यों को शक्ति भी देते हैं .
आपने कभी सोचा है कि कुछ भी लिखने से पहले श्री गणेशाय नमह क्यों लिखा जाता है. असल में व्याकरण में अक्षरों को गण कहा जाता हैं. गणेश जी अक्षरों के देवता हैं इसलिए उन्हें गणेश कहा गया है इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि चाहें आप कविता लिखें, बही खाता बनाएं या लिखने से जुड़ा कुछ भी काम शुरू करें उससे पहले श्री गणेशाय नमह जरूर लिखें.
गणेश जी को सभी कलाओं में निपुण माना गया है. आपको उनकी कुछ मूर्तियां ऐसी भी दिखेंगी जिसमें वो आपको वाद्य यंत्र बजाते या नृत्य करते हुए नजर आएंगे. इसलिए कला के क्षेत्र में भी सबसे पहले गणेश जी का ही स्मरण किया जाता है. गणेश जी को कवियों की बुद्धी का स्वामी भी माना गया है क्योंकि वो विचार को जन्म देते हैं और भी उसे कलात्मक तरीके से व्यक्त करने का सामर्थ्य भी देते हैं.
'मंगल मूर्ति हैं गणेश जी'
गणेश जी को मंगल मूर्ति इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वो विघ्न हरते हैं. गणपति बप्पा समृद्धि लाते हैं वहीं उन्हें मुहूर्त का भी देवता माना गया है. शास्त्रों के मुताबिक कोई भी शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है जो नक्षत्रों की चाल देखकर तय होता है. गणेश जी को सभी नक्षत्रों का देवता कहते हैं इसलिए किसी भी शुभ कार्य का आरंभ गणेश जी की पूजा के साथ होता है.
गणेश जी को सिद्धिदाता इसिलए कहा जाता है, क्योंकि गणेश जी श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक हैं. उन्हें शिव जी और पार्वती ने जन्म दिया. शिव जी को विश्वास और मां पार्वती को श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. जब तक आप किसी काम को श्रद्धा और विश्वास के साथ नहीं करते, आपको उसमें दक्षता यानी सिद्धी हासिल नहीं होती. इसलिए जब भी आप किसी काम की शुरुआत करें तो गणेश जी का स्मरण करके उसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पूरा करने का प्रण लें.
गणेश जी का वाहन चूहा है. चूहे का काम है अच्छी चीजों को कुतरना. कुतर्क शब्द कुतरने से ही बना है. अच्छी बातों और सत्य को कई लोग अपने कुतर्क से विकृत कर देते हैं. इसलिए ऐसा करने वालों पर नियंत्रण जरूरी है. गणेश जी के विशाल और चूहे के छोटे शरीर का संकेत यही है कि सुबुद्धि विशाल हो तो कुबुद्धी पर नियंत्रण किया जा सकता है.
गणेश जी की मूर्ति को वाहनों में इसलिए लगाया जाता है क्योंकि वो सभी दिशाओं के देवता माने गए हैं. इसलिए वो वाहन चलाते हुए सभी दिशाओं में आपकी रक्षा करते हैं. इसके अलावा वो रास्ते में आने वाले विघ्नों यानी दुर्घटनाओं से भी बचाते हैं.
आपके मन में ये सवाल भी होगा कि घरों और दफ्तरों के प्रवेश द्वार पर गणेश जी की मूर्ति क्यों लगाई जाती है, ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश जी देवताओ में श्रेष्ठ हैं. घरों के बाहर अक्सर ओम भी लिखा जाता है और स्वास्तिक भी बनाया जाता है, क्योंकि ये दोनों शुभकंर यानी शुभ फल देने वाले माने जाते हैं. गणेश जी को भी शुभंकर कहा जाता है, ग्रंथों में लिखा है कि ओम और स्वास्तिक भी असल में गणेश जी के ही रूप हैं इसलिए घर और दफ्तरों में प्रवेश द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है.
मंत्र और महिमा
भगवान गणेश को वक्र तुंड महा काय कहा जाता है. जिसका अर्थ है हाथी के जैसे विशाल शरीर वाले. उनका सिर, कान, नाक यानी सूंड और पेट हाथी की तरह विशालकाय है. बड़ा सिर बड़ी सोच का और छोटी बातों में समय ना गंवाने का प्रतीक है. गणेश जी के बड़े कान बताते हैं कि जीवन में बोलने से ज्यादा सुनना महत्वपूर्ण होता है. बड़ी नाक यानी उनकी सूंड बताती है कि परिस्थियों को पहले ही सूंघ लेने यानी आने वाले समय का अंदाजा पहले से लगाने की कला हम सबको विकसित करनी चाहिए.
बड़ा पेट पचाने की क्षमता का प्रतीक है. चाहे आप जीवन में धन अर्जित करें सफलता अर्जित करें, बड़ा पद हासिल करें या प्रतिष्ठा लेकिन आपके पास ये सब पचाने की क्षमता होनी चाहिए. गणेश जी पत्नियों का नाम रिद्धि और सिद्धी है. अक्सर भगवान गणेश की पूजा लक्ष्मी के साथ की जाती है, जबकि लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी है. वहीं लक्ष्मी-गणेश की पूजा एक साथ इसलिए की जाती है क्योंकि गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है जबकि देवी लक्ष्मी को धन और संपदा की देवी माना गया है. इसलिए बुद्धी के साथ धन और संपदा को अर्जित करने के लिए दोनों की पूजा एक साथ की जाती है.
'पूरी दुनिया में मौजूदगी'
भगवान गणेश सिर्फ भारत के लोगों के ही अराध्य नहीं है बल्कि उनके पद चिन्ह (Foot Prints) पूरी दुनिया में दिखाई देते हैं. गणेश जी को समर्पित प्राचीन मंदिर दुनिया के किन किन देशों में मौजूद हैं. ये आप इस नक्शे पर देख सकते हैं. गणेश जी की पूजा दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में भी होती है. इंडोनेशिया की करेंसी पर गणेश जी की तस्वीर अंकित हैं. इंडोनेशिया में ही Mount Bromo ज्वालामुखी के पास भगवान गणेश की 700 वर्ष पुरानी प्रतिमा है.
जापान में तो गणपति के 250 मंदिर हैं. जापान में गणेश जी को 'कंजीटेन' के नाम से जाना जाता है. जापानियों के लिए वो सौभाग्य और खुशियां लाने वाले देवता हैं. कई साल पहले अफगानिस्तान के पख्तियां प्रांत में गणेश जी की 5वीं शताब्दी की एक प्रतिमा मिली थी. इसी तरह से चीन, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देशों में भी गणेश जी की सैंकड़ों और हजारों साल पुरानी प्रतिमाएं मिली हैं.