DNA ANALYSIS: देशभक्ति Vs Paternity Leave, देश के लिए मैच से बड़ी पापा बनने की छुट्टी?
भारतीय क्रिकेट टीम इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रवाना होगी. जहां पहले One Day International Matches और T20 मैच खेले जाएंगे और इसके बाद 17 दिसंबर से टेस्ट सीरीज की शुरुआत होगी. लेकिन विराट कोहली (Virat Kohli) पहला टेस्ट मैच खेलने के बाद वापस अपनी पत्नी और परिवार के पास भारत लौट आएंगे.
नई दिल्ली: आज हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि क्या आपके कर्तव्य और आपके समर्पण को भी छुट्टी पर जाने का अधिकार हो सकता है? इस विश्लेषण का आधार भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को मिली Paternity leave है. Paternity leave ऐसा अवकाश है जो किसी पुरुष को तब मिलता है जब वो पिता बनता है. लेकिन यहां हम एक बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि विराट कोहली (Virat Kohli) ने कुछ भी गलत नहीं किया और हम उनकी आलोचना नहीं कर रहे हैं. वह एक महान खिलाड़ी हैं और ये बात अच्छी तरह से समझते हैं कि उन्हें अपने पेशे, देश और परिवार के बीच संतुलन कैसे बैठाना है. हम सिर्फ आज आपको सोचने के लिए एक विचार दे रहे हैं.
सरदार पटेल ने कर्तव्य को प्राथमिकता दी
इस विश्लेषण की शुरुआत हम 111 वर्ष पुरानी एक सच्ची कहानी से करना चाहते हैं. ये बात वर्ष 1909 की है जब एक दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल बंबई की एक अदालत में वकील के रूप में एक मुकदमा लड़ रहे थे. उस दौरान उनकी पत्नी झावेर बा कैंसर से पीड़ित थीं और जिस दिन मुकदमे की सुनवाई चल रही थी उसी दिन कैंसर के ऑपरेशन के दौरान उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई. तब एक व्यक्ति ने ये सूचना एक कागज में लिखकर सरदार पटेल को दी. उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु की खबर को पढ़ा और कागज के उस टुकड़े को चुपचाप अपनी जेब में रख लिया और उन्होंने अदालत में बहस जारी रखी. उस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल वो मुकदमा जीत गए और इसके बाद उन्होंने सबको अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना दी. यानी सरदार पटेल दुख के पल में भी अपने कर्तव्य और उसके प्रति अपने समर्पण के भाव को नहीं भूले और उन्होंने वकील के तौर पर अपने फर्ज को प्राथमिकता दी.
लेकिन 100 वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है और अब लोगों ने अपने कर्तव्यों और परिवार की जरूरतों के बीच संतुलन साधना सीख लिया है. उदाहरण के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने अपने पहले बच्चे के जन्म के दौरान अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ रहने का फैसला किया है और इसके लिए वो ऑस्ट्रेलिया में होने वाली टेस्ट सीरीज को बीच में छोड़कर भारत लौट आएंगे.
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BCCI ने दी Paternity Leave को मंजूरी
भारतीय क्रिकेट टीम इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए रवाना होगी. जहां पहले One Day International Matches और T20 मैच खेले जाएंगे और इसके बाद 17 दिसंबर से टेस्ट सीरीज की शुरुआत होगी. लेकिन विराट कोहली पहला टेस्ट मैच खेलने के बाद वापस अपनी पत्नी और परिवार के पास भारत लौट आएंगे. BCCI ने उनकी Paternity leave को मंजूरी दे दी है.
लेकिन 14 साल पहले 2006 में विराट कोहली जब दिल्ली की रणजी टीम के लिए खेला करते थे, तब उन्होंने खेल के प्रति समर्पण का जो भाव दिखाया था उसके बारे में भी आज आपको पता होना चाहिए. ये बात 9 दिसंबर 2006 की है तब दिल्ली की रणजी टीम का मुकाबला कर्नाटक की टीम के साथ हो रहा था. दिन की समाप्ति पर विराट कोहली 40 रन बनाकर नाबाद थे. दिल्ली की टीम पर फॉलो ऑन का खतरा था. उसी रात दिल का दौरा पड़ने से विराट कोहली के पिता की मृत्यु हो गई. तब सिर्फ 18 साल के विराट कोहली ने सुबह सुबह अपने पिता का अंतिम संस्कार किया और मैच पूरा करने के लिए वापस मैदान पर लौट आए. उन्होंने 90 रन बनाए और अपनी टीम को Follow On से बचा लिया.
लेकिन अब शायद दौर बदल चुका है, आम लोग और खिलाड़ी प्रोफेशनल हो गए हैं और सबने अपने कर्तव्यों और परिवार के बीच सामंजस्य बैठाना सीख लिया है. लेकिन एक जमाने में ऐसा नहीं हुआ करता था. इसे कुछ पूर्व क्रिकेटर्स के उदाहरण से समझिए.
एलन बॉर्डर को बेटी के जन्म की बधाई स्कोर बोर्ड के जरिए मिली थी
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर एलन बॉर्डर वर्ष 1986 में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत के ख़िलाफ़ एक टेस्ट मैच खेल रहे थे. उनकी टीम मैच को किसी तरह से ड्रॉ कराने के लिए संघर्ष कर रही थी. इसी दौरान उनकी पत्नी एक बेटी को जन्म देने वाली थीं. एलन बॉर्डर इस पल के गवाह बनना चाहते थे लेकिन वो उस समय भारत के खिलाफ अपनी टीम को जिताने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान उनकी बेटी का जन्म हो गया और तब एलन बॉर्डर को इसकी सूचना और बधाई स्कोर बोर्ड के जरिए दी गई.
गावस्कर को नहीं मिली थी इजाजत
इसी तरह वर्ष 1976 में सुनील गावस्कर न्यूजीलैंड में एक सीरीज में हिस्सा ले रहे थे. तभी उन्हें अपने पुत्र रोहन गावस्कर के जन्म की सूचना मिली. गावस्कर वापस भारत लौटना चाहते थे क्योंकि भारतीय टीम को जल्द ही अगली सीरीज वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेलनी थी. लेकिन तब BCCI ने उनको इसकी इजाजत नहीं दी. तब गावस्कर ढाई महीने बाद भारत लौटे थे और उन्होंने लंबे इंतजार के बाद पहली बार अपने बेटे रोहन का चेहरा देखा था.
उस समय वेस्टइंडीज के बॉलर्स अपनी खतरनाक गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे. गावस्कर को डर था कि कहीं अपने पुत्र को देखने से पहले वेस्टइंडीज का कोई गेंदबाज उन्हें घायल न कर दें. एक मैच में ऐसा हो भी गया था कि वेस्ट इंडीज के गेंदबाजों की बाउंसर्स ने भारतीय टीम के 5 खिलाड़ियों को घायल कर दिया था और सबको अस्पताल ले जाना पड़ा था. लेकिन उसी मैच में सुनील गावस्कर ने समर्पण का भाव दिखाया और अंशुमन गायकवाड़ के साथ 131 रनों की पार्टनरशिप की.
सचिन सिर्फ 4 दिनों में इंग्लैड वापस लौट आए
आपको वर्ष 1999 में इंग्लैंड में हुआ क्रिकेट वर्ल्ड कप जरूर याद होगा जिस दौरान सचिन तेंदुलकर के पिता की मृत्यु हो गई थी. भारत इस वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना पहला मैच हार चुका था. दूसरा मैच जिम्बाब्वे के साथ था लेकिन इसी दौरान सचिन को अपने पिता की मृत्यु की खबर मिली. सचिन भारत लौट आए और टीम जिम्बाब्वे के खिलाफ भी मैच हार गई. लेकिन अपनी टीम को मुश्किल में देखकर सचिन सिर्फ 4 दिनों में इंग्लैड वापस लौट आए और उन्होंने केन्या के खिलाफ तीसरे मैच में 140 रन की नाबाद पारी खेली और तब शतक बनाने के बाद जिस अंदाज में सचिन ने आसमान की तरफ देखकर अपने पिता को श्रद्धांजलि दी थी. उसकी तस्वीर आप इस समय देख रहे हैं.
धोनी ने देश सेवा को पर्सनल लाइफ से ऊपर रखा
इसी तरह वर्ष 2015 में जब भारत की टीम वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए ऑस्ट्रेलिया में Warm up Match खेल रही थी. तब टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के घर बेटी का जन्म हुआ. खेल पर ध्यान लगाने के लिए तब धोनी ने अपने पास मोबाइल फोन नहीं रखा था. धोनी की पत्नी ने बेटी के जन्म की सूचना टीम के साथी खिलाड़ी और धोनी के दोस्त सुरेश रैना को दी और फिर रैना ने ये खुशखबरी महेंद्र सिंह धोनी को सुनाई. उस समय जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वो इस समय भारत में नहीं रहना चाहते तो धोनी ने कहा कि इस समय मैं राष्ट्र की सेवा कर रहा हूं और बाकी सब चीजें इंतजार कर सकती हैं.
देश के सैनिक कभी नहीं भूलते अपना कर्तव्य
देश के लिए अपना कर्तव्य निभाने का अवसर सबको नहीं मिलता. इसके लिए बहुत तपस्या करनी पड़ती है. बहुत पुरुषार्थ करना पड़ता है और फिर पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज निभाना होता है. क्रिकेटर्स और आम लोग भले ही इस फर्ज को भूल जाएं लेकिन देश के सैनिकों को अपना कर्तव्य अच्छे तरीके से याद रहता है.
ऐसे ही एक सैनिक थे सुबोध घोष जो इसी महीने की 13 तारीख को LoC पर पाकिस्तान की तरफ से हुई गोली बारी में शहीद हो गए थे. शहीद सुबोध की उम्र सिर्फ 24 वर्ष थी और ड्यूटी पर तैनाती के दौरान ही उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ. वो पिछले तीन महीने से अपनी नवजात बेटी का चेहरा देखने का इंतजार कर रहे थे और वो अपनी बेटी के अन्न प्राशन में आने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन उससे पहले ही वो शहीद हो गए.
इस तरह 16 बिहार रेजीमेंट के सिपाही कुंदर कुमार 15 जून को गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई लड़ाई में शहीद हो गए थे. शहादत से 17 दिन पहले ही उनकी पत्नी ने भी एक बेटी को जन्म दिया था. लेकिन कर्तव्य निभाते हुए एक पिता ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए और देश की सेवा को सबसे आगे रखा.
वर्ष 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए CRPF के कॉन्स्टेबल रतन कुमार ठाकुर की पत्नी भी उस समय गर्भवती थीं और रतन कुमार ठाकुर अपनी पत्नी के पास पहुंचना चाहते थे. लेकिन उन्होंने भी देश के प्रति अपने कर्तव्य को सर्वोपरि माना और देश के लिए बलिदान दे दिया.
ये सारी कहानियां सुनाकर हम किसी एक व्यक्ति की आलोचना नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि चाहे आप एक खिलाड़ी हों, एक डॉक्टर हों, नेता हों या फिर एक पत्रकार हों. देश आपको बहुत कुछ देता है और देश को बाकी चीजों से पहले रखकर आप देश का कर्ज उतारते हैं.
काम के प्रति समर्पण का भाव
फाइजर और BIO N Tech नाम की कंपनियां कोरोना वायरस की जिस वैक्सीन का निर्माण कर रही हैं. उसके पीछे भी एक डॉक्टर पति-पत्नी की अथक मेहनत है.
BIO N Tech की स्थापना डॉक्टर Ugur Sahin ने अपनी पत्नी ओजलेम टुरेचा के साथ मिलकर की थी. आज की तारीख में ये पति पत्नी जर्मनी के 100 सबसे अमीर लोगों में से एक हैं. ये दंपति अपने काम के लिए इतने समर्पित हैं कि वर्ष 2002 में इन्होंने अपनी शादी के कुछ घंटों बाद ही अपनी लैब में कैंसर पर रिसर्च का काम शुरू कर दिया था और अपने काम की वजह से ये दोनों हनीमून पर भी नहीं गए. ये काम के प्रति वो समर्पण का भाव है जिसे आज हम आपको समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
जिम्मेदारी सिर्फ मां की नहीं, पिता की भी
लेकिन कुल मिलाकर अब जमाना बदल गया है. बहुत सारे लोग कहते हैं कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ मां की नहीं, बल्कि पिता की भी होती है और सभी पुरुषों को ये जिम्मेदारी निभानी चाहिए. विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा भी उनके जितनी बड़ी स्टार हैं. जाहिर है मां बनने के लिए उन्होंने भी अपने काम से समझौता किया होगा और विराट कोहली की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो इस दौरान उनके साथ रहे. लेकिन उन पत्नियों का क्या जिनके पति बड़े स्टार नहीं हैं और जिनके पति अपनी ये जिम्मेदारी समझते भी नहीं है.
लेकिन दुनिया इस मामले में बहुत तेजी से बदल रही है और अब पति भी अपनी जिम्मेदारी समझने के लिए लगे हैं. उदाहरण के लिए अमेरिका की नई उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के पति पेश से वकील हैं. जिनका नाम है डगलस क्रेग एमहॉफ. डगलस ने तय किया है कि वो इस दौरान अपनी पत्नी कमला हैरिस की उनके काम काज में मदद भी करेंगे और घर भी संभालेंगे.
भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे कि अगर आप अपने कर्तव्य यानी अपनी ड्यूटी को सैल्यूट करते हैं तो आपको कभी किसी और को सैल्यूट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कर्तव्य बोध कमजोर पड़ गया?
Paternity leave पर जाना अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाना या खुशी के मौके पर सबके साथ मौजूद रहना बिल्कुल भी गलत नहीं है. लेकिन जब आप देश के लिए अपना कोई फर्ज निभा रहे होते हैं तो बस ये याद रखने की जरूरत होती है कि आपको जो सम्मान और प्रतिष्ठा मिल रही है वो इस देश की वजह से ही है. टीम इंडिया की जर्सी पहनना हर खिलाड़ी का सपना होता है, सीमा पर जाकर देश के लिए लड़ने की इच्छा हर सैनिक रखता है. एक पत्रकार का भी सपना होता है कि जब देश या दुनिया में कोई बड़ी घटना हो तो वो वहां मौजूद रहे और उसकी सूचना आप तक पहुंचाए. एक डॉक्टर भी संकट के दौर में देशवासियों की सेवा करने के लिए तत्पर रहता है. ये सब इसलिए होता है क्योंकि देश के साथ आपका नाम जुड़ने से आपको खुशी मिलती है और इसके बदले में देशवासी भी आपको प्यार और सम्मान देते हैं. लेकिन जब जीवन की बाकी खुशियां देश की जरूरतों से बड़ी लगने लगें तो समझ लेना चाहिए कि कर्तव्य बोध कमजोर पड़ गया है.