नई दिल्ली: केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भारतीय चुनावों की तुलना इराक (Iraq) में सद्दाम हुसैन और लीबिया (Libya) में गद्दाफी के समय में हुए चुनावों से की है. उन्होंने कहा है कि भारत में लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो गया है. एक ऐसा खानदान और एक ऐसी पार्टी, जिसने इस देश पर 57 साल तक शासन किया हो उसे अपने देश के लोकतंत्र की इस तरह बदनामी करना शोभा नहीं देता.


कांग्रेस के 57 साल के राज में नहीं दिखी कोई खामी


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कांग्रेस ने 57 सालों तक इस देश पर शासन किया और इस दौरान उसे भारत के लोकतंत्र (Rahul Gandhi On Indian Democracy) में कोई खामी नजर नहीं आई और उसे तब बिल्कुल नहीं लगा कि भारत का लोकतंत्र समाप्त हो चुका हैं. लेकिन अब जब कांग्रेस सत्ता से बाहर है तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कह रहे हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है.


इराक और लीबिया से भारत के लोकतंत्र की तुलना


राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र की तुलना इराक और लीबिया से की है और वो देश के लोगों को यानी आपको सिर्फ और सिर्फ वोट डालने की मशीन बता रहे हैं. राहुल गांधी आज कल विदेशों के प्रोफेसर को इंटरव्यू दे रहें हैं. एक प्रोफेसर को दिए इंटरव्यू में ही उन्होंने ये सब बातें कही हैं.


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कौन था सद्दाम हुसैन?


राहुल गांधी ने इराक के सद्दाम हुसैन और लीबिया के कर्नल मुअम्मर गद्दाफी का जिक्र किया. आइए जानते हैं ये लोग कौन थे? सद्दाम हुसैन इराक का तानाशाह था और 24 सालों तक उसने इराक पर शासन किया. इस दौरान उसने अपने ही देश के 2 लाख 50 हजार लोगों को मरवाया और 2003 में अमेरिका ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया.


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लीबिया का तानाशाह कर्नल गद्दाफी


अब आपको लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी के बारे में बताते हैं, जिसने 1969 में सैन्य तख्तापलट कर 42 साल तक देश पर राज किया. कई आतंकवादी संगठनों को देश में पनाह दी. इसी वजह से संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में लीबिया पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए थे. 2011 में गृह युद्ध में एक विद्रोही गुट ने इन्हें पीट-पीट कर मार डाला.


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अब हम अपने देश के लोकतंत्र की बात करते हैं. 1951 से भारत में चुनाव हो रहे हैं और राहुल गांधी 15 साल से लगातार संसद के सदस्य हैं. लेकिन उन्हें तब भारत का लोकतंत्र खतरे में नहीं दिखा जब देश में UPA की सरकार थी. मगर अब उन्हें लगता है कि भारत का लोकतंत्र खत्म हो गया है.


जवाहर लाल नेहरू 1947 से 1964 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. बाद में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के अलावा कांग्रेस समर्थित नेताओं ने शासन किया. ये सत्ता में जमे रहे. तब इनके लिए लोकतंत्र का मतलब सत्ता की कुर्सी थी, लेकिन हमें लगता है कि राहुल गांधी इसके बारे में देश से कुछ नहीं कहेंगे.