DNA ANALYSIS: कर्नाटक विधान परिषद में मर्यादा हनन, लोकतंत्र के मंदिर में क्यों उड़ी संविधान की धज्जियां?
हम पिछले कुछ दिनों से इस बात की लगातार चर्चा कर रहे हैं कि क्या भारत में लोकतंत्र की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो गई है? जब हम ऐसा कहते हैं तो हम लोकतंत्र की बुराई नहीं करते, बल्कि हम सिर्फ ये सवाल उठाते हैं कि क्या लोकतंत्र के नाम पर आजादी का दुरुपयोग होने लगा है.
नई दिल्ली: हम पिछले कुछ दिनों से इस बात की लगातार चर्चा कर रहे हैं कि क्या भारत में लोकतंत्र की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो गई है? जब हम ऐसा कहते हैं तो हम लोकतंत्र की बुराई नहीं करते, बल्कि हम सिर्फ ये सवाल उठाते हैं कि क्या लोकतंत्र के नाम पर आजादी का दुरुपयोग होने लगा है. इस विचार की वजह से कई लोग हम पर सवाल उठा रहे हैं. हमें सोशल मीडिया पर ट्रोल करने की भी कोशिश हो रही है. लेकिन हर दिन ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जो बताती हैं कि अब हमारे देश में संविधान के नाम पर बहुत कुछ असंवैधानिक तरीके से किया जा रहा है.
14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में भी 1975 में लगाई गई इमरजेंसी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग पर सुनवाई हुई थी. 45 साल पहले भी एक सरकार ने संविधान की आड़ में ही संविधान की धज्जियां उड़ाई थीं और आज भी ऐसा ही हो रहा है.
इस बात को साबित करती कुछ तस्वीरें कर्नाटक के विधान परिषद से आई हैं. जहां कांग्रेस के विधायकों ने विधान परिषद के उपाध्यक्ष को खींचकर और धक्के मारकर उनकी कुर्सी से नीचे उतार दिया. इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के विधायकों के बीच जमकर धक्का मुक्की भी हुई.
कर्नाटक विधान परिषद में 15 दिसंबर को राज्यपाल के निर्देश पर 1 दिन का विशेष सत्र शुरू बुलाया गया था. इस दौरान विधान परिषद के अध्यक्ष प्रताप चंद्र शेट्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना था जो कांग्रेस के MLC हैं. लेकिन बीजेपी के पास संख्या बल नहीं था. इसलिए बीजेपी ने जनता दल सेक्युलर की मदद से कांग्रेस के चेयरमैन को हटाने की योजना बनाई थी. अब क्योंकि, प्रस्ताव विधान परिषद के चेयरमैन के खिलाफ आना था. इसलिए सत्र शुरू होने से पहले बीजेपी और JDS ने अध्यक्ष की कुर्सी पर JDS के MLC और उपाध्यक्ष धर्मे गौड़ा को बिठा दिया. इससे कांग्रेस के विधायक नाराज़ हो गए और फिर इन विधायकों ने असंवैधानिक तरीके से जो कुछ भी किया, उसकी तस्वीरें आप देख चुके हैं.
लेकिन मर्यादाएं लांघने के मामले में कोई भी पार्टी दूध की धुली नहीं है. इस हंगामे के बाद जब कांग्रेस के विधान परिषद अध्यक्ष प्रताप चंद्र शेट्टी ने अपनी कुर्सी तक जाने की कोशिश की तो बीजेपी और JDS के विधायकों ने उन्हें भी कुर्सी तक नहीं पहुंचने दिया.
बीजेपी और JDS ने दी नैतिकता की बलि
BJP कर्नाटक में सत्ता के लिए JDS और कांग्रेस के साथ संघर्ष करती रही है और ये तीनों ही पार्टियां सत्ता हासिल करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद जैसे तरीके अपनाती रही हैं. लेकिन कभी इन्हीं तरीकों के सहारे JDS को सत्ता से बाहर करने वाली बीजेपी ने आज विधान परिषद में JDS के साथ ही हाथ मिला लिया. यानी कांग्रेस के विधायकों ने संविधान की धज्जियां उड़ाई तो बीजेपी और JDS ने नैतिकता की बलि दे दी.
कायदे से तो विधान सभा से लेकर संसद तक को संविधान के दायरे में चलना होता है. विधान सभा और संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. लेकिन भारत में जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र की वजह से कई बार लोकतंत्र के मंदिरों में ही संविधान की धज्जियां उड़ने लगती हैं.