DNA Analysis: ब्रिटेन में हिंदू धर्म के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है. अभी 3 दिन पहले, लीस्टर में एक शिव मंदिर पर हमला हुआ था. वहां हिंदू धर्म के प्रतीक केसरिया झंडे को फाड़ दिया गया, उसे जला दिया गया. ये हमला मुस्लिम कट्टरपंथियों ने किया था. लेस्टर में हुई हिंसा, हिंदू विरोधी हिंसा थी. हम ये इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि एक बार फिर बर्मिंघम में मुस्लिमों युवकों की भीड़ ने, दुर्गा मंदिर में तोड़फोड़ की कोशिश की है.


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पुलिस मौजूदगी की वजह से तोड़फोड़ की नौबत नहीं आई, लेकिन सड़कों पर खूब हंगामा हुआ.पिछले 3 दिनों के अंदर इंग्लैड के 2 शहरों में हिंदू मंदिरों को टारगेट किया गया. कुछ मुस्लिम युवकों की भीड़ ने मंदिर के आगे हंगामा करके, हिंदू समुदाय में दहशत पैदा करने की कोशिश की. लीस्टर में हालात इतने खराब हो गए थे, कि वहां हिंदू-मुस्लिम समुदाय में झड़पें भी हुईं. इस हिंसा को बहुत हल्के में लिया गया था. तब कहा गया कि 28 अगस्त को इंडिया-पाकिस्तान मैच की वजह से तनाव बढ़ गया था. ये मैच पाकिस्तान हार गया था.


 हमला एक सोची समझी साजिश


लीस्टर में मंदिर पर हुआ हमला एक सोची समझी साजिश थी, लेकिन इसे मैच हारने के बाद पैदा हुआ गुस्सा बताया गया. अब बर्मिंघम में दुर्गा मंदिर पर हमला हुआ. इस हमले से साफ है कि इंग्लैड में हिंदू धर्म के खिलाफ, हिंसा की बड़ी साजिश रची जा रही है. इसको हिंदुत्व और बीजेपी के नाम पर सांप्रदायिक रंग में ढाला जा रहा है. 


मुस्लिम युवकों की भीड़ ने हिंसा फैलाने के मकसद से दुर्गा मंदिर पर हमला किया था. यहां पर इस्लामी नारे लगाए गए. ये वही नारे हैं, जो अक्सर आतंकी भी लगाते हैं, और ईश्वर की इबादत करने वाले भी.ये हिंसक वारदात एक ऐसे वक्त में हो रही है, जब पूरा ब्रिटेन एलिजाबेथ सेकेंड के निधन का शोक मना रहा है. लेकिन मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन इस हिंसा को बढ़ावा देने और मुस्लिम दंगाइयों के सपोर्ट में नजर आ रही है.


लीस्टर में हिंदू मंदिर पर मुस्लिम युवकों के हमले के बाद मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन ने एक प्रेस रीलीज जारी की. इसकी कुछ खास बातें हम आपको बताना चाहते हैं. इसमें लिखा है कि उनसे मुस्लिम समुदाय ने भारत के दक्षिणपंथी और हिंदुत्व का एजेंडा चलाने वाले लोगों को लेकर चिंता जाहिर की. हिंदुत्व एजेंडा चलाने वालों ने मुस्लिम,सिख और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले किए, जिससे स्थानीय लोगों में तनाव है.


मंदिर पर हमला करने वाले मुस्लिम युवकों का बचाव करने के बाद, ब्रिटेन के मुस्लिम काउंसिल ने मंदिर और हिंदू प्रतीकों पर हुए हमले की निंदा की.मुस्लिम काउंसिल का भी कहना था कि पाकिस्तान जब मैच हारा, तब तनाव शुरू हुआ. मंदिर पर हुए हमले की जड़, हिंदुत्व का एजेंडा चलाने वाले लोग हैं. जबकि काउंसिल जानती हैं कि हमला किसी मस्जिद पर नहीं, बल्कि मंदिर पर हुआ था. वो ये भी जानती है कि हमला करने वाले मुस्लिम समुदाय से जुड़े युवक थे.


हम ब्रिटेन के मुस्लिम काउंसिल से यही कहना चाहते हैं, उनकी ऐसी सोच को ही अंग्रेजी भाषा की प्राचीन किताबों में Hypocrisy कहा गया है और वो इस शब्द का जीता जागता उदाहरण हैं. 


लीस्टर में हुए हमले के बाद भारतीय उच्चायोग ने एक प्रेस रीलीज जारी की थी. इसमें लीस्टर के मंदिर और हिंदू प्रतीकों पर हुए हमले की निंदा की गई थी. इसके अलावा ब्रिटेन की सरकार से कार्रवाई की अपील भी की गई थी. ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल ने, भारतीय उच्चायोग के खिलाफ एक प्रेस रीलीज जारी की. इसमें उन्होंने अपना एंटी इंडिया एजेंडा पेश किया. एंटी इंडिया विचारों पर चल रही ब्रिटिश मुस्लिम काउंसिल ने इस प्रेस रीलीज पर में लिखा है, कि भारतीय उच्चायोग ने केवल मंदिर और हिंदू प्रतीकों पर हुए हमलों की निंदा की है. उच्चायोग को सभी भारतीयों की बात करनी चाहिए थी, और हिंदुत्व के नारे लगाने वालों की निंदा करनी चाहिए. यही नहीं MCB ने ये भी कहा कि RSS अपने हिंदुत्व का एजेंडा भारत से ब्रिटेन में इंपोर्ट कर रही है.


ब्रिटिश मुस्लिम काउंसिल में बैठे लोग, इतने भी भोले नहीं है कि उन्हें ये पता ना हो कि हमला हिंदू मंदिर और हिंदू प्रतीकों पर किया जा रहा है. मुस्लिम युवकों की भीड़ ने जिस तरह से लीस्टर के मंदिर पर हमले किए, बर्मिघम में दुर्गा मंदिर में हंगामा किया उससे MCB की भारत और हिंदू विरोधी मानसिकता का पता चलता है. 


अब हम आपको लीस्टर पुलिस की जांच में निकली कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो ब्रिटिश मुस्लिम काउंसिल की आंखें खोल देगी. लीस्टर पुलिस ने शिव मंदिर पर हुए हमले के मामले में 47 लोगों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने इस मामले में जो खुलासा किया है, उसके मुताबिक हिंदू मंदिर पर हुआ हमला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है.


लीस्टर पुलिस ने जिन लोगों को हिंदू मंदिर पर हमले के मामले में गिरफ्तार किया उनमें से कुछ लोग बाहर से बुलाए गए थे. यानी वो लीस्टर शहर के निवासी नहीं थे. उनको मंदिर और हिंदू समुदाय पर हमला करने के मकसद से लीस्टर बुलाया गया था. 


पुलिस की जांच में पता चला है कि लीस्टर में शिव मंदिर पर मुस्लिम समुदाय के युवकों का हमला, एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी. इसकी योजना को काफी समय पहले से ही तैयार किया गया था. ब्रिटिश काउंसिल ने भारतीय उच्चायोग को लिखे पत्र में ये कहा था कि हिंदुत्व का एजेंडा चलाने वाले माहौल खराब कर रहे हैं लेकिन लीस्टर पुलिस ने अपनी एक प्रेस रीलीज में बड़ा राज़ खोला है.


लीस्टर पुलिस के मुताबिक सोशल मीडिया में मस्जिद पर हमले की एक झूठी खबर फैलाई गई थी. और जब पुलिस की टीम, उस जगह पर पहुंची तो वहां कुछ भी ऐसा नहीं हुआ था. मतलब ये है कि हिंदू मंदिरों पर हमले के लिए, पहले मस्जिद पर हमले की पटकथा तैयार की गई और उसके आधार पर मुस्लिम समुदाय के युवकों को भड़काया गया जिसके बाद लीस्टर में हिंदू मंदिर पर हमला किया गया. यानी इन सबके पीछे वही लोग हैं, जो इस हमले को हिंदुत्व एजेंडा से जोड़कर, अपना एंटी इंडिया और एंटी हिंदू एजेंडा चलाना चाहते थे.


हिंदू मंदिरों पर होने वाले हमलों को हिंदुत्व एजेंडा के नाम पर जस्टीफाई किया जा रहा है.  हमला मंदिरों पर हो रहा है, और आंसू हमलावरों के समर्थक ही बहा रहे हैं. मतलब ये है कि हमला करने वाला समुदाय ही, ब्रिटेन में Victim Card play कर रहा है और ब्रिटिश मुस्लिम काउंसिल, हमलावरों के Full Support में है.


बर्मिंघम के स्मिथविक में जिस दुर्गा मंदिर पर मुस्लिम युवकों की भीड़ ने हमला किया, उसको खासतौर से टारगेट किया गया था. दरअसल यहां पर परम शक्ति पीठ और वात्सल्य-ग्राम की संस्थापक साध्वी ऋतंभरा का कार्यक्रम होना था. ब्रिटेन के कई शहरों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे.


साध्वी ऋतंभरा के कार्यक्रम से पहले, सोशल मीडिया पर एक मैसेज फॉरवर्ड किया जा रहा था. इसमें अपना मुस्लिम नाम के एक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया था. इस ट्वीट में अपील की गई थी, कि 20 सितंबर को बर्मिंघम के दुर्गा मंदिर बीजेपी-आरएसएस सेंटर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाना है. मतलब इस मंदिर के आगे एक बड़े प्रदर्शन के आयोजन की तैयारी थी. ये प्लानिंग इसलिए की गई थी क्योंकि दुर्गा मंदिर में इसी दिन साध्वी ऋतंभरा का कार्यक्रम आयोजित होना था. हलांकि स्वास्थ्य कारणों से सारे कार्यक्रम 5 दिन पहले ही रद्द कर दिए गए थे. बावजूद  इसके बर्मिंघम के मुस्लिम समुदाय के एक गुट ने मंदिर के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था.


साध्वी ऋतंभरा के कार्यक्रमों को ब्रिटेन में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने ये कहकर प्रचारित किया, कि वो इस्लाम विरोधी भाषण देती हैं. इसका एक उदाहरण इलफोर्ड साउथ के सांसद सैम टैरी का एक पत्र है. इसमें कहा गया कि 23 सितंबर को इलफोर्ड साउथ में साध्वी ऋतंभरा का एक कार्यक्रम है, जिसे रद्द किया जाना चाहिए. तर्क यही दिया गया कि वो मुस्लिम विरोधी हैं, और उनके संसदीय क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है. इलफोर्ड साउथ की कुल आबादी में से करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम हैं, और 10 प्रतिशत हिंदू हैं. इलफोर्ड साउथ के सांसद की मजबूरी आप भी समझ सकते हैं. उनपर साध्वी ऋतंभरा के कार्यक्रम को रद्द करवाने का दबाव डाला जा रहा था.


दरअसल साध्वी ऋतंभरा का बहाना बनाकर, हिंदू मंदिरों को टारगेट करने की तैयारी की गई थी. यही वजह है कि बर्मिघम के दुर्गा मंदिर वाला कार्यक्रम रद्द होने के बावजूद, बर्मिंघम के मुस्लिम समुदाय के एक गुट ने मंदिर के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया. वैसे ये अक्सर देखा गया है कि हिंदू विरोधी या एंटी इंडिया साजिश के पीछे पाकिस्तान का हाथ होता है. इस बार भी लीस्टर हमले की एक वजह, शुरुआत में भारत-पाकिस्तान मैच को ही बताया गया और तो और हिंदुत्व का नाम लेकर, ये साबित करने की कोशिश की जा रही है, कि असली पीड़ित तो मंदिर पर हमला करने वाले लोग हैं.


छल कपट से भरी मासूम सोच वालें इन लोगों से, हम पूछना चाहते हैं कि क्या पाकिस्तान में होने वाले शिया-सुन्नी के झगड़े, चीन में उइगर मुस्लिमों पर होने वाले जुल्म, म्यांमार में मुस्लिम-बौद्ध के बीच होने वाली लड़ाई, मुस्लिम और यहूदी समुदाय में होने वाली झड़पें, यहां तक की ग्रीस, अर्मेनिया, तुर्की, फ्रांस और सूडान में मुस्लिम और ईसाई समुदाय में होने वाले झगड़े की असल वजह क्या है? क्या इन देशों में मुस्लिम समुदाय के साथ जो भी लड़ाइयां चल रही हैं, उसकी वजह हिंदुत्व का एजेंडा है? दरअसल हिंसक प्रवृत्ति को 'मजबूर व्यक्ति का काम' बताने का खेल बहुत पुराना हो गया है. ये काफी समय पहले से ही चला आ रहा है.


सीरिया, ईराक जैसे देशों में चले गृह युद्ध और आतंकवाद से परेशान लाखों मुस्लिम, अलग-अलग देशों में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. लेकिन पिछले सालों में हमने देखा है, कि जिन-जिन देशों ने मुस्लिम शरणार्थियों को शरण दी, वो अलग तरह की परेशानियों से ग्रस्त हैं.


मई 2017 में ब्रिटेन के ही मैनचेस्टर एरीना में एक आत्मघाती हमला हुआ था. इसमें 22 लोगों की मौत हो गई थी, और 59 लोग घायल हुए थे. इसका हमलावर लीबिया का मुस्लिम शरणार्थी सलमान आबदी था. इस हमले की जिम्मेदारी ISIS ने ली थी.



स्वीडन को पूरे विश्व में सबसे खुशहाल और शांत देश कहा जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2022 में यहां बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. इन दंगों का बड़ी संख्या मुस्लिम शरणार्थी शामिल थे. अक्टूबर 2020 में फ्रांस में एक शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या में शामिल युवक चेचेन्या का शरणार्थी मुस्लिम था. इस घटना के बाद फ्रांस में काफी हंगामा हुआ था जिसके बाद फ्रांस ने कट्टर इस्लाम का प्रचार करने वाली संस्थाओं और लोगों पर लगाम लगाई थी.


हमने आपको चार अलग-अलग देशों की ऐसी घटनाएं बताई हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय के शरणार्थी, वीभत्स अपराधों के दोषी पाए गए हैं. यहां हम ये बताने की कोशिश कर रहे हैं, कट्टर मुस्लिम विचारधारा, किसी एक देश की नहीं, विश्व की समस्या बन गई है. लीस्टर और बर्मिँघम के हिंदू मंदिरों पर हमले किया जाना भी उसी कट्टर इस्लामिक विचारधारा का ही परिणाम है.


भारत ही नहीं, पाकिस्तान के भी कई मुस्लिम स्कॉलर्स का एक खास लॉजिक है. वो कहते हैं कि भारत के बहुसंख्यक हिंदू, अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार करते हैं. अगर हम यही लॉजिक इंग्लैड के नजरिए से देखें, तो वहां मुस्लिम समुदाय, हिंदू समुदाय को दबाने की कोशिश करता है. बर्मिंघम के मामले में ये लॉजिक करीब-करीब सही है. इंग्लैंड की कुल आबादी में से हिंदुओं की जनसंख्या करीब 2 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी करीब 5 प्रतिशत है.


मतलब ये है कि इंग्लैंड में हिंदू आबादी, अल्पसंख्यक है, और मुस्लिम आबादी, हिंदुओं के मुकाबले बहुसंख्यक है. अगर बर्मिंघम की बात करें तो वहां हिंदू आबादी मात्र 2.1 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 21.8 प्रतिशत है. यानी इस शहर का मुस्लिम समुदाय, आबादी के मामले में हिंदुओं के मुकाबले 10 गुना से ज्यादा ताकतवर है. ये एक बड़ी वजह है, कि बर्मिघम में मुस्लिम समुदाय के 200 से ज्यादा युवक, हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ के लिए पहुंच गए थे.


अब हम आपको इंग्लैंड की जेलों का एक डेटा बताना चाहते हैं. ये आंकड़े इंग्लैंड की मिनिस्ट्री ऑफ जस्टिस यानी न्याय मंत्रालय के हैं. इनके मुताबिक इंग्लैड की जेलों में बंद कैदियों में से करीब 3 प्रतिशत कैदी पाकिस्तानी नागरिक हैं. अगर हम कैदियों के देशों की रैंकिंग बनाएं, तो पाकिस्तान इसमें सातवें नंबर पर है. इंग्लैड की जेलों में बंद गैर यूरोपीय कैदियों में सबसे ज्यादा संख्या पाकिस्तानियों की है.


इंग्लैड के न्याय मंत्रालय का ही एक आंकड़ा बताता है कि अलग-अलग धर्म के हिसाब से इंग्लैंड की जेल में 18 प्रतिशत कैदी मुस्लिम समुदाय से हैं, जबकि इंग्लैड की कुल आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है.


जहां तक हिंदु समुदाय की बात है, तो इंग्लैंड की कुल आबादी में हिंदू समुदाय की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत है, जबकि वहां की जेलों में मात्र 0.4 प्रतिशत कैदी हिंदू हैं. इंग्लैंड की जेलों का ये आंकड़ा बताता है कि ब्रिटेन का हिंदू समुदाय, वहां के मुस्लिम समुदाय के मुकाबले, ज्यादा शांतिप्रिय है और जिस तरह की घटनाएं, लीस्टर और बर्मिघम में दिखी हैं, उससे ये साफ हो जाता है कि हिंदू और भारत विरोधी एजेंडे के तौर पर कुछ लोग, हिंदू और मुस्लिम समुदाय में नफरत के बीज बोना चाहते हैं.


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