नई दिल्ली: आज कल हमारे देश में ये फैशन बना गया है कि अगर किसी मुस्लिम व्यक्ति के साथ मारपीट होती है या उस पर कोई हमला होता है तो इसे सीधे जय श्री राम से जोड़ दिया जाता है और आरोप लगाए जाते हैं कि जय श्री राम नहीं बोलने पर एक मुस्लिम व्यक्ति को मारा गया.


मुस्लिम व्यक्ति के साथ मारपीट का सच


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इन लोगों ने एक फॉर्मूला बनाया है, जिसके तहत देश में कहीं भी मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति का झगड़ा हो जाए या उसके साथ मारपीट हो जाए तो सबसे पहले एक झूठी कहानी बनाकर पेश की जाती है, जिसमें कहा जाता है कि उस व्यक्ति से जबरदस्ती जय श्रीराम का लगवाया गया और ये नारा नहीं लगाने पर उसकी पिटाई की गई.


कुछ ऐसा ही दिल्ली के पास गाज़ियाबाद में हुआ. 5 जून को अब्दुल समद नाम का एक व्यक्ति गाजियाबाद के एक गांव में ताबीज बेचने के लिए पहुंचा था. इस व्यक्ति की उम्र 72 साल है.


पुलिस के मुताबिक, गांव पहुंचने पर अब्दुल समद के साथ 10 लड़कों ने मारपीट की क्योंकि, इन लड़कों का ये कहना था कि अब्दुल समद ने उन्हें जो ताबीज़ बेचे थे, उनका उनके जीवन पर गलत असर हुआ और इससे वो काफ़ी प्रभावित हुए. मारपीट करने वालों में पांच लड़के हिन्दू थे और पांच लड़के मुस्लिम समुदाय से थे.


वैसे तो आरोपी का धर्म या जाति नहीं होती लेकिन जो लोग ऐसी खबरों को साम्प्रदायिक रंग दे देते हैं, उनके झूठ को बाहर लाने के लिए हम ये जानकारी आपको दे रहे हैं. 5 जून को हुई मारपीट के बाद इस व्यक्ति ने 7 जून को गाजियाबाद पुलिस में इसकी FIR दर्ज कराई और इस FIR में कहीं ये ज़िक्र नहीं है कि अब्दुल समद ने ऐसा कहा हो कि जय श्री राम नहीं बोलने पर उन्हें मारा-पीटा गया.


लेकिन FIR के बाद फेसबुक पर हुए एक लाइव में अब्दुल समद ने ये आरोप लगाया कि उसके साथ लड़कों ने इसलिए मारपीट की थी क्योंकि, उसने जय श्री राम बोलने से इनकार कर दिया था, जबकि FIR कहती है कि अब्दुल समद के साथ मारपीट इसलिए हुई क्योंकि, उनके द्वारा बेचे गए ताबीज से लोग नाराज थे और मारपीट करने वाले लोगों में मुस्लिम लड़के भी थे. सच के बावजूद इस खबर को रूप दे दिया गया कि एक 72 साल के बुजुर्ग अब्दुल समद को इसलिए मारा गया क्योंकि वो जय श्री राम नहीं बोल रहे थे.


अखबारों में प्रमुखता से छापी गई खबर


ये खबर अधिकतर अखबारों में प्रमुखता से छापी गई. मैं एक-एक करके आपको बताता हूं कि इनमें क्या लिखा है-


इनमें एक अखबार खबर की हेडलाइन देता है- जबरन श्रीराम बुलवाने का आरोप, केस दर्ज - जबकि FIR में तो जय श्रीराम का कहीं जिक्र ही नहीं है.


एक और अखबार लिखता है- वृद्ध से जबरन धार्मिक नारे लगवाए.


एक अंग्रेजी अखबार ने इस खबर को अपने पेपर में अच्छी खासी जगह दी है और खबर की हेडलाइन है - Elderly Man Says Attacked, Forced To Chant Jai Shri Ram In Ghaziabad, One Arrested. यानी एक बुज़ुर्ग पर हमला हुआ, उससे जबरदस्ती जय श्री राम का नारा लगवाया गया और इस मामले में एक की गिरफ़्तारी हुई. ये अखबार लिख रहा है.


एक और अंग्रेजी अखबार में छपी इस खबर के बारे में आपको बताते हैं. इसमें लिखा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति को मारा गया, उसकी दाढ़ी भी काटी गई. इस लेख में अंदर ये भी लिखा है कि मारपीट करने वाले लोगों ने जबरदस्ती जय श्री राम के नारे इस व्यक्ति से लगवाए. इनमें से अधिकतर अखबारों ने इस खबर के साथ अब्दुल समद की बातों को कोट किया है, लेकिन पुलिस की बात को प्रमुखता से नहीं छापा है.


हम आपको बताएंगे कि पुलिस का इस पर क्या कहना है. गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक, ये पूरी घटना ताबीज बेचने को लेकर हुई और मारपीट करने वालों में मुस्लिम लड़के भी हैं और जय श्री राम की बात का जिक्र FIR में कहीं भी नहीं है. अब इस झूठी खबर को जिस वीडियो में लपेट कर सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है, उसके बारे में भी आपको बताते हैं.


शिकायत करने वाले अब्दुल समद ने पुलिस को बताया कि वो मारपीट करने वाले लोगों को नहीं जानता था, जबकि सच ये है कि जिन लोगों ने मारपीट की, उनसे उसकी पहचान पहले से थी और कुछ लड़कों को वो नाम से भी जानता था. दूसरी बात- अब्दुल समद का आरोप है कि उसे अगवा किया गया जबकि पुलिस ने कहा है कि वो खुद बाइक से इस गांव में पहुंचा था और तीसरी बात जिस वायरल वीडियो को लेकर ये दावा है कि मारपीट करने वाले लड़कों ने अब्दुल समद की दाढ़ी काटी और उससे जय श्री राम के नारे लगवाए, उस वीडियो में आवाज ही नहीं है.


ब्लू​ टिक वाले फेक न्यूज़ फैला रहे


इस वीडियो को लेकर ट्विटर पर ब्लू​ टिक वाले लोग फेक न्यूज़ फैला रहे हैं.


आज कल ये फैशन बन गया है, जिसमें किसी मुस्लिम व्यक्ति के साथ मारपीट के बाद जय श्री राम को इसमें जोड़ दिया जाता है और ऐसे कई उदाहण आज हमारे पास हैं. हम आपको ऐसे पांच प्रमुख उदाहरणों के बारे में बताते हैं.



कब कब हुई ऐसी घटना


 


जुलाई 2019 में उन्नाव से एक ख़बर आई थी, जिसको लेकर ये दावा था कि कुछ लड़कों ने मदरसे में पढ़ने वाले कुछ छात्रों से जबरदस्ती जय श्रीराम बुलवाया, जबकि बाद में पुलिस ने बताया कि ये विवाद क्रिकेट मैच को लेकर था.


मई 2019 में गुरुग्राम से भी ऐसी एक खबर आई थी. उस समय एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि चार लोगों ने उसकी टोपी गिरा दी और उससे जय श्री राम के नारे लगवाए, लेकिन जब इस घटना का CCTV फुटेज पुलिस ने निकाला तो उसमें ऐसा कुछ होते हुए नहीं दिखा. यानी तब उस व्यक्ति ने झूठ बोला था और इस झूठ को आग की तरह कुछ लोगों ने फैलाया था.


जुलाई 2019 कानपुर में एक ऑटो ड्राइवर ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने उससे जय श्रीराम के नारे लगवाए, जबकि पुलिस ने बाद में बताया था कि आपसी विवाद में कुछ लोगों ने ऑटो ड्राइवर से मारपीट की थी.


अलीगढ़ में भी ऐसा ही हुआ था. जून 2019 में वहां एक लड़के ने आरोप लगाया कि ट्रेन में सफर के दौरान कुछ लोगों ने उसकी टोपी उछाली थी, जबकि बाद में ये आरोप झूठ निकले. सच ये था कि उस लड़के ने मदरसे में जाने से बचने के लिए ये नाटक किया था.


और कुछ ऐसा ही तेलंगाना के करीमनगर में हो चुका है. जून 2019 में वहां एक लड़के ने ये आरोप लगाया कि जय श्री राम नहीं बोलने पर उसके साथ मारपीट की गई, जबकि सच ये था कि उसने एक लड़की के साथ छेड़खानी की थी, जिसके बाद कुछ लोगों ने उसे पीटा था.


जय श्रीराम के नारे को बदनाम करने का फैशन 


ये घटनाएं बताती हैं कि आज कल जय श्रीराम के नारे को बदनाम करने का एक फैशन बन गया है. कुछ भी होता है तो उसमें जय श्री राम को जोड़ दिया जाता है और मामला साम्प्रदायिक हो जाता है. यही नहीं इस तरह की फेक न्यूज़ को फैलाने में ब्लू टिक वाले लोग बड़ी भूमिका निभाते हैं, लेकिन इसके बावजूद ट्विटर उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता.