DNA Analysis: टैक्स देने के बदले आपको क्या मिलता है? आखिर सरकारें कब समझेंगी अपनी जिम्मेदारी
DNA campaign to Wake up the Government: देश का हर व्यक्ति रोजाना कुछ न कुछ टैक्स सरकार के खजाने में जमा करता है, जिससे राष्ट्र चल सके. लेकिन क्या देश की सरकारें अपनी जिम्मेदारियां सही ढंग से निभा पा रही हैं.
DNA campaign to Wake up the Government: वित्त वर्ष 2021-22 में भारत सरकार को टैक्स के रूप में 27 लाख करोड़ रुपये मिले थे. इनमें लगभग 14 लाख करोड़ रुपये, Direct Tax के रूप में और 13 लाख करोड़ रुपये Indirect Tax के रूप में सरकार को प्राप्त हुए थे. जो लोग नौकरी करते हैं और Income Tax भरते हैं, उसे Direct Tax में गिना जाता है. इसके अलावा बड़ी बड़ी कम्पनियां सरकारों को जो Corporate Tax देती हैं, वो भी Direct Tax में आता है. जबकि Indirect Tax वो होता है, जो बाज़ार से खरीदी जाने वाली किसी भी वस्तु पर आप चुकाते हैं. ये वो टैक्स है, जो देश का अमीर से लेकर गरीब व्यक्ति तक सभी सरकार को देते हैं. लेकिन सोचिए इसके बदले में आपका को हासिल क्या होता है.
टैक्स देने के बदले लोगो को मिलता ट्रैफिक जाम
आज लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. इलाज के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों में जाना चाहते हैं. आने जाने के लिए भी वो अपना ही वाहन इस्तेमाल करना चाहते हैं. यानी मिला जुला कर कहें तो पूरे दिन में एक सड़क ही है, जो आप सरकार की इस्तेमाल करते हैं और इन सड़कों पर आपको क्या मिलता है. ट्रैफिक जाम, गड्ढे, कभी ना खत्म होने वाला टोल टैक्स और आवारा पशु. हमारे देश में लोगों ने वोट देकर सरकारें तो बनाई हैं लेकिन अपने मुद्दों को लेकर कभी सरकारों से उनका हिसाब नहीं मांगा है. लेकिन अब हम DNA में एक नई परम्परा की शुरुआत कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आप इसमें हमारा पूरा साथ देंगे.
बारिश में क्यों डूब जाते हैं शहर
हमने पहले बताया था कि 2021-22 में BMC का बजट 39 हज़ार करोड़ रुपये था. जो देश के आठ राज्यों से ज्यादा था. इसके अलावा इस साल के लिए BMC का बजट 45 हजार करोड़ रुपये है. सोचिए 45 हजार करोड़ रुपये. लेकिन इसके बावजूद मुम्बई की बारिश इस बजट पर भारी है. अब सवाल है कि जब सरकार है, मंत्री हैं, विधायक हैं, सरकारी सिस्टम है, व्यवस्था है, योजनाएं हैं और इन योजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, तब भी मुम्बई का हाल ऐसा क्यों है. मुम्बई ही क्यों. देश के लगभग हर शहर में बारिश के बाद ऐसा ही हाल होता है तो ऐसा क्यों है.
सरकारों क्यों नहीं देती जनता के मुद्दों पर ध्यान?
ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे देश में जन सरोकार के मुद्दों को कभी प्राथमिकता दी ही नहीं जाती. उदाहरण के लिए आज लोग बारिश और बाढ़ की खबरों को नहीं देखना चाहते बल्कि वो नेताओं के बयान सुनने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. यानी लोगों को भी मसाला चाहिए. अब सोचिए जब जनता ही बारिश, बाढ़, बिजली और पानी के मुद्दों से बोर हो चुकी है तो नेता और राजनीतिक पार्टियां इसमें क्यों दिलचस्पी लेंगी.
हमारे देश में धर्म के नाम पर खूब आन्दोलन होते हैं. जब सरकार कोई नया कानून लाती है तो उसके खिलाफ भी आन्दोलन किए जाते हैं. नागरिकता संशोधन कानून और कृषि कानूनों के मुद्दे पर तो हमारे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. लेकिन जब बात बाढ़ की आती है, खराब सड़कों की आती है और बिजली-पानी के मुद्दों की आती है तो हमारे देश में इन मुद्दों पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होता.
एमपी में लोगों ने अनूठे तरीके से कसा तंज
हम आपको मध्य प्रदेश से आई एक ऐसी खबर के बारे में बताना चाहते हैं, जिसमें आम लोगों द्वारा सरकारी अव्यवस्था के खिलाफ एक गंभीर कटाक्ष किया गया है. ये तस्वीरें मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की हैं, जहां लोग एक सड़क पर भरे पानी में कुर्सी डाल कर बैठ गए और इस दौरान इन लोगों ने पार्टी भी की. ये लोग ऐसा करके स्थानीय प्रशासन को ये बताना चाहते थे कि उनकी लापरवाही की वजह से आज इस इलाक़े की एक सड़क किसी Swimming Pool में तब्दील हो गई है. ये सरकारी सिस्टम पर किया गया एक ऐसा कटाक्ष है, जिसमें लोकतंत्र का भी कड़वा सच साफ नज़र आता है.
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