DNA Analysis: आज आपको उस बड़े बदलाव के बारे में बताएंगे, जिसने पाकिस्तान और चीन को परेशान कर दिया है. वर्ष 2023 में भारत G-20 समिट की मेजबानी करेगा और इससे संबंधित कुछ बैठकें जम्मू-कश्मीर में आयोजित की जाएंगी, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पांच लोगों की एक कमिटी बनाई गई है, लेकिन पहले पाकिस्तान और अब चीन ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.


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दुनिया का शक्तिशाली संगठन है  G-20 


आज चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर भारत के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और कहा कि भारत को कश्मीर के मुद्दे पर एक तरफा कदम उठाकर हालात को जटिल बनाने से बचना चाहिए. चीन से पहले पाकिस्तान ने भी जम्मू कश्मीर में G-20 समिट की बैठकें आयोजित करने का विरोध किया था और इस समूह के सभी देशों से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की थी. G-20 दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठनों में से एक है.


ये देश हैं G-20 में शामिल


इन 20 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, टर्की, साउथ अफ्रीका, रशिया और चीन है. हालांकि, पाकिस्तान इस संगठन में शामिल नहीं है और यही वजह है कि वो इन देशों से भारत की मेजबानी का बहिष्कार करने की अपील कर रहा है. अगर जम्मू-कश्मीर में G-20 देशों की बैठक होती है तो इसके पांच बड़े मायने होंगे.


पहला- इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये बात स्थापित हो जाएगी कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य हुए हैं.


दूसरा- जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, ये बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित हो जाएगी और पाकिस्तान के दुष्प्रचार की पोल खुल जाएगी.


तीसरा- इससे ये बात भी सिद्ध हो जाएगी कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है.


चौथा- इसके जरिए भारत दुनिया को ये बता पाएगा कि वो इतने बड़े समिट का आयोजन करने के लिए सक्षम है, क्योंकि भारत पहली बार G-20 समिट की मेजबानी करने जा रहा है.


पांचवां- इससे जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर नई पहचान मिलेगी, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी, विदेशी निवेशक जम्मू-कश्मीर की तरफ आकर्षित होंगे और इससे वहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.


पाकिस्तान होगा एक्सपोज


इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान जो Propaganda चलाता है, वो एक्सपोज हो जाएगा और इस मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की इससे बेहतर रणनीति कोई और नहीं हो सकती है.
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