DNA with Sudhir Chaudhary: अपनी गाड़ी खरीदना लोगों के लिए अब भी एक सपना, केवल 8 प्रतिशत लोगों के पास है अपनी कार
DNA on National Family Health Survey 2022: आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने के बावजूद देश में केवल 8 प्रतिशत लोगों के पास ही अपनी कार है. वहीं केवल 26 प्रतिशत घरों में ही कूलर या एसी हैं. यह आंकड़े नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 में सामने आए हैं.
DNA on National Family Health Survey 2022: क्या आप जानते हैं कि अब भारत में सिर्फ दो प्रतिशत लोग ही Landline Phones का इस्तेमाल करते हैं. इस समय भारत की 95 प्रतिशत आबादी के पास अपना मोबाइल फोन है. क्या आप जानते हैं कि, आज भी भारत के सिर्फ 8 प्रतिशत परिवारों के पास ही अपनी कार है और भारत के 54 प्रतिशत लोग अब भी Two-Wheeler का इस्तेमाल करते हैं. क्या आपको पता है, भारत के सिर्फ 26 प्रतिशत घरों में ही Air Conditioner और कूलर इस्तेमाल होते हैं जबकि 90 प्रतिशत घरों में बिजली का पंखा है. इसलिए ये रिपोर्ट और ये आंकड़े आज आपको बिल्कुल भी मिस नहीं करने चाहिए.
केवल 2 प्रतिशत लोगों के पास बचे हैं लैंडलाइन फोन
National Family Health Survey की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में Mobile Phones अब पूरी तरह Landline Phones की जगह ले चुके हैं. आज भारत में सिर्फ दो प्रतिशत लोग ही Landline Phones का इस्तेमाल करते हैं. जबकि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या देश में 95 प्रतिशत है. इनमें भी 75 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास Smart Phones हैं. यानी हर 10 में से 6 लोगों के पास एक Smart Phone है. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2026 तक भारत में 100 करोड़ लोगों के पास Smart Phones होंगे. इससे ये पता चलता है कि मोबाइल फोन भारत के लोगों की पहली प्राथमिकता है.
कंप्यूटर खरीदने में भी लोगों की घटी रूचि
Smart Phones ने लोगों के बीच Computer की लोकप्रियता भी कम की है. आज आपका Smart Phone ही आपका Computer बन गया है. इसकी वजह से लोग अब Computer कम खरीद रहे हैं. वर्ष 2005 में शहरों में 8 प्रतिशत लोगों के पास अपना Computer था. जबकि गांवों में ये आंकड़ा 0.6 प्रतिशत था. लेकिन 2021 में शहरों में Computer का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगभग 20 प्रतिशत हो गई. जबकि ग्रामीण इलाकों में आज भी सिर्फ़ साढ़े चार प्रतिशत लोग ही Computer का इस्तेमाल करते हैं. यानी 15 वर्षों में Computer का इस्तेमाल करने वालों की संख्या देश में सिर्फ 9 प्रतिशत बढ़ी है. ये सब Smart Phones के आने से हुआ है.
भारत के 90 प्रतिशत घरों में पंखा
इस समय अलग अलग राज्यों में जिस तरह से भीषण गर्मी पड़ रही है, उसे देखकर ऐसा ही लगता है कि अब हर घर में कम से कम Air Coolers का तो इस्तेमाल होता ही होगा. लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के सिर्फ 26 प्रतिशत घरों में ही Air Conditioner और Air कूलर इस्तेमाल होते हैं जबकि 90 प्रतिशत घरों में बिजली का पंखा है.
गांवों में Air Conditioner और Air Cooler खरीदना अब भी एक सपने के जैसा है. भारत के गांवों में 16 प्रतिशत परिवार ही ऐसे हैं, जो अपने घर में Air Conditioner और Air Cooler लगा पाए हैं. जबकि शहरों में ये आंकड़ा 40 प्रतिशत है. यहां अब भी 60 प्रतिशत आबादी ऐसी है, जिनके घरों में AC नहीं है. इससे ये पता चलता है कि, AC और कूलर अभी भारत के लोगों की प्राथमिकता नहीं बने हैं.
75 प्रतिशत आबादी फ्रिज का इस्तेमाल नहीं करती
इसके अलावा हमारे देश में जो लोग गांवों में रहते हैं, वो आज भी हाथ से कपड़े धोना पसन्द करते हैं और ठंडे पानी के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं. वर्ष 2005 में गांवों में 6 प्रतिशत घरों में ही Refrigerator का इस्तेमाल होता था. आज 17 साल बाद भी ये तस्वीर ज्यादा नहीं बदली है. आज भी गांवों की 75 प्रतिशत आबादी Refrigerator का इस्तेमाल नहीं करती. जबकि शहरों में ऐसा नहीं है. शहरों में अब 64 प्रतिशत लोगों के पास घरों में Refrigerator है.
जिस Washing Machine का अविष्कार आज से 171 साल पहले वर्ष 1851 में हुआ था, भारत के लोग उस Washing Machine को आज भी ज़रूरी नहीं मानते. आज शहरों में सिर्फ 36 प्रतिशत घरों में कपड़े धोने के लिए Washing Machine का इस्तेमाल होता है. जबकि गांवों में ये आंकड़ा और भी कम है. गांवों में 9 प्रतिशत परिवार ही Washing Machine खरीद पाए हैं.
अपनी गाड़ी खरीदना आज भी लोगों का बड़ा सपना
भारत में आज भी गाड़ी से ज्यादा लोग Two-Wheeler यानी दोपहिया वाहन खरीदते हैं. आज भी भारत के सिर्फ 8 प्रतिशत परिवारों के पास ही अपनी कार है. भारत के 54 प्रतिशत लोग अब भी Two-Wheeler का इस्तेमाल करते हैं.
इस समय शहरी भारत में 60 प्रतिशत परिवारों के पास कम से कम एक स्कूटर या मोटरसाइकिल है. जबकि गांवों में 44 प्रतिशत लोगों के अपना Two-Wheeler है. हालांकि गांवों में आज भी जब कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदता है तो इससे उसका समाज में नाम होता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि गांवों में आज भी अपनी गाड़ी खरीदना, एक सपने के देखने जैसा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़, ग्रामीण भारत के सिर्फ़ साढ़े प्रतिशत लोगों के पास ही अपनी निजी कार है. जबकि शहरी भारत में 14 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं, जो अपनी निजी गाड़ी खरीद पाए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में गाड़ी खरीदना अब भी आम लोगों की पहुंच से बाहर है.