DNA: सुअर ले रहे इस योजना का फायदा, CM गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट की `डर्टी पिक्चर`
Indira Rasoi Scheme: राजस्थान के भरतपुर जिले में सुअर इंदिरा रसोई की सुविधा का लाभ ले रहे हैं. जिन थालियों में गरीब भोजन करते हैं, उन थालियों को सुअर लुत्फ उठा-उठाकर चाट रहे हैं. ये तस्वीरें इंदिरा रसोई योजना की सफलता की गवाही देती हैं. जिसका मकसद ही है - कोई भी भूखा ना सोये. चाहे वो राजस्थान की गरीब जनता हो या जानवर. वैसे गरीब जनता को इंदिरा रसोई की थाली के लिए 8 रुपये देने पड़ते हैं. लेकिन जानवरों के लिए ये सुविधा बिलकुल मुफ्त है, बस शर्त सिर्फ एक है - जानवरों को जूठन खानी पड़ेगी.
Rajasthan News: कोरोना महामारी के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ड्रीम देखा और फिर 20 अगस्त 2020 को राजीव गांधी जयंती पर ड्रीम प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया. नाम रखा गया - इंदिरा रसोई योजना. इस योजना की टैगलाइन रखी गई - कोई भी भूखा नहीं सोए. अब आपको दिखाते हैं कि सीएम गहलोत के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लाभार्थियों में कौन-कौन शामिल हैं.
राजस्थान के भरतपुर जिले में सुअर इंदिरा रसोई की सुविधा का लाभ ले रहे हैं. जिन थालियों में गरीब भोजन करते हैं, उन थालियों को सुअर लुत्फ उठा-उठाकर चाट रहे हैं. ये तस्वीरें इंदिरा रसोई योजना की सफलता की गवाही देती हैं. जिसका मकसद ही है - कोई भी भूखा ना सोये. चाहे वो राजस्थान की गरीब जनता हो या जानवर. वैसे गरीब जनता को इंदिरा रसोई की थाली के लिए 8 रुपये देने पड़ते हैं. लेकिन जानवरों के लिए ये सुविधा बिलकुल मुफ्त है, बस शर्त सिर्फ एक है - जानवरों को जूठन खानी पड़ेगी.
इन सुअरों को कोई असुविधा ना हो, इसके लिए झूठी थालियों को रसोई के बाहर रख दिया गया है और इस तरह एक तीर से दो शिकार किये जा रहे हैं. पहला ये कि जानवरों की दावत हो जाती है और दूसरा ये कि गंदी प्लेटों को साफ करने में स्टाफ को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती क्योंकि इंदिरा रसोई के स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन के अवशेषों को जानवर पहले ही चाट-चाटकर साफ कर देते हैं.
हमें जब ये वीडियो मिला तो हमने भरतपुर की इस अनोखी इंदिरा रसोई की यात्रा की. वहां हमारी मुलाकात इस इंदिरा रसोई के संचालक से हुई, जिनसे हमने वीडियो के बारे में पूछा तो हमें बेहद मायूसी हुई. संचालक ने बताया कि इंदिरा रसोई में जानवरों के चाटने के लिए गंदी प्लेटों की कोई सुविधा है ही नहीं. बल्कि किसी ने गहलोत सरकार के खिलाफ साजिश रची है, और इस साजिश में सुअरों को मोहरा बनाया गया है.
बताइये, गहलोत सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के खिलाफ कितनी गहरी साजिश हो रही है. लेकिन ये साजिश कर कौन रहा है? इस बात की पड़ताल करने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम ने पूरे भरतपुर में घूम-घूमकर इंदिरा रसोइयों का जायज़ा लिया. पता चला कि वहां तो वाकई में साजिश हो रही है. लेकिन ये साजिश गहलोत सरकार के विरोधी नहीं बल्कि राजस्थान के वो अधिकारी और सिस्टम कर रहा है जिनके कंधों पर इंदिरा रसोई योजना को चलाने की जिम्मेदारी है.
यानी इंदिरा रसोई की थाली में छेद वहीं लोग कर रहे हैं जिन्हें इस थाली में गरीबों को स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन देने का जिम्मा दिया गया है. इंदिरा रसोई योजना के रख-रखाव और गुणवत्ता जानने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम ने कई इंदिरा रसोई सेंटर का रियलिटी चेक किया है. इनमें से ज्यादातर की हालत देखकर ऐसा लगता है कि वाकई में वहां पर कोई साजिश हो रही है. लेकिन ये साजिश गहलोत सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि राजस्थान की गरीब जनता के खिलाफ हो रही है, जिन्हें 8 रुपये में थाली ऐसे उपलब्ध करवाई जा रही है मानो कोई अहसान किया जा रहा हो.
राजस्थान के भरतपुर में कई ऐसी इंदिरा रसोई हैं जहां के हालात बद से बदतर हैं. कोई रसोई नाले के किनारे चल रही है. किसी रसोई में जानवर घूम रहे हैं. किसी रसोई में बर्तन-शौचालय में धोए जा रहे हैं. एक रसोई में तो शराबियों के लिए भी थालियां परोसी जा रही हैं.
भरतपुर जिले में कुल 40 इंदिरा रसोई चल रही हैं, जिनमें से 15 भरतपुर शहर में हैं. ज़ी न्यूज़ रिपोर्टर ने इनमें से सात इंदिरा रसोइयों की ग्राउंड रिपोर्टिंग की है, जिनमें से कई ऐसी हैं जिन्हें अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देख लें तो उन्हें भी शर्म आ जाए कि सिस्टम ने उनके ड्रीम प्रोजेक्ट का कितना बुरा हाल कर दिया है. एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी. इंदिरा रसोई योजना के इस बैनर पर साफ-साफ लिखा है - 8 रुपये में पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन.
इस पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन की खोज में हम भरतपुर की इस इंदिरा रसोई में पहुंचते-पहुंचते थोड़ा लेट हो गये. हमें भोजन तो नहीं मिला लेकिन थालियां मिल गईं..धुलती हुईं. मुख्यमंत्री गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट की इतनी गंदी तस्वीर देखकर हमारे लिए ये तय करना मुश्किल हो गया कि थाली चाटते सुअर वाली तस्वीर ज्यादा गंदी थी या शौचालय में धुलती ये थालियां.
हमें लग रहा था कि मुख्यमंत्री गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट की अब इससे ज्यादा गंदी तस्वीर नहीं मिलेगी. लेकिन फिर हम पहुंचे भरतपुर के कुबेर गेट इलाके की इस इंदिरा रसोई सेंटर में. जहां गंदगी के बगल में बैठकर लोग खाना खा रहे थे. खाने पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. वहां शराब के गिलास देखकर हमें कोई हैरानी नहीं हुई. बिना शराब पिए इस इंदिरा रसोई के स्वादिष्ट भोजन को ग्रहण करना हर किसी के बस की बात नहीं है.
इंदिरा रसोईयों में गरीब लोगों को जिस तरह से खाना खिलाया जा रहा है, उसे देखकर लगा कि ऐसे तो कोई जानवरों को भी नहीं खिलाता. हालांकि इंदिरा रसोई के आसपास खाना खाने के लिए जानवर घूमते दिख ही जाते हैं. जैसे कि भरतपुर के नीमदा इलाके के इस इंदिरा रसोई सेंटर के आसपास का नजारा ऐसा है मानो कोई ये रसोई किसी गौशाला में चल रही हो. हाइजीन की उम्मीद तो छोड़ दीजिये.
यहां रखीं कच्ची सब्जियों से अंदाजा लगा लीजिये कि इंदिरा रसोई का खाना कितना स्वादिष्ट और पौष्टिक होगा. फफूंदी लगे आलू और सड़ने की हद तक खराब हो चुकी गोभी...ये दोनों मिलकर जो खाना तैयार करते हैं...उसका इंतजार गरीब लोगों को तो पता नहीं कितना रहता होगा..लेकिन जानवरों को पूरा पूरा रहता है.
एक साफ-सुथरी इंदिरा रसोई की खोज में भटकते-भटकते हम पहुंचे कलेक्ट्रेट कैंपस, जहां हमें एक इंदिरा रसोई दिख गई. एकदम चकाचक..जहां साफ-सफाई का ख्याल रखा गया था. लेकिन फिर ख्याल आया कि जिन कलेक्टर साहब के जिम्मे इंदिरा रसोई योजना की जिम्मेदारी है..वहां की इंदिरा रसोई गंदी कैसे हो सकती है...बस ये सिगरेट के पैकेट..इस VIP इंदिरा रसोई की शान में गुस्ताखी करते दिखे. कलेक्ट्रेट दफ्तर के कैंपस में ही हमें इंदिरा रसोई का विज्ञापन भी दिख गया. इंदिरा रसोई के नाम पर गहलोत सरकार और सिस्टम...छोटू के गरीब माता-पिता के साथ जो मजाक कर रहा है..उस पर आपको हंसी भी आ सकती है और गुस्सा भी.
अब हम इंदिरा रसोई योजना के जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों और सिस्टम से ये पूछना चाहते हैं कि क्या वो ऐसी गंदी-घिनौनी इंदिरा रसोई में भोजन करने की सोच भी सकते हैं ? हम गहलोत सरकार के मंत्रियों से पूछना चाहते हैं कि क्या वो किसी नाले के कोने पर इंदिरा रसोई पर बैठकर भोजन करना पसंद करेंगे और हम राजस्थान के नेताओं से पूछना चाहते हैं कि क्या वो जानवरों द्वारा चाटी गई किसी थाली में इंदिरा रसोई का भोजन कर पाएंगे ? इंदिरा रसोई के बर्तनों को चाटते जानवरों की तस्वीर वायरल होने के बाद राजस्थान के नेताओं को गहलोत सरकार ने ये टास्क दिया..तो क्या हुआ..ये आपको बताते हैं.
दरअसल दिक्कत ये है कि सरकारें गरीबों के लिए आठ रुपये में थाली उपलब्ध करवाने वाली इंदिरा रसोई जैसी योजनाएं फाइव स्टार होटल में बैठकर हजारों रुपयों की थाली खाते हुए बनाती हैं और करोड़ों रुपये खर्च करके ऐसी योजनाएं लॉन्च करती है. फिर इन योजनाओं को सिस्टम के भरोसे छोड़कर भूल जाती हैं और सिस्टम तो गरीबों का हक मारने के लिए पहले से ही मशहूर है. और इसी सिस्टम की भेंट चढ़ गई है इंदिरा रसोई योजना, जिसका लाभ गरीब जनता से ज्यादा सरकारी बाबू उठा रहे हैं.
भरतपुर के नगर आयुक्त अखिलेश पीपल कह रहे हैं कि जांच की जा रही है. क्या इंदिरा रसोइयों की हालत देखने के बाद भी किसी जांच की जरूरत है. लेकिन ये सिस्टम है ऐसे ही चलता है और ऐसे ही चलता रहेगा. सोचिये हमारे देश का सिस्टम कितना निर्दयी है जो गरीब की थाली में भी अपना छेद कर देता है और उससे अपनी जेब भर लेता है.
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