नई दिल्ली: कोरोना (Corona) के बढ़ते मामलों के बीच करीब 30 प्रमुख डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi), राज्य सरकारों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को पत्र लिखकर पुरानी गलतियों को दोहराने से बचने की अपील की है. अपने खुले पत्र में डॉक्टरों ने तथ्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि गैर-जरूरी टेस्ट और दवाओं के इस्तेमाल को तुरंत बंद कर देना चाहिए.


पहले भी हुईं थी गलतियां 


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डॉक्टरों ने अपने पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी की वर्तमान लहर से निपटने के लिए जांच के जिन अनुचित तरीकों को अपनाया जा रहा है, मरीजों को जिस तरह से अनगिनत दवाएं लेने की सलाह दी जा रही है, वो खतरनाक है और इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि दवाओं का अनावश्यक इस्तेमाल नुकसानदायक साबित हो सकता है,  जैसा कि इस महामारी की शुरुआती दो लहरों में देखने को मिला था.


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क्लीनिकल प्रबंधन पर उठाए सवाल


‘ओपन लेटर’ में कहा गया है, ‘डेल्टा लहर की भयावह मृत्यु दर और उपलब्ध साक्ष्यों के बावजूद हम देख रहे हैं कि कोविड-19 के क्लीनिकल प्रबंधन के दौरान वही गलतियां दोहराई जा रही हैं, जो हमने 2021 में की थीं. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन दवाओं और जांचों का इस्तेमाल बंद करने में दखल दें, जो इस महामारी के क्लीनिकल प्रबंधन के लिए उचित नहीं हैं. बड़ी संख्या में एसिम्टोमैटिक और हल्के लक्षण वाले मरीजों को दवा की कम जरूरत पड़ेगी या हो सकता है कि उन्हें बिल्कुल भी इसकी जरूरत न पड़े. ऐसे में उसी अनुरूप नीति तैयार होनी चाहिए’.


ये दवाएं प्रिस्क्राइब करना गलत


पत्र में कहा गया है कि कोरोना के लिए विटामिन कॉम्बिनेशन, एज़िथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फेविपिरवीर और आइवरमेक्टिन प्रिस्क्राइब करना तर्कहीन है. साथ ही गैर-जरूरी CT स्कैन और लैब टेस्ट पर भी रोक लगाने की बात कही गई है. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि मरीजों को बिना चिकित्सीय औचित्य के अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है, जिससे अस्पतालों पर बोझ बढ़ता है और लोगों को भी अतिरिक्त आर्थिक भार उठाना पड़ता है.


Doctors ने दिए ये सुझाव


डॉक्टरों ने अपने पत्र में सुझाव देते हुए कहा है कि साक्ष्य आधारित जून 2021 डीजीएचएस दिशानिर्देश अपडेट किया जाना चाहिए, सार्वजनिक शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षण के माध्यम से उन दवाओं के उपयोग को हतोत्साहित करें, जिनके कोरोना के इलाज में उपयोगी होने के कोई सबूत नहीं हैं, Unwarranted Diagnostics के इस्तेमाल को कम करने पर जोर दिया जाए, सभी स्थानीय भाषाओं में रैपिड टेस्टिंग, क्वारंटाइनिंग, आइसोलेशन और रिलीज के लिए होम-केयर दिशानिर्देश प्रकाशित किए जाएं और ऐसी दवाओं, कॉकटेल, वैकल्पिक उपचारों या औषधि के राज्य-प्रायोजित प्रचार या वितरण को रोका जाए, जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध उपचार नहीं हैं.