नई दिल्‍ली : युवाओं और आम लोगों के दिलों पर राज करने वाले देश के पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम, जिन्‍हें मिसाइलमैन के नाम से जाता है की आज 86वीं जयंती है. भारतरत्‍न डॉ. कलाम का जन्म तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. डॉ. कलाम का जीवन सदा युवाओें के लिए प्रेरणा का स्‍त्रोत बना रहेगा. उन्‍होंने भारत को बहुत कुछ दिया. डॉ. कलाम ने देश को सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं में आत्मनिर्भर बनाते हुए विकास के नए मिशन को देश की जनता के सामने प्रस्तुत किया. आज उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि भारत एक परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्र है. 


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कलाम एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे जो वास्तव में पूरी तरह से वास्तविक रूप से धर्मनिरपेक्ष था. वे हर धर्म का आदर करते थे. उन्‍होंने अपने जीवनकाल में कोई भी एक ऐसी बात नहीं की या आचरण नहीं किया, जिससे यह लगे कि किसी धर्मविशेष के प्रति उनका लगाव या झुकाव था. उनका पूरा जीवन जीवन ही प्रेरणास्पद है. डॉ. कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति बने, जोकि सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रहते थे और युवाओं तथा नए वैज्ञानिकों एवं बालकों के लिए प्रेरक बातें लिखा करते थे.


आइये जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें...


-15 अक्टूबर 1931 के तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे भारतरत्न राष्ट्रपति डॉ. कलाम का पूरा नाम अबुल जाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम था. 


-अब्दुल कलाम के जीवन पर उनके माता- पिता की अमिट छाप पड़ी थी. अब्दुल के जीवन पर विभिन्न धर्मों के लोगों का व्यपाक प्रभाव पड़ा था. उनके स्कूली जीवन को सही दिशा देने में उनके गुरु की महती भूमिका थी.


-डॉ. कलाम को अंग्रेजी साहित्य पढ़ने का चस्का लगा. फिर उनकी इच्छा भौतिकशास्‍त्र में हुई. अध्ययन के प्रारंभिक दिनों में ही उन्‍होंने विज्ञान और ब्रह्मांड, ग्रह- नक्षत्रों और ज्योतिष का काफी गहराई से अध्ययन कर लिया था.


-डॉ. कलाम ने सोशल मीडिया में कहा था, 'सरलता, पवित्रता और सच्चाई के बिना कोई महानता नहीं होती'. 


-उनके अंदर कवि, शिक्षक, लेखक, वैज्ञानिक सहित आध्यात्मिक गुण विद्यमान थे. एक प्रकार से वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.


-यह उनकी महान प्रतिभा का ही कमाल है कि आज भारत के पास अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल जैसी मिसाइलों का भंडार हो गया है. साथ ही उनकी प्रेरणा से ही भारत अब अपनी मिसाइल तकनीक को और विकसित करने में लग गया है.


-डॉ. कलाम ने साल 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई. जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक वे रक्षा विज्ञान सलाहकर और सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सलाहकार रहे. 1982 में उन्हें डीआरडीओ का निदेशक नियुक्त किया गया. यहीं पर उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा ने नए कीर्तिमान को छुआ. उन्होंने अग्नि एवं त्रिशूल जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया.


-साल 1998 में उन्हीं की देखरेख में भारत ने पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया. इसके बाद भारत परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सूची में शामिल हुआ था.


-कलाम अपने जीवनकाल में सदा युवाओं से मिलने और उनसे संवाद स्थापित करने का प्रयास करते थे. कलाम का मानना था कि युवा पीढ़ी ही देश की पूंजी है.


-डॉ. कलाम का मानना था कि जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनके आदर्श उस काल के सफल व्यक्तित्व ही हो सकते हैं. माता- पिता और प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आदर्श के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बच्चे के बड़े होने पर राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत से जुड़े योग्य तथा विशिष्ट नेता उनके आदर्श बन सकते हैं. 


-कलाम ने ही सर्वप्रथम भारत के लिए अपनी पुस्तक के माध्यम से विजन 2020 प्रस्तुत किया. यह पुस्तक भारत में काफी चर्चित हुई.


-उनके जीवन पर आधारित दो पुस्तकें 'तेजस्वी मन' और फिर 'अग्नि की उड़ान' उनके जीवन का एक खुला दस्तावेज हैं. उनकी देशभक्ति व कार्य राजनीति से परे थे. वह देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति बने थे जोकि राजनीति से अलग व बहुत दूर थे. 


-कलाम देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने संसद में अपने भाषण के दौरान पंथनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल किया था.


-डॉ. कलाम हमेशा युवाओं से ऊंचे सपने देखने की बात कहा करते थे. वे कहा करते थे कि ऐसे सपने देखो कि वे जब तक पूरे न हो जाएं तब तक आप को नींद न आए.


-डॉ. कलाम ने ही रेलवे को आधुनिक बनाने का मूलमंत्र दिया. कलाम को साल 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया.


(इनपुट IANS से भी)