कुंडा में राजा भैया के रसूख का इलेक्शन, यहां जानें क्या है ग्राउंड पर हकीकत
UP Election: साल 1993 से ही प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से चुनाव जीत रहे रघुराज प्रताप सिंह इस बार अपनी बनाई जनसत्ता पार्टी से परंपरागत सीट पर चुनाव मैदान में हैं. 27 फरवरी को होने वाले 5वें चरण के मतदान में कुंडा में भी वोटिंग होनी है.
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हाइप्रोफाइल सीट बनी कुंडा में इस बार रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया के रसूख का इलेक्शन होना है. राजा भैया यहां पर 1993 से लगातार विधायक हैं. कहा जाता है कि सरकारें चाहे किसी की हों, कुंडा में राजा की सत्ता ही रही है. 2002 के बाद हुए तीन चुनावों में सपा ने राजा के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था, लेकिन इस बार सपा ने राजा के पुराने महारथी को ही गुलशन यादव को मैदान में उतारा है.
1993 से हैं विधायक
वहां पर मौजूद लोग दबी जुबान से कह रहे हैं कि मौजूदा विधायक द्वारा लड़े गए किसी भी पिछले चुनाव ऐसा मुकाबला नहीं देखा गया था. राजा भैया ने पिछले छह कार्यकालों -1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के लिए एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सभी लहरों और चुनौतियों का सामना करते हुए जीत हासिल की थी. पिछले चुनाव में उनकी जीत का अंतर करीब एक लाख से ज्यादा वोटों का था.
कई पार्टियों की सरकार में रहे हैं मंत्री
निर्दल चुनाव लड़कर राजा भइया कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, मुलयाम सिंह यादव, अखिलेश यादव तक की सरकार में मंत्री रहे हैं. वो सुर्खियों में तब आए, जब 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें गिरफ्तार करवा कर उनके खिलाफ आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) भी लगाया था. 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनने के तुरंत बाद, उनके खिलाफ पोटा सहित सभी आरोप हटा दिए गए और उनका राजनीतिक कद रातों रात बढ़ गया. उसके बाद से उनका सपा के साथ संबंध बना रहा और पार्टी ने उनके खिलाफ 2007, 2012 और 2017 के तीन चुनावों में उम्मीदवार नहीं उतारा.
कुंडा में ब्राम्हण, ठाकुर, के साथ यादव, मुस्लिम व दलितों की प्रभावी संख्या है. अभी तक यह लोग राजा के साथ बिना लागलपेट के साथ चलते थे. लेकिन इस बार सपा के लड़ने से चुनावी माहौल अलग है.
जानिए क्या कहती है जनता
जिद्दी चौराहे पर खड़े इलाके के निवासी अशोक केसरवानी कहते हैं कि यहां पर कोई मुकाबले में नहीं है. सिर्फ राजा भइया ही चुनाव जीतेंगे. वह हमारे दु:ख-सुख में साथ रहते हैं. वहीं पास पर खड़े सीताराम का कहना है कि राजा ने गरीबों की मदद की है. गुलशन भी उनके दम पर राजनीति में आए थे. उनके परिवार के राजनीतिक कद को राजा ने ही बढ़ाया है. यहां पर कोई इलेक्षन नहीं हो रहा सिर्फ राजा को सिलेक्षन करके भेजना है.
यहां पर पान की गुमटी चला रही शकुन्तला का कहना है कि राजा भैया कभी यहां चुनाव नहीं हारेगें. चाहे गरीब लड़कियों की शादी हो उसमें उनके घर समान देना हो सब में राजा भरपूर साथ देते हैं. हम लोग उन्हें पिछले तीस सालों से चुनते आ रहे है. इस बार भी उन्हें चुनेंगे.
गुलशन यादव के कार्यलय के समीप चुनावी रणनीति तैयार कर रहे विमल पांडेय का कहना है कि इस बार कुंडा को अन्याय से मुक्त करवाने के लिए जनता ने ठान ली है. हमारे परिवार के लोगों मुकदमें लगाए गये हैं. काफी लोग जुल्म का शिकार हुए है. वहीं पास खड़े एक पंडित जी ने तपाक से कहा कि राजा के जुल्म का शिकार यहां के ब्राम्हण हुए इस कारण उनका पलायन हो गया है. करीब 10-15 घरों के लोगों को छोड़कर यहां से भगना पड़ा है. उसका बदला भी यही चुनाव से लिया जाएगा. कुछ लोग नाम न बताने की शर्त में कहते हैं कि तीन दशक में पहली बार राजा को प्रचार के लिए निकलना पड़ा है. पहले यहां पर तय कर दिया जाता था, लेकिन इस बार उन्हें घर-घर जाना पड़ रहा है। इस बार वोट का बंटवारा भी होगा.
'हम मर्जिन बढ़ाने की लड़ाई लड़ रहे हैं'
कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया का कहना है कि उन्हें मर्जिन बढ़ाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके टक्कर में कोई नहीं है. 'हम किसी भी विरोधी का नाम नहीं लेते है. 6 बार से कुंडा की जनता ने हमारा काम देखा है. यहां सभी लोग हमारे परिवार जैसे है. यहां पर बहुत विकास का काम हो चुका है. जो बचा इस बार किया जाएगा.'
सपा प्रत्याशी गुलशन यादव कहते हैं कि इस बार कुंडा एक नया इतिहास लिखेगा. यहां पिछले कई सालों से कोई विकास नहीं हुआ है. कोल्ड स्टोर खुलवाना है. ब्राम्हण समाज के लोग पलायन कर चुके हैं उन्हें स्थापित करना है. यहां पर कोई चुनावी लड़ाई नहीं है. इस बार जनता ने समाजवादी पार्टी को सत्ता में लाने की ठान ली हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)
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