Ghulam Nabi Azad Resignation: गुलाम नबी आजाद और राहुल गांधी के बीच मनमुटाव नया नहीं, पहले भी हो चुका है आमना-सामना
Ghulam Nabi Azad Resignation: गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने त्याग पत्र में राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला. आजाद और राहुल गांधी के बीच मनमुटाव नया नहीं है पहले भी दोनों नेता आमने-सामने आ चुके हैं.
Ghulam Nabi Azad News: कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने शुक्रवार को पांच पेजों का त्याग पत्र पार्टी को भेजा. इस त्याग पत्र में राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला. आपको बता दें कि आजाद और राहुल गांधी पहले भी आमने-सामने आ चुके हैं. आजाद पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के करीबी थे, जिन्होंने उनकी सलाह सुनी. हालांकि, जब राहुल गांधी ने सीधे फैसला लेना शुरू किया, तो आजाद को पार्टी में दरकिनार कर दिया गया. उनकी हाल ही में ये शिकायत थी कि आजाद से अगले कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के लिए सलाह नहीं ली गई थी.
राहुल के साथ नहीं थे अच्छे संबंध
जून में सोनिया गांधी ने पार्टी में नंबर 2 की पेशकश की थी, लेकिन आजाद ने मना कर दिया था. सूत्रों ने कहा कि आजाद ने सोचा था कि वह पार्टी में नंबर 2 बन सकते हैं, लेकिन यह नहीं हो सका, जिसके पीछे राहुल को ही माना गया. आजाद राज्यसभा में 2014 से 2021 तक विपक्ष के नेता रहे और इस दौरान राहुल गांधी के साथ आजाद के संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे.
पीएम मोदी ने की थी तारीफ
बाद में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद की विदाई में अपने भाषण के दौरान उनकी प्रशंसा की, जबकि आजाद के लिए पद्म भूषण पुरस्कार ने स्थिति को और खराब कर दिया. आजाद के पार्टी से इस्तीफे के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'एक व्यक्ति जिसे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सबसे बड़े सम्मान के साथ व्यवहार किया गया है, उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से इसे धोखा दिया है, जो उसके असली चरित्र को प्रकट करता है. जीएनए का डीएनए मोदी-फाईड'
अपमानित करने का लगाया आरोप
राहुल गांधी के साथ अपनी आखिरी मुलाकात के दौरान, आजाद के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्हें वह सम्मान नहीं दिया गया जो सोनिया गांधी ने उन्हें दिया था, जबकि राहुल ने कथित तौर पर उन्हें उनके पहले नाम से बुलाया था. हालांकि, आजाद को आश्वासन के बाद कथित तौर पर राज्यसभा सीट से वंचित करने के बाद उनके रिश्ते खराब हो गए, क्योंकि राहुल गांधी ने इसे वीटो कर दिया था. आजाद ने अपने त्याग पत्र में सीडब्ल्यूसी सदस्यों पर जी-23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने के बाद उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस में खड़ा हुआ सियासी भूचाल
उनकी पांच पेज की इस चिट्ठी ने कांग्रेस में सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है. आजाद ने लिखा है, जम्मू कश्मीर में वे उस वक्त कांग्रेस में शामिल हुए, जब पार्टी में खासी उथलपुथल थी. फिर यूथ कांग्रेस में संजय गांधी के साथ जेल जाने का जिक्र किया. पत्र में ये भी लिखा कि तीन दशक तक उन्होंने संजय गांधी से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ काम किया, लेकिन 2013 में राहुल गांधी के महासचिव बनाए जाने के बाद आपसी सलाह मशवरा का दौर खत्म कर दिया गया. वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर नए लोगों की एक कोटरी तैयार हो गई। इसके चलते राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़े गए 49 में से 39 विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा.
कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
उन्होंने सोनिया को लिखे पत्र में कहा, अगस्त 2020 में जब मैंने और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों सहित 22 अन्य वरिष्ठ सहयोगियों ने आपको पार्टी में अबाध बहाव को चिह्न्ति करने के लिए लिखा था, तो कोटरी ने अपने चाटुकारों को हम पर उतारने के लिए चुना और हम पर हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि आज एआईसीसी चलाने वाली मंडली के निर्देश पर जम्मू में उनका नकली अंतिम संस्कार जुलूस निकाला गया और इस अनुशासनहीनता को करने वालों को एआईसीसी के महासचिवों और राहुल गांधी द्वारा व्यक्तिगत रूप से दिल्ली में लाया गया.
(इनपुट- आईएएनएस)
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