कोलकाता: पश्चिम बंगाल में इस साल होने वाले विधान सभा चुनावों में बीजेपी की कमान पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah)ने संभाल रखी है. गृह मंत्री अमित शाह फिलहाल बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं. बंगाल दौरे के दौरान Zee News के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Choudhary) और  ज़ी चौबीस घंटा (ZEE24 GHANTA) के ए़डिटर अंजन बंद्योपाध्याय (Anjan Bandyopadhyay) ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से खास बातचीत की. अमित शाह ने कहा कि बंगाल में परिवर्तन निश्चित है. देश का मूड बदल चुका है, बंगाल का मूड भी बदलेगा. 


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अंजन बंद्योपाध्याय- बंगाल चुनाव आ रहा है. आप कांफिडेट हैं कि आपको 200 सीटें मिलेंगी. 
अमित शाह- 200 से ज्यादा कहा है.


अंजन- इसका आधार क्या है? किस बेसिस पर आप बोल रहे हैं.
अमित शाह- देखिए इसके दो आधार हैं. एक यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन को 2017 से 2020 तक बहुत मजबूत कर लिया है. हर गांव में, हर बूथ में, हर तहसील पर, हर जिले पर और प्रदेश स्तर पर सभी जगह हमारे प्रकोष्ठ और मोर्चे हैं, इसकी संपूर्ण रचना हो चुकी है और इसके माध्यम से हमने हमारा तारतम्य बंगाल की जनता के साथ जोड़ने का प्रयास किया है जिसमें हम सफल रहे हैं. दूसरे मुद्दे के दो हिस्से हैं. एक जो साढ़े 6 साल तक जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार चली है और देश में हर क्षेत्र के अंदर इस सरकार को परिवर्तन में लाया है, हर क्षेत्र में परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है, विजिबल है. इसी के कारण जनता में एक आशा बनी है कि मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी परिवर्तन ला सकती है. दूसरी ओर यहां पर 10 साल से तृणमूल कांग्रेस का जो कुशासन रहा है और कुशासन से ज्यादा जिस आशा और अपेक्षा के साथ कम्युनिस्ट शासन को हटाकर मां, माटी, मानुष के आधार पर ममता जी यहां पर मुख्यमंत्री बनी थी. वो सारी आशाओं को, सारे सपनों को आज चकनाचूर होते हुए बंगाल की जनता देख रही है. एक और मोदी जी के सरकार के कामों के कारण हम परिवर्तन कर सकते हैं, वो आशा बंधी है. ममता जी परिवर्तन करने में विफल रही हैं, मुझे लगता है इसके कारण बंगाल के अंदर 2019 के चुनाव से ही बंगाल की जनता भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ना शुरू हुई है और मैं बहुत conservative तरीके से आपको 200 का figure देता हूं हम बहुत आगे जाएंगे.


अंजन- ममता जी ने कल की रैली में कहा कि आप भतीजे को टारगेट कर रहे हैं लेकिन भतीजे के खिलाफ कुछ सबूत नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आप सबूत तो दो, भतीजे का नाम हमेशा क्यों लेते हो?
अमित शाह- चलिए सबूत मुझे नहीं देना है. एजेंसियों को देना है. मगर मैं इतना ही कहता हूं कि अगर दे देते हैं तो ममता जी ये न कहें कि विक्टिमाइज कर रहे हैं या राजनीतिक बदले की कार्रवाई कर रहे हैं. 


सुधीर चौधरी- आपको ऐसा लगता है कि परिवर्तन होगा. मान लीजिए अगर नहीं हुआ बंगाल में.
अमित शाह- कोई सवाल ही नहीं है सुधीर जी. आप मान कर चलिए, निश्चित परिवर्तन होने वाला है.


सुधीर चौधरी- और अगर यहां परिवर्तन हुआ तो आपको ऐसा लगता है कि देश के मूड में भी परिवर्तन होगा?
अमित शाह- देश के मूड में परिवर्तन है ही पूरा देश मोदी जी के साथ है. ये परिवर्तन का जो मूड है देश का, उसका परिचय लोगों को बंगाल के चुनाव से मिलेगा. 


सुधीर चौधरी- मेरा भाव ये था कि इस परिवर्तन से ACTUALLY आपकी इज्जत की, नाक की लड़ाई बन गई है.
अमित शाह- ना, ना, ना ये नाक की लड़ाई नहीं है. बंगाल के अंदर स्थिति को बदलने की लड़ाई है.


सुधीर चौधरी- आपने कांग्रेस और राहुल गांधी पर इतना ज्यादा समय लगा दिया कि उसकी वजह से ममता बनर्जी और बाकी के जो क्षेत्रीय नेता हैं, दल हैं वो बहुत ज्यादा मजबूत हो गए. ममता बनर्जी इतनी मजबूत हो गईं कि वो सीधे आपको टारगेट करती हैं, सीधे प्रधानमंत्री को टारगेट करती हैं.
अमित शाह- राजनीति में स्वाभाविक रूप से जो विरोधी होंगे, इसके खिलाफ कोई भी दल बात कर सकता है. कोई भी राजनेता बात कर सकता है, बुरा नहीं मानना चाहिए.


सुधीर चौधरी- आपके 130 वर्कर्स की हत्या करने की हिम्मत और किसी की नहीं हुई, किसी और राज्य में. 
अमित शाह- देखिए अगर आप इसको उपलब्धि मानते हैं तो ठीक है. मैं कोई टिप्पणी करना नहीं चाहता. मगर इतना जरूर कहना चाहता हूं कि बंगाल के अंदर राजनीतिक हिंसा करके अपने आपको जो लोग सुरक्षित मानते हैं. यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद इन सारी घटनाओं की तह तक हम जाएंगे और जांच करेंगे. जो लोग दोषी हैं, उन सबको जेल की सलाखों के पीछे ले जाएंगे. 


सुधीर चौधरी- ये आप कह चुके हैं लेकिन इससे आगे का मेरा सवाल ये है कि क्या उस जांच के दायरे में ममता बनर्जी स्वयं भी होंगी? 
अमित शाह- मैंने कहा ना. जो भी जिम्मेदार हैजो RESPONSIBLE है, वो सभी होंगे


सुधीर चौधरी- पर ममता बनर्जी का नाम नहीं ले रहे हैं आप ?
अमित शाह- जब जांच होगी, नाम तो तब लिए जाएंगे. जांच के बगैर मैं नहीं कह सकता. मैं किसी प्रकार का गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहता. 


अंजन- इससे पहले आपने कहा था कि इन्होंने मां शारदा को भी भ्रष्टाचार में जोड़ दिया. शारदा, नारदा, रोज वैली स्कैम हैं. इनकी जांच अभी तक चल रही है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है. लोग चाहते हैं कि जो भी भ्रष्टाचार के आरोपी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. 
अमित शाह- काफी सारे लोगों को अरेस्ट किया गया है. निश्चित रूप से इस मामले की अंतिम तह तक जांच होनी चाहिए. 


अंजन- इस चुनाव में जय श्री राम के स्लोगन को लेकर एक आक्रोश भी दिखता है. आपको लगता है कि क्या ये तुष्टिकरण के खिलाफ आक्रोश है?
अमित शाह- निश्चित रूप से. जय श्री राम बंगाल में कोई धार्मिक नारा नहीं है. जय श्री राम बंगाल के अंदर तुष्टीकरण की पॉलिटिक्स के खिलाफ आक्रोश है. नारों का स्वरूप बदलता है, एक नारा वंदे मातरम जो एक जमाने में अंग्रेजों की खिलाफत के लिए था. आज वंदे मातरम देशभक्ति को प्रदर्शित कर युवाओं को भारत को मजबूत करने के यात्रा में जोड़ने के लिए है. नारों का स्वरूप बदलता है. अयोध्या के वक्त जय श्री राम का नारा जो था और यहां पर जो जय श्री राम का नारा था, दोनों में बहुत बड़ा अंतर है. यहां जय श्री राम का नारा बंगाल के अंदर जिस प्रकार से तुष्टीकरण की राजनीति को चरम सीमा पर ममता जी ने पहुंचाया. आपको दुर्गापूजा करने के लिए भी कोर्ट का सहारा लेना पड़े. सरस्वती पूजा का कार्यक्रम करने वाले शिक्षक की हत्या हो जाए और एक भी अरेस्ट ना हो. किस प्रकार का बंगाल इन्होंने बनाया. इसके खिलाफ बंगाल की जनता का आक्रोश है अगर ममता जी ये समझती हैं कि जय श्री राम का नारा हम लगा रहे हैं तो उनको मालूम नहीं है. नारा कभी नेता नहीं लगा सकते. नारा जनता लगाती है. वो जहां जहां जाएंगी, उन्हें जय श्री राम का नारा सुनना पड़ेगा.  मैं तो मानता हूं कि उनको इसमें तकलीफ नहीं होनी चाहिए


सुधीर चौधरी- अमित जी बहुत सारे लोग यह भी कहते हैं कि जब पश्चिम बंगाल में आते हैं तो ऐसा लगता है, पाकिस्तान में आ गए हैं. यहां न भारत का संविधान चलता है, न यहां भारत के कानून है ना सीबीआई आ सकती है, न ED आ सकती है. आप जब यहां पर आते हैं, क्या आपको भी यहां पर ऐसा ही महसूस होता है कि आप एक और किसी दूसरे देश में या ऐसे प्रदेश में आ गए हैं?
अमित शाह- मैं यहां पाकिस्तान जैसा शब्द प्रयोग नहीं करूंगा, मैं कभी नहीं चाहूंगा कि ऐसा कभी हो. परंतु मैं इतना जरूर मानता हूं कि यहां अराजकता है. यहां पर कानून और व्यवस्था की परिस्थिति ठीक नहीं है. पूरे प्रशासनिक तंत्र का राजनीतिकरण कर दिया गया है. 


सुधीर चौधरी- मान लीजिए आपकी सरकार बन गई बहुत सारे लोग पूरे देश के और पश्चिम बंगाल के भी सुन रहे होंगे. अगर आपकी सरकार बन गई तो आप का रोडमैप क्या होगा? सबसे पहले आप क्या करेंगे? कहां से शुरुआत करेंगे?


अमित शाह- ढेर सारे मोर्चों पर हमें आगे बढ़ना पड़ेगा. सबसे पहली प्राथमिकता कानून और व्यवस्था को सुधारना होगा,जैसे हमने यूपी में किया है. यूपी में भी प्रशासनिक तंत्र का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका था, जिसे बीजेपी ने सुधारा. हम बंगाल में घुसपैठ को भी कंट्रोल में करेंगे और विकास के मोर्चे पर सभी समुदायों और इलाकों को साथ लेकर आगे बढ़ने का काम करेंगे. 


अंजन- आप सोनार बांग्ला बोलते हैं. सोनार बांग्ला लाएंगे. सोनार बांग्ला का मतलब क्या है? ये इंडस्ट्री में या एजुकेशन में किस तरीके से आप कार्य करने की सोच रहे हैं.
अमित शाह-इतना सीमित मतलब नहीं है सोनार बांग्ला का. सोनार बांग्ला का मतलब है हर बंगाली नागरिक अपनी अभिव्यक्ति भय के बगैर कर पाए. इस प्रकार के वातावरण का निर्माण हम करेंगे. सोनार बांग्ला का मतलब है राज्य और देश की सीमाओं को सुरक्षित करना. सोनार बांग्ला का मतलब है हर गरीब को दो समय भरपेट भोजन मिल पाए, इसकी व्यवस्था करना. सोनार बांग्ला का मतलब है हर युवा को रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ना. सोनार बांग्ला का मतलब है एडमिनिस्ट्रेशन जो पूरा चरमरा गया है, उस एडमिनिस्ट्रेशन को पटरी पर लाना. जिस बंगाल का देश में सबसे ज्यादा जीडीपी कंट्रीब्यूशन होता था, उसे फिर पुराना रुतबा वापस दिलाना. सोनार बांग्ला का मतलब है बंगाल की अस्मिता को जागरूक करना. सोनार बांग्ला का मतलब है यहां पर संस्कृति और कला जो बम धमाकों की आवाज में दब गई है, उसको फिर वापस लाना. सोनार बांग्ला सिर्फ आर्थिक विकास का परिचायक नहीं है.


सुधीर चौधरी- पर ये सब करने के लिए अमित जी आपके पास टीम है क्या, कोई कप्तान है?
अमित शाह- ऐसा है. जब हम सरकार बनाने जा रहे हैं तो हम इस पर भी सोच रहे हैं. मेरी पार्टी की पूरी टीम इस पर लगी है. बड़े-बड़े लोग जो सरकार अच्छे से चला रहे हैं, वो हमारी पार्टी को ज्वाइन कर रहे हैं. सरकार अच्छे से चला सकते हैं, ऐसे लोग भी ज्वाइन कर रहे हैं. जब हमारी सूची आएगी तब देखिएगा. आपको बिना कहे ही मंत्रिमंडल दिखाई पड़ जाएगा.


सुधीर चौधरी- पर मुख्यमंत्री के बारे में आपने सोचा है ?
अमित शाह- मुख्यमंत्री के बारे में अभी पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं लिया है.


अंजन- आपने कहा, भूमिपुत्र होंगे ये तय हो गया है. लेकिन आप किसी का नाम नहीं बोल रहे हैं तो जनता ये सोच रही है कि यह लड़ाई ममता बनर्जी और मोदी जी की है. 
अमित शाह- ये तृणमूल कांग्रेस का दुष्प्रचार है. जिसे आप जैसे एडिटर भी क्लियर नहीं कर पा रहे हैं. आप मुझे बताओ, भला जहां बंगाल में मेरा वोट ही नहीं है मैं कहां से मुख्यमंत्री बन सकता हूं.


अंजन- नहीं, आप तो मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.
अमित शाह- तो फिर लड़ाई हमारे बीच में कैसे होगी. किसी बंगाली और इनके बीच में ही होगी.  मुख्यमंत्री तो बंगाली ही बनेगा. ऐसे बंगाल की रचना ममता दीदी करना चाहती हैं, जहां देश से कोई आ ही ना पाए तो फिर सुभाष बाबू कैसे अखिल भारतीय अध्यक्ष बनते कांग्रेस पार्टी के, जन गण मन और वंदे मातरम को पूरा देश क्यों स्वीकार करता. देश की कोई कल्पना है या नहीं है. मैं 25 बार कह चुका हूं कि यहां का मुख्यमंत्री बंगाल में जन्मा हुआ बंगाल में पढ़ा हुआ यहां का भूमि पुत्र ही बनेगा और अगर ममता दी चाहती हैं कि इसमें से बहुत बड़ा भेद खड़ा कर देगी तो वो बंगालियों को जानती नहीं है.


सुधीर चौधरी- अच्छा ये तो आपने स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री कैसा होगा और उसके जो पैमाने होंगे , वे कैसे होंगे? आपको ऐसा भी लगता है अमित जी कि ये जो चुनाव हैं, ये प्रचार का नहीं बल्कि दुष्प्रचार का चुनाव बन गया है?
अमित शाह- ना ऐसा नहीं है. ये चुनाव लोगों की आकांक्षा का चुनाव है. ये चुनाव लोगों के आक्रोश का चुनाव है और ये चुनाव लोगों के मन में जो परिवर्तन की इच्छा पड़ी है, उसका चुनाव है. ना ये प्रचार का है ना दुष्प्रचार का है. आप परिणाम देख लीजिएगा, प्रचार और दुष्प्रचार से कुछ नहीं होता साहब. जनता मन में जो तय कर कर बैठी है, इसकी अभिव्यक्ति मत के अंदर होगी और सरकार तृणमूल कांग्रेस की ऑलरेडी जा चुकी है. सरकारें जनता के मन में जीती हैं. अभी जो सरकार बंगाल में है वो बस अपना कार्यकाल पूरा कर रही है. बाकी जनमानस के अंदर की जो बात है तो लोग उसे पहले ही विदा कर चुके हैं. 


सुधीर चौधरी- आपने तो बहुत चुनाव लड़े हैं पूरे देश भर में. ऐसा जो जहरीला माहौल है, वो और कहीं इससे पहले देखने को नहीं मिला. किसी भी राज्य की तुलना कर लीजिए या तो वह आपको यहां मिलेगा या फिर आपको केरल में मिलेगा. 
अमित शाह- देखिए यहां लंबे समय तक कम्युनिस्टों का शासन रहा है. इसके कारण बंगाल की राजनीति में एक हिंसा की संस्कृति आई है, जो बंगाल की संस्कृति हो नहीं सकती. मगर मुझे भरोसा है कि इस बार जो परिवर्तन होगा इसके बाद हिंसा की राजनीति का हम पूर्ण तरीके से उन्मूलन कर पाएंगे.


अंजन- इस चुनाव में हिंसा की कोई आशंका है?
अमित शाह- मुझे लगता है जनता का भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ाव इतनी बड़ी मात्रा में होगा.  इतनी बड़ी मात्रा में जन आक्रोश है, इतनी बड़ी मात्रा में परिवर्तन की आकांक्षा है कि गुंडे भी डरेंगे हिंसा करते हुए.


सुधीर चौधरी- लेकिन गुंडे तो आ चुके हैं चुनाव प्रचार में. 
अमित शाह - नहीं वह तो है ही विद्यमान. उन्हें लाने की जरूरत नहीं है. आप लास्ट पंचायत चुनाव का हाल देख लीजिए. लोग अपना वोट नहीं डाल सकते. हाईकोर्ट को व्हाट्सएप पर पर्चा डालने की परमिशन देनी पड़ती है क्या जवाब है ममता दीदी के पास इसका. देश भर में कहीं देखा है आपने कि व्हाट्सएप पर नॉमिनेशन होगा.नॉमिनेशन सेंटर पर कोई पर्चा डालने के लिए नहीं जा पाएगा क्या जवाब है उनके पास. कोई जवाब नहीं है और वो क्या मानती हैं कि बंगाल की जनता ये सब नहीं समझती. ममता दी विकल्प नहीं था, अब भारतीय जनता पार्टी विकल्प बन चुकी है.


सुधीर चौधरी- हमने ये भी देखा कि आपके जितने भी नेता बाहर से आ रहे हैं. यहां आने के बाद उन सबकी सुरक्षा आपको बढ़ानी पड़ी है तो इतनी सुरक्षा के बीच में चुनाव प्रचार या चुनाव लड़ना ये आपकी ताकत को लिमिट नहीं करता.
अमित शाह- ये शुरुआत है. जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा सुरक्षा तृणमूल कांग्रेस के गुंडों को लेनी पड़ेगी, मेरी बात याद रखना.


सुधीर चौधरी- अपने जो वामदल हैं. उनके जो बुद्धिजीवी हैं. उनका जो टेस्ट है, वो आपने दिल्ली में देख लिया. किसान आंदोलन में किस तरह की जो मशीनरी है, वो काम कर रही है. आपका क्या ऐसा मानना है कि किसान आंदोलन का असर यहां भी पड़ेगा पश्चिम बंगाल में?
अमित शाह - देखिए मेरा मानना है कि भारत में वामपंथी आंदोलन समाप्त हो चुका है. अब जो बचे खुचे लोग हैं वो देश की परिवर्तन की राह को मोड नहीं सकते, अटेंप्ट जरूर कर सकते हैं. देश में जो परिवर्तन आ रहा है, वे इसका रास्ता नहीं बदल सकते.  


सुधीर चौधरी- लेकिन जो आंदोलन हुआ कृषि कानूनों को लेकर. आपको लगता है यहां भी कोई फैक्टर हो सकता है पश्चिम बंगाल में?
अमित शाह- देखिए भई. डेमोक्रेसी है, लोकतंत्र है. सभी लोग अपनी अपनी बात रखेंगे. जनता जिस बात को सच्चा मानेगी वो मतपेटी के अंदर इसकी अभिव्यक्ति करेगी. हमें अपना पक्ष रखना चाहिए उन्हें अपना. मगर यहां के किसान को 6000 रुपया चाहिए, जो मोदी जी भेज रहे हैं और ममता दी उसको मिलने नहीं दे रही. मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि बंगाल के गरीब किसानों का क्या दोष है कि उसको ये 6000 रू नहीं मिल रहे हैं. पीएम मोदी जी ने आश्वस्त किया है कि चिंता मत करिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही पुराना भी देंगे और नया भी देंगे. बिना कट मनी के सारा पैसा किसानों के बैंक खातों में टांसफर कर देंगे. 


सुधीर चौधरी- आपने ये भी कहा कि अगर आपकी सरकार आई तो CAA आप बहुत जल्दी लागू कर देंगे.
अमित शाह- CAA का सरकार से कोई लेनादेना नहीं है. CAA देश का कानून है, पूरे देश भर में लागू होगा.


सुधीर चौधरी- पर ममता जी तो कह चुकी हैं वो यहां लागू नहीं देने देंगी उसको?
अमित शाह- वो तो काफी सारी बातें ऐसी कहती हैं. 


अंजन- बात करें मतुआ संप्रदाय की. जो दिल आजादी के बाद अगर किसी ने छुआ तो आपने छुआ. ये सही है लेकिन CAA पर उनकी भी एक आंकाक्षा है कि वो जल्दी लागू हो जाए. इस बार आप आए थे तो उनको लगा कि कुछ होगा. आपने कहा टीकाकरण के बाद होगा, टीकाकरण के साथ ये कैसे जुड़ा हुआ है ये सवाल कुछ लोगों ने उठाया, आप बता दीजिए क्या सोचा है आपने?
अमित शाह- देखो भाई. सबसे पहले मैं एक बात बता दूं. आप जो ये सवाल पूछ रहे हो, वो तृणमूल कांग्रेस का सवाल है. अच्छा ही हुआ, आपने पूछ लिया तो मैं CLARIFY कर पाऊंगा. आप ये समझ लीजिए कि 70 साल से इनको वादा किया गया था. आजादी के वक्त जो कांग्रेस के नेता थे उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश और पाकिस्तान से उस वक्त के पूर्वी पाकिस्तान से और पश्चिमी पाकिस्तान से, अफगानिस्तान से जो लोग शरणार्थी के रूप में आते हैं जो हिंदू सिक्ख बौद्ध जैन हैं. उनको हम नागरिकता देंगे. ये वादा कांग्रेस का किया हुआ वादा था मगर आज तक किसी ने पूरा नहीं किया.  हमने 2018 में बंगाल की जनता को और देश भर में बैठे हुए शरणार्थियों को ये वादा किया कि इसको हम पूरा करेंगे, हम CITIZENSHIP AMENDMENT ACT लेकर आएंगे और 2019 में हम एक्ट लेकर आ गए. एक ही साल में तो 70 साल का वादा 70 साल तक कांग्रेस, तृणामूल कांग्रेस, कम्यूनिस्ट किसी ने पूरा नहीं किया, हमने एक साल के अंदर पूरा किया है. जहां तक प्रक्रिया पूरा करने का सवाल है, उनको अब कोई निकाल नहीं सकता, पहले ये भी समझ लीजिए. ये भी भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार ने व्यवस्था की है कि 2018 में जितने भी शरणार्थी हैं उसको LONG TERM VISA देकर यहां रृहने की व्यवस्था करेंगे हम. उनको निकाल नहीं सकता कोई, अब जहां तक उनको मताधिकार देने का सवाल है, नागरिक बनाने का सवाल है, ये भी हम जल्दी ही करेंगे और मतुआ समाज बहुत अच्छे तरीके से जानता है कि जिन्होंने कुछ नहीं किया और आज भी कह रहे हैं हम नहीं करेंगे तो उनको ये सवाल उठाने का अधिकार नहीं है. ममता दीदी तो आज भी कह रही हैं कि हम नहीं देंगे नागरिकता. आज भी कह रही हैं तो भला क्या मतुआ समाज ममता दीदी का भरोसा करेगा और क्यों करेगा. वो तो कह ही रही हैं कि हम नहीं बनने देंगे आपको नागरिक क्योंकि आपको देने से हमारे दूसरे वोट बिगड़ जाते हैं. CAA हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, CAA देश ने एक जो वादा किया था. वो करोड़ों लोगों के साथ 70 साल तक जो अन्याय हुआ है वो अन्याय के परिमार्जन का भुगतान है.


अंजन- बंगाल की जो संस्कृति है, कल्चर है. इसके साथ इस बार चुनाव कैसे जुड़ा हुआ है.  आपके प्रचार में उनके प्रचार में सभी लोग संस्कृति को लेकर कुछ लोग ज्यादा ही बोल रहे हैं. संस्कृति इस बार चुनावी मुद्दा बन गया है आपको क्या लगता है?
अमित शाह- इसीलिए चुनावी मुद्दा बना है कि संस्कृति का नुकसान हुआ है. ये बम-धमाके आजादी के बाद वाले बंगाल की संस्कृति नहीं है. ये चुनावी हिंसा बंगाल की संस्कृति नहीं थी. CONSERVATIVE माइंडसेट से राजनीति चलाना ये बंगाल की संस्कृति नहीं थी. परिवारवाद चलाना बंगाल की संस्कृति नहीं थी, संस्कृति का हास हुआ है. इसीलिए बंगाल की संस्कृति चुनावी मुद्दा बनी है और बननी भी चाहिए.


सुधीर चौधरी- अमित जी. आपने बहुत सारे ऐसे नेताओं को लिया अभी बीजेपी में, जो कि ममता बनर्जी के बहुत करीबी थे. उन्होंने ममता के स्टाइल को अच्छी तरह से जाना है तो क्या आप अब ममता बनर्जी की पूरी STRATEGY को डिकोड कर चुके हैं. आपको तो वैसे भी चाणक्य कहा जाता है कि आप डीकोड करते हैं कि सामने वाले की रणनीति क्या है?


अमित शाह- सुधीर भाई आप मेरी बात मानकर चलिएगा कि कुछ डिकोड करने जैसा नहीं है बंगाल में क्योंकि जनता सब कुछ पहले ही डिकोड कर चुकी है. आप अभी भी मानकर चलिएगा कि ये सरकार बंगाल की जनता के जनमानस से निकल चुकी है. बस अब उसे विदा करने की एक संवैधानिक प्रक्रिया बाकी है. 


सुधीर चौधरी- तो उसी को घुमाकर मैं पूछता हूं If Mamata Banerjee overhiped in national politics also and here also
ममता बनर्जी का जो रुतबा है, दिल्ली में भी आपको देखने को मिलता है. कुछ भी कह देतीं हैं तो राष्ट्रीय मीडिया में भी छपता है तो आज आप indirectly ये कह रहे हैं कि overhiped हैं?
अमित शाह- ना मैं ये नहीं कहता. वो दो बार इतने बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बनीं हैं. बड़ी नेत्री हैं, इसमें मेरे मन में कोई दुविधा नहीं है मगर वो विफल हो चुकी हैं और उनकी विफलता को बंगाल की जनता जान चुकी है. ये मेरा कहना है ममता दीदी के राजनीतिक कद को मैं नकारना नहीं चाहता.


सुधीर चौधरी- 2016 में 10% फिर 2019 में सीधे 40% और 19 में 3% का अंतर बचा था वोट शेयर में. अब ये जो 3% है. आपको लगता है कि ये 3 और 5-6 % के हेर फेर में होगा इस बार या बहुत बड़ा जंप लेंगे इस बार जैसे 19 में लिया था ?
अमित शाह- वर्ष 2019 में जब हम कहते थे कि हम भी सीट जीतेंगे तब बंगाल की जनता के मन में आशंका थी कि भारतीय जनता पार्टी गुंडों का क्या करेगी. वोट होगा या नहीं होगा. सबके मन में थी आशंका. मेरे कार्यकर्ताओं के मन में भी थोड़ी बहुत थी. परंतु अब वो आशंका नहीं रही है क्योंकि एक बार 18 सीट आती है तो यहां बहुमत हो ही सकता है. ये बात अब बंगाल की जनता जान चुकी है. इसलिए परिवर्तन के लिए बंगाल की जनता भी मनोयोग से भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा के साथ जुड़ी है. मोदी जी के जो एफर्मेटिव प्रयास हैं इसके साथ चट्टान की तरह बंगाल की जनता खड़ी रही है.


सुधीर चौधरी- मोदी जी भी अब काफी इंटरेस्ट ले रहे हैं पश्चिम बंगाल में और बहुत सारे लोग तो अब यह भी कहते हैं कि आजकल जो उनका लुक है वो भी रविंद्र नाथ टैगोर जैसा बन रहा है. बहुत सारे लोगों का तो यह कहना है कि शायद पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए ऐसा यह लुक आ रहा है. 
अमित शाह- देखिए लुक को आप छोड़ दीजिए. बंगाल के चुनावों में मोदी जी हमारा सबसे बड़ा चेहरा हैं. देशभर में हमारे सर्वोच्च नेता हैं और बंगाल की जिस प्रकार की परिस्थिति है मोदी जी छोड़िए किसी भी प्रधानमंत्री को चिंतित होना बड़ा स्वाभाविक है क्योंकि बंगाल की चिंता सिर्फ बंगाल की नहीं है देश की सीमाएं बंगाल से सटे कई देशों से मिलती हैं. नार्थ ईस्ट की एंट्री बंगाल से है तो स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है .


सुधीर चौधरी- आप तो होम मिनिस्टर हैं. आप होम मिनिस्टर रहते हुए जब आप यहां आते हैं आपको कुछ एक फीलिंग ऑफ हेल्पलेसनेस असहाय जैसा लगता है कि अगर सब कुछ आपके हाथ में होता तो बहुत चीजें हैं राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी बहुत चीजें बदल सकती थी.
अमित शाह- देखिए असहायता का भाव कभी किसी भी व्यक्ति को मदद नहीं कर सकता.  परिस्थिति के सामने लड़ कर उसको बदलना ही इसका जवाब हो सकता है, जो हम कर रहे हैं.


अंजन- चुनाव में इस बार ट्रांइगुलर फाइट होगा, लेफ्ट कांग्रेस अब्बास सिद्दीकी वगैरह यह तीनों गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर यह गठबंधन बनता है तो ये ट्रायंगुलर फाइट होगा. आपको क्या लगता है कि इस गठबंधन के बनने से फायदा किसको होगा. 
अमित शाह- देखिए एक जमाना था जब एंटी ममता वोट बैंक डिविजन होता था तो ज्यादा पार्टियां होने से ममता जी को फायदा होता था. अब एंटी बीजेपी वोट में डिवीजन होगा ऐसा मेरा स्पष्ट एनालिसिस है. तो जितने भी एंगल बढ़ेंगे हमारा विक्ट्री का मार्जिन उतना बड़ा होगा. अब हमारा जीतने का पर्याप्त वोट हमारे पास आ चुका है. एंटी बीजेपी वोट में सारा बंटवारा होना है जो होना है.


सुधीर चौधरी- लेकिन जो लोग तृणमूल से परेशान होंगे जब आपके यहां भी उन्हीं चेहरों को इंपोर्ट होते हुए देखेंगे तो उसका फर्क नहीं पड़ेगा.


अमित शाह- देखिए देश के कई राज्यों में सब पार्टी से अच्छे लोग भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किए हैं. उसके बाद हमने अच्छी सरकारें चला कर बताया चाहे असम हों, मणिपुर हों, उत्तर प्रदेश हो उत्तराखंड हो कई जगह पर ऐसा हुआ है. भारतीय जनता पार्टी का हाजमा बड़ा है और भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भारतीय जनता पार्टी के संगठन चलाते हैं.


सुधीर चौधरी- क्या आप मानते हैं कि ममता बनर्जी आपकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी हैं इस समय राष्ट्रीय राजनीति में? 
अमित शाह- देखिए मैं इस प्रकार के सवालों का सीधे जवाब नहीं देना चाहता हूं. मगर मैं इतना कहना चाहता हूं कि मोदी जी की स्पर्धा में नजदीक में भी कोई नहीं है.


सुधीर चौधरी- लेकिन दूर दूर में भी.
अमित शाह- नहीं बहुत सारे हैं दिल्ली से लेकर समंदर तक.


सुधीर चौधरी- और एक बार अगर ममता हारी तो आपको लगता है कि देश में जो विपक्षी खेमे में जो माहौल है उसमें भी परिवर्तन आएगा यानी परिवर्तन दो जगह आएगा.
अमित शाह- देशभर में जितने चुनाव हुए सब के सब भारतीय जनता पार्टी जीत रही है. माहौल किस चीज का है कोई एक नेता विपक्ष का नहीं है इसका माहौल है क्या. सरकारें उनकी कम होती जा रही हैं. जनता लगातार मोदी जी को स्वीकृति दे रही है. माहौल किस चीज का है अगर आइवरी टावर में किसी को जीना ही है तो कौन रोक सकता है उस चीज को.


अंजन- इस बार चुनाव में माइनॉरिटी वर्सेस मेजॉरिटी ऐसा चुनाव भी देखने को मिलेगा.
अमित शाह- देखिए भारतीय जनता पार्टी माइनॉरिटी- मेजॉरिटी की राजनीति को नहीं मानती है. हम संविधान के हिसाब से जाते हैं. वहां नागरिक एक इकाई होती है. माइनॉरिटी मेजॉरिटी कोई इकाई नहीं होती. सिटीजन इकाई होता है.


अंजन- लेकिन यहां 30% मुस्लिम वोट है.
अमित शाह- वो आप करते रहिए 3०% -40%. हमारे लिए शत प्रतिशत बंगाल ही है.


सुधीर चौधरी- लेकिन आपके ऊपर सांप्रदायिकता का आरोप तब भी लगेगा.


अमित शाह- जरूर लगता है और इंदिरा जी के समय से लगाते हैं अभी कुछ साल तक लगेगा. उसके बाद में नहीं लगेगा.


सुधीर चौधरी- यहां का मीडिया भी और अंजन भी और मैं भी. अमित जी आपसे जानना चाहते हैं कि कि आपने खास तौर पर बहुत समय लगाया है पश्चिम बंगाल में और आपका मेरे ख्याल से छठा दौरा होगा यह. 
अमित शाह- नहीं मैं तो 2017 से लगातार आ रहा हूं.


सुधीर चौधरी- अगर हम 2020 से नवंबर से अगर हम लोग देखें तो 5वां या 6ठां दौरा आपका होगा बहुत समय आप ने लगाया है.
अमित शाह- छठा दौरा है और 14वां दिन है.


सुधीर चौधरी- तो ये कोई खास ये मिशन आपको जरूरत से ज्यादा प्रिय है कि ममता बनर्जी को इस बार हटाना ही है.
अमित शाह- ममता बनर्जी को हटाने का हमारा एजेंडा ही नहीं है. बंगाल के अंदर सुशासन प्रस्थापित करना हमारा एजेंडा है. एक सरहदी राज्य है. बहुत बड़ा राज्य है और मोदी जी की जो विकास की ट्रेन चल पड़ी है उसमें जुड़ता भी नहीं है. हम 5 लाख रुपये का आयुष्मान भारत का कार्ड देना चाहते हैं, वो नहीं लेना चाहते. वो ना लेना चाहे तो ना लें बंगाल की गरीब जनता को क्यों रोक रहे हो भाई. 5 लाख रुपये तक की सारी स्वास्थ्य सुविधा फ्री ऑफ कॉस्ट मिल रही है आपको तो बंगाल के गरीबों को इसका फायदा क्यों नहीं उठाने दे रहे हो. अम्फान की सहायता भेजते हैं तो सारा पैसा उनका काडर खा जाता है. हाई कोर्ट को टिप्पणी करनी पड़ती है कि इसकी सीएजी एक स्पेशल टीम बनाकर जांच करें. हम किसान के लिए ₹6000 भेज रहे हैं तो नीचे तक पहुंच नहीं रहा है. मछुआरों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. 115 योजनाएं हैं केंद्र सरकार की. इन सबकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा तृणमूल कांग्रेस सरकार है.


सुधीर चौधरी- आप तो जब कोविड का समय था. हालांकि अब भी है, तब आप पूरा कोऑर्डिनेट कर रहे थे और आप सारे मुख्यमंत्रियों से मिलते थे. उस समय ममता बनर्जी ने आपको कितना सपोर्ट किया.
अमित शाह- देखिए मैं यह सारी चीजें इसलिए कहना नहीं चाहता सारे मुख्यमंत्रियों ने मोदी जी के समर्थन में मोदी जी के साथ रहकर अपने-अपने राज्यों की लीडरशिप लेकर कोविड की लड़ाई लड़ी है. इसमें कोई राजनीतिक बात नहीं है.


अंजन- आपने कहा कि पिछले 5 साल में केंद्र सरकार ने 3 करोड़ 59 लाख करोड़ रुपया दिया है राज्य को और ये उनका इस्तेमाल नहीं कर पाए.
अमित शाह- नहीं नहीं इस्तेमाल कर लिया अपने कार्यकर्ताओं के लिए. आपने शायद हिंदी मेरी समझी नहीं है. हमने तो भेज दिया. इन्होंने भ्रष्टाचार कर घर में ले जाने का काम किया. इसका इस्तेमाल जनता के लिए नहीं किया.


सुधीर चौधरी- उसी की आप जांच करवाएंगे
अमित शाह- नहीं नहीं जांच तो करप्शन जहां जहां है बंगाल के own fund का भी करप्शन है तो जांच इसकी नहीं होनी चाहिए क्या. होनी ही चाहिए.


सुधीर चौधरी- आखिरी सवाल हम करते हैं. हमेशा ज्यादातर हमारा यही सवाल रहता है कि आपका एस्टीमेट पूछें बीजेपी का भी पूछें लेकिन आज हम आपसे टीएमसी का भी पूछना चाहते हैं.
अमित शाह- देखिए अब कांग्रेस और कम्युनिस्ट कितना मजबूत होते हैं, इस पर टीएमसी का भविष्य़ निर्भर है.


सुधीर चौधरी - कम्यूनिस्ट बचे हैं अब यहां आपके हिसाब से.
अमित शाह- कांग्रेस और कम्युनिस्ट का कांबिनेशन हुआ है. कह नहीं सकते कौन नं 2 होगा. 2 नंबर के लिए नजदीकी लड़ाई होगी


सुधीर चौधरी- आपकी कितनी सीटें आ जाएंगी than you will be a satisfying man?
अमित शाह- बस वो 200 से ज्यादा आएगी. हां 200 से ज्यादा आएगी तो हमारा performance अच्छा माना जाएगा


सुधीर जी- बावजूद इसके कि ममता बनर्जी ये कहती हैं कि आपके पास ब्लॉक लेवल पर और गांव में और मोहल्ला लेवल पर अभी कार्यकर्ता नहीं है.
अमित शाह- ममता जी चुपचाप एक बार ओपन जीप में बैठकर जाएं. हर जगह से जय श्री राम सुनने को मिलेगा उनको बस. वो उनको उतरकर मारने ना दौड़े इतना ही देखना होगा.


सुधीर चौधरी- कई बार हमें लगता है आप उनको और irritate करने के लिए और ज्यादा जय श्री राम के नारे लगवाते हैं. 
अमित शाह- कोई नारे को कोई नेता नहीं लगा सकता, अब अंग्रेज वंदे मातरम से चिढ़ते थे. ये जय श्री राम से चिढ़ रही हैं, मैं क्या कर सकता हूं.


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