नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी के फिर से बढ़ते मामलों के बीच देश में एक और घातक बीमारी का खतरा बढ़ गया है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि ये बीमारी भी महामारी (Pandemic) का रूप ले सकती है. शोधकर्ताओं को हिंद महासागर में अंडमान द्वीप समूह (Andaman Islands) पर कैंडिडा ऑरिस या ‘सी’ (Candida Auris or C) नामक एक ‘सुपरबग’ का पता चला है, जो एक प्रकार का फंगस है. इस संबंध में एक स्टडी जर्नल mBio में प्रकाशित हुई है. 


इसलिए है बेहद Dangerous


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कैंडिडा ऑरिस या ‘सी’ इसलिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि अधिकांश एंटिफंगल दवाओं (Antifungal Drugs) का इस पर कोई असर नहीं होता. यह 2010 की शुरुआत में तीन महाद्वीपों पर एक ह्यूमन पैथोजन के रूप में उभरा था. यह फंगस अक्सर उन लोगों को अपना शिकार बनाता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी ने इस जानलेवा फंगस को तेजी से फैलने का माहौल उपलब्ध कराया है. इसलिए आशंका जताई जा रही है कि यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है.


Dr Chowdhary की टीम ने किया रिसर्च


हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA में छपी खबर के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय की मेडिकल माइकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा चौधरी (Dr Anuradha Chowdhary) और उनकी टीम ने अंडमान द्वीप समूह के आठ स्थानों से 48 मिट्टी और समुद्री जल के नमूनों का अध्ययन किया. इस दौरान उन्होंने दो स्थानों पर ‘सुपरबग’ की पहचान की. एक साल्ट मार्श वेटलैंड, जहां लगभग कोई नहीं जाता है और दूसरा समुद्र तट जहां काफी भीड़भाड़ होती है. डॉक्टर चौधरी की टीम ने रिसर्च में पाया कि बीच पर मिला ‘सुपरबग’ दूसरे के मुकाबले मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी था. ऐसे में वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है कि यह महामारी का रूप ले सकता है और यदि ऐसा हुआ तो इससे बचना बेहद मुश्किल हो जाएगा.


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Human Contact से फैलता है


हालांकि, अध्ययन में यह साफ नहीं हो पाया है कि कैंडिडा ऑरिस स्वाभाविक रूप से अंडमान द्वीप समूह पर ही उत्पन्न हुआ या फिर कहीं से यहां पहुंचा है. वैसे, इस फंगस ने दुनिया के कई हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और कई लोगों की मौत का कारण भी बना है. संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए वैज्ञानिकों का मानना है कि कैंडिडा ऑरिस कोरोना की तरह मानव संपर्क के माध्यम से फैलता है. 


क्या होते हैं Symptoms?


कैंडिडा ऑरिस या ‘सी’ नामक ‘सुपरबग’ घाव के रास्ते शरीर में दाखिल होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सुपरबग मानव शरीर में दाखिल होने के बाद खून में मिल जाता है और फिर सेप्सिस का कारण बनता है - एक ऐसी स्थिति है जिससे विश्वभर में 11 मिलियन लोगों की मौत होती है. इसके लक्षण की बात करें, तो ‘द सन’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो इसके कोई खास लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन कुछ समय बाद पीड़ित व्यक्ति को बुखार और ठंड लगने लगती है. सबसे ज्यादा खतरनाक बात यह है कि दवा लेने के बाद भी बुखार नहीं उतरता और पीड़ित व्यक्ति की मौत तक हो सकती है.


CDC ने दी चेतावनी


अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, यह माइक्रोब गंभीर रक्तप्रवाह संक्रमण का कारण बन सकता है, खासकर उन रोगियों में जिन्हें कैथेटर, फीडिंग ट्यूब या श्वास नलियों की आवश्यकता होती है. वहीं, लाइव साइंस की रिपोर्ट बताती है कि इस संक्रमण का इलाज मुश्किल हो सकता है, क्योंकि माइक्रोब पर अक्सर कई एंटिफंगल दवाएं असर नहीं करतीं और यह पर्यावरणीय में लंबे समय तक बना रह सकता है. बता दें कि इस फंगस से जुड़े मामले अमेरिका, यूरोप में भी सामने आ चुके हैं और कहा जा रहा है कि भारत सहित, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी इसका असर देखने को मिल सकता है.