नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान लगातार पंजाब और हरियाणा (Punjab And Haryana) के टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर बैठे हैं. यहां किसानों ने टोल 'फ्री' कर रखें हैं, जिससे टोल प्लाजा कंपनियों को रोजाना भारी नुकसान हो रहा है. 


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हालांकि अब जीएमआर अंबाला-चंडीगढ़ एक्‍सप्रेसवे कंपनी और मैसर्स पानीपत-जालंधर एनएच-1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड ने शुक्रवार को करोड़ों रुपये के नुकसान का हवाला देते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab-Haryana High Court) का रुख कर लिया है. दोनों कंपनियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए टोल प्लाजा का संचालन वापस शुरू कराने की अपील की है. 


हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला


इस दौरान उन्होंने अपने स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग भी कोर्ट से ही है. इसके बाद हाई कोर्ट ने जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्‍सप्रेसवे कंपनी की याचिका पर 24 फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया है. वहीं मैसर्स पानीपत-जालंधर NH-1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पंजाब सरकार और NHAI को 6 अप्रैल के लिए कोर्ट ने नोटिस जारी कर जबाब तलब किया है.


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आम जनता से ही की जाएगी भरपाई


बताते चलें कि पंजाब में 23 स्टेट टोल प्लाजा और 21 नेशनल टोल प्लाजा हैं. सभी स्टेट टोल प्लाजा की हर दिन करीब 62 से 65 लाख रुपए कलेक्शन होती है. यही कारण है कि कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट चेतन मित्तल (Advocate Chetan Mittal) ने कहा कंपनियों के NHAI के साथ MOU साईन होते हैं. फिलहाल भले ही लोग टोल प्लाजा न देने के चलते राहत महसूस करते होगें. लेकिन जब मामला हाई कोर्ट और आर्बीटरेशन में चला जाता है तो सारे नुकसान की भरपाई आगे जाकर आम जनता से ही की जाएगी.


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हरियाणा में राहत, पंजाब में अड़े किसान


गौरतलब है हरियाणा के कई टोल प्लाजा से किसानों को स्थानीय लोग उठा रहें है. जबकि पंजाब में धरने पर बैठे किसानों कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि तब तक धरना जारी रहेगा और टोल प्लाजा को फ्री ही रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि नुकसान के जिम्मेदार हम नहीं है बल्कि केंद्र सरकार है. और किसान मजबूरी में बैठे हैं. उनको मालूम है भरपाई आम लोगों से करवाई जाएगी. लेकिन कंपनियों को हाई कोर्ट में जाने की जगह सरकार पर कृषि कानूनों को वापिस लेने का दबाब बनाना चाहिए.


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